राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी के सुप्रीमो शरद पवार यूपीए के अध्यक्ष नहीं बनेंगे। यह घोषणा एनसीपी प्रवक्ता महेश तापसे ने मीडिया के सामने की है। तापसे के बयान देने से पहले सुबह से ये अटकलें लग रही थीं कि शरद पवार यूपीए के अगले अध्यक्ष हो सकते हैं। मीडिया में हर जगह इस पर चर्चा थी। ऐसे में एनसीपी ने शाम को इन खबरों पर संज्ञान लेते हुए इसका खंडन किया।
राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता महेश तापसे ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा, “मीडिया के कुछ सेक्शन में इस तरह की खबर चल रही है कि शरद पवार को यूपीए चेयरपर्सन की जिम्मेदारी दी जाएगी। राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी स्पष्ट करना चाहेगी कि इस तरह के किसी प्रस्ताव के बारे में यूपीए के सहयोगियों के भीतर कोई चर्चा नहीं हुई है।”
https://twitter.com/ANI/status/1337041101434261505?ref_src=twsrc%5Etfwमहेश तापसे (Mahesh Tapase) ने सभी अटकलों को बेबुनियाद बताते हुए कहा यह बातें ऐसे वक्त में जानबूझकर उठाई गई है, ताकि जो किसानों का आंदोलन चल रहा है, उसके बीच में कन्फ्यूजन पैदा किया जाए। उन्होंने कहा, “ऐसी अटकलों वाली मीडिया रिपोर्ट्स जानबूझ कर बनाई गई है। जिससे किसान आंदोलन (farmers agitation) से लोगों का ध्यान भटकाया जा सके।”
गौरतलब है कि आज सुबह से मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा था कि पवार द्वारा यूपीए अध्यक्ष की जिम्मेदारी सँभाली जा सकती है। साथ ही इन रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया था कि इस संबंध में शुरुआती बातचीत हो चुकी है।
अब दिलचस्प बात यह है कि मीडिया में ये कयान लगने ऐसे वक्त में शुरू हुए जब कॉन्ग्रेस के भीतर नेतृत्व को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। बिहार विधानसभा और हैदराबाद निकाय चुनावों में करारी शिकस्त को लेकर पिछले दिनों कई वरिष्ठ नेता नेतृत्व पर सवाल उठा चुके हैं। कुछ पार्टी अध्यक्ष के तौर पर राहुल गाँधी की वापसी चाहते हैं तो कॉन्ग्रेस के दूसरे खेमे को उनकी क्षमताओं पर भरोसा तक नहीं है।
बता दें कि वर्तमान में यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गाँधी हैं। उनके पास यह पद साल 2004 है। यूपीए का गठन उसी साल आम चुनावों के बाद तब हुआ जब कॉन्ग्रेस ने वामदलों के समर्थन से मनमोहन सिंह के नेतृत्व में सरकार का गठन किया था। यह भी कहा जाता है कि 10 साल तक मनमोहन सिंह भले सरकार का चेहरा रहे, लेकिन पर्दे के पीछे से उसे सोनिया ही चला रही थीं।
2017 में कॉन्ग्रेस में औपचारिक तौर पर राहुल ने उनकी जगह ले ली थी, लेकिन 2019 के आम चुनावों में हार के बाद उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। काफी मान-मनौव्वल के बावजूद जब राहुल दोबारा जिम्मेदारी सॅंभालने को राजी नहीं हुए तो पार्टी ने सोनिया को अंतरिम अध्यक्ष बनाया था।