बंगाल ने नहीं दी कोरोना से अनाथ हुए बच्चों की जानकारी: SC ने ममता सरकार को फटकारा, पूछा – ‘सिर्फ आपको ही कन्फ्यूजन क्यों?’

सुप्रीम कोर्ट और पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार (फाइल फोटो साभार: SILIGURI TIMES)

सुप्रीम कोर्ट में कोरोना से अनाथ हुए बच्चों की देखभाल और चिल्ड्रन शेल्टर होम्स को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए व्यवस्था करने की दिशा में आगे बढ़ने के मुद्दे पर सुनवाई हो रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेकर इस मुद्दे को उठाया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को आदेश दिया था कि कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों के विवरण जुटा कर NCPCR (राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग) के पोर्टल पर अपलोड करें। पश्चिम बंगाल सरकार ने अब तक ऐसा नहीं किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने तृणमूल कॉन्ग्रेस की सरकार से कहा कि वो उसके पिछले आदेश का पालन करते हुए इस कार्यवाही को पूरी करे, ताकि जिन बच्चों को सुरक्षा और केयर की ज़रूरत है, उन्हें सुविधा उपलब्ध कराई जा सके। पश्चिम बंगाल के वकील को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो अपने अधिकारियों से अनाथ बच्चों की जानकारी जुटाने के लिए कहे और उन्हें त्वरित रूप से NCPCR के पोर्टल पर अपलोड करे।

मार्च 2020 के बाद अनाथ हुए बच्चों के सम्बन्ध में ये फैसला सुनाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी राज्यों ने उसके आदेश को मानते हुए व्यवस्थित रूप से सूचनाओं को अपलोड किया है, लेकिन एक पश्चिम बंगाल सरकार ही है जिसे ये आदेश अब तक समझ में ही नहीं आया। साथ ही फटकार लगाते हुए कहा कि सरकार कन्फ्यूजन वाला बहाना न बनाए क्योंकि जब सारे राज्यों ने आदेश का पालन किया है, केवल बंगाल के लिए कन्फ्यूजन कैसे हो सकता है?

साथ ही ये भी आदेश दिया कि पश्चिम बंगाल सरकार न सिर्फ सूचनाओं को अपलोड करे, बल्कि अनाथ बच्चों के लिए चल रही योजनाओं का लाभ उन तक पहुँचाए और अगले आदेश के बिना ही ये सब हो जाना चाहिए। इन सूचनाओं को कुल 6 स्टेज में NCPCR को सौंपना है, जिनमें से दो चरण तत्काल में पूरे किए जाएँगे। शीर्षतम अदालत ने माना कि बाकी की प्रक्रिया में समय लग सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु को भी विशेष निर्देश दिए।

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उसने राज्य से कहा कि वहाँ फ़िलहाल कोरोना पॉजिटिविटी रेट बहुत ज्यादा है, ऐसे में वहाँ विभिन्न संस्थाओं को इस काम में लगा कर डेटा जुटाए जाने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सलाह लेने के लिए Amicus Curiae वकील भी नियुक्त किया, जिन्होंने राय दी कि ऐसे बच्चों की परवरिश व शिक्षा के लिए वित्तीय मदद के अलावा अन्य पहलू भी ध्यान में रखे जाने चाहिए। उन्होंने सलाह दी कि RTE (शिक्षा का अधिकार) एक्ट के तहत इन बच्चों की शिक्षा-दीक्षा की व्यवस्था सरकारी/प्राइवेट स्कूलों में कराई जानी चाहिए।

बताते चलें कि इस विषय को लेकर केंद्र सरकार भी गंभीर है। कोरोना महामारी में माता-पिता गँवाने वाले बच्चों की ‘पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रेन’ योजना के तहत मदद की जाएगी। इसके तहत अनाथ बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाएगी और उनका 5 लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा भी किया जाएगा। ऐसे बच्चों को 18 साल की उम्र से मासिक भत्ता (स्टाइपेंड) और 23 साल की उम्र में पीएम केयर्स से 10 लाख रुपए का फंड मिलेगा। सरकार ऐसे बच्चों के लिए निशुल्क शिक्षा सुनिश्चित करेगी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया