‘हिंदू शब्द से ही देश में कुछ लोगों को एलर्जी, जो बिल्‍कुल सही नहीं, ऐसे लोगों की हम कोई सहायता नहीं कर सकते’

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू (फाइल फोटो)

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने रविवार (जनवरी 12, 2019) को कहा कि भारत में कुछ लोगों को हिन्दू शब्द से ही एक अलग तरह की एलर्जी है और लोगों के बीच मतभेद खड़ी करने वाली इस दीवार को गिराने की जरूरत है। नायडू रविवार को स्वामी विवेकानंद जयंती के मौके पर आयोजित ‘श्री रामकृष्ण विजयम’ के शताब्दी समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि देश में कुछ लोगों को हिन्दू शब्द से चिढ़ है।

उन्होंने कहा कि यद्यपि यह ठीक नहीं है, लेकिन हम उनकी कोई सहायता नहीं कर सकते हैं। उनके पास अपने विचार रखने का अधिकार है, लेकिन वे सही नहीं हैं। नायडू ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक रूप से प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने के लिए है। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता का मतलब दूसरे धर्मों का अपमान या तुष्टीकरण करना नहीं, बल्कि धर्मनिरपेक्ष संस्कृति भारतीय लोकाचार का एक हिस्सा है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि लंबे समय तक भारत ने कई प्रताड़ित लोगों को आश्रय दिया है और कई को शरण दी है। उन्होंने कहा कि हिंदू एकमात्र धर्म है जो कहता है कि सभी धर्म सही हैं। यह इसकी महानता और इसकी खूबसूरती है। नायडू ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने भी यह कहा था कि वह ऐसे राष्ट्र से ताल्लुक रखते हैं जिसने धरती के सभी देशों के प्रताड़ित एवं शरणार्थियों को शरण दी है।

वेंकैया नायडू ने नागरिकता कानून के विरोध का स्पष्ट तौर पर संदर्भ देते हुए कहा कि अब भी हम प्रताड़ित लोगों को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं भले ही कुछ लोग इसे विवादित बनाने की कोशिश कर रहे हों। उन्होंने कहा कि यह हमारी संस्कृति, हमारी धरोहर है। हमारे पूर्वजों ने हमें यही बताया है। 

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से विरोध किए जाने के परिप्रेक्ष्य में उन्होंने कहा, ‘‘हम उन लोगों को स्वीकारने के लिए तैयार हैं, जो प्रताड़ना के शिकार हैं, लेकिन कुछ लोग इसे विवादास्पद बनाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम सर्वधर्म सद्भावना का अनुसरण करते हैं, जो हमारे खून में है और हमारी तहजीब का हिस्सा है। हम सभी को हिंदू धर्म से जुड़ी अवधारणाओं, उपदेशों और परंपराओं को एक सही परिप्रेक्ष्य में समझना चाहिए।’’

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया