एक के नाम में सीताराम, दूसरी के माथे पर बिंदी… पर नफरत राम मंदिर से ही: रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा में शामिल नहीं होंगे वामपंथी

वृंदा करात और प्रकाश करात का ऐलान - राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का हिस्सा नहीं बनेगी CPI(M)

अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी, 2024 को होनी है। भारत की वामपंथी पार्टियों ने इस आयोजन का बहिष्कार कर दिया है। CPI(M) की पोलितब्यूरो की सदस्य वृंदा करात ने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समरोह में शामिल नहीं होगी। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करती है लेकिन एक धार्मिक कार्यक्रम को राजनीति से जोड़ा जा रहा है। उन्होंने इसे धार्मिक अनुष्ठान का राजनीतिकरण बताते हुए गलत करार दिया।

बता दें कि भारत के वामपंथी नेता अपने ही देश और इसकी संस्कृति से नफरत के लिए जाने जाते हैं। हिन्दू धर्म को लेकर उनकी नफरत और चीन को लेकर उनकी वफादारी जग-जाहिर है। वृंदा करात ने कहा कि राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में न जाने के पीछे उनकी पार्टी की बुनियादी सोच है। उन्होंने इस कार्यक्रम के राजनीतिक इस्तेमाल का आरोप लगते हुए कहा कि संविधान के हिसाब से भारत की सत्ता किसी धार्मिक रंग का नहीं होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि ये लोग जो कर रहे हैं वो सही नहीं है, बिलकुल सही नहीं है। वहीं CPI(M) पोलितब्यूरो के एक अन्य सदस्य सीताराम येचुरी ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि उन्होंने प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के संबंध में किसी को कुछ नहीं कहा है। बकौल सीताराम येचुरी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव और ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ ट्रस्ट की कंस्ट्रक्शन कमिटी के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्रा कुछ VHP नेताओं के साथ उनके पास आए थे।

सीताराम येचुरी ने कहा कि उन्होंने उनलोगों को कॉफी का ऑफर दिया, जिसे उन्होंने नकार दिया। सीताराम येचुरी ने कहा कि बात वहीं खत्म हो गई। उन्होंने कहा कि धर्म हर व्यक्ति की व्यक्तिगत पसंद होती है जिसका वो सम्मान करते हैं और उसकी सुरक्षा करते हैं, सबको अपनी आस्था के स्वरूप के चयन का अधिकार है। उन्होंने संविधान और सुप्रीम कोर्ट की बात करते हुए कहा कि सत्ता का धर्म से कोई संबंध नहीं होना चाहिए लेकिन राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को राज्य द्वारा आयोजित कार्यक्रम बनाया जा रहा है।

उन्होंने इससे आपत्ति जताई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस कार्यक्रम में शिरकत करने वाले हैं। सीताराम येचुरी ने कहा कि लोगों की धार्मिक आस्थाओं का राजनीतिकरण किया जा रहा है, जो संवैधानिक नहीं है। उन्होंने कहा कि इसी कारण वो अफ़सोस जताते हैं कि वो इस समारोह का हिस्सा नहीं बन पाएँगे। वामपंथी दल अक्सर हिन्दू विरोधी गिरोहों के साथ खुल कर खड़े होते हैं और भारतीय महापुरुषों की जगह मार्क्स की नीतियों पर चलते हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया