IIT से इंजीनियरिंग, स्विटरजरलैंड से MBA, ‘जागृति’ से युवाओं को बना रहे उद्यमी… BJP ने देवरिया में यूँ ही नहीं शशांक मणि त्रिपाठी को दिया टिकट, दशकों से जमीन पर कर रहे काम

देवरिया ही नहीं, पूरे पूर्वांचल के युवाओं में 'जागृति' की गाथा लिख रहे शशांक मणि त्रिपाठी

भाजपा ने देवरिया से इस बार शशांक मणि त्रिपाठी को टिकट दिया है। देवरिया लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व 2014 में कलराज मिश्रा भी कर चुके हैं, जो फ़िलहाल राजस्थान के राज्यपाल हैं। इसके बाद 2019 में भाजपा के ही रामपति राम त्रिपाठी सांसद बने। 2014 में 2.65 लाख तो 2019 में 2.49 लाख वोटों से भाजपा विजयी हुई। इस बार भी बड़ी जीत की उम्मीद जताई जा रही है। लेकिन, जिन्हें लग रहा कि शशांक मणि त्रिपाठी को टिकट दिया जाना चौंकाने वाला फैसला है, उन्हें उनके बारे में पहले जानना चाहिए।

शशांक मणि त्रिपाठी के पिता प्रकाश मणि त्रिपाठी भले ही 1996 और 1999 में 2 बार देवरिया से भाजपा सांसद बने हों, लेकिन उनके बेटे ने अपने दम पर न सिर्फ एक अभियान खड़ा किया बल्कि खुद को पूर्वांचल में बदलाव के लिए समर्पित सा कर दिया। प्रकाश मणि त्रिपाठी भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट जनरल रहे हैं, 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध लड़ा है और मिजोरम में 1976 में उग्रवाद विरोधी अभियान का भी हिस्सा रहे। उन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया जा चुका है, वो भारतीय सेना ने ‘डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ’ रहे हैं।

शशांक मणि त्रिपाठी को करीब से जानने वाले लोग बताते हैं कि उनमें भी उनकी पिता की छाया दिखती है, खासकर अनुशासन के मामले में उन पर अपने फौजी पिता का खासा प्रभाव है। वो अपने काम के प्रचार-प्रसार में यकीन नहीं रखते। युवा कार्यकर्ताओं की जिद पर सोशल मीडिया पर उनकी सक्रियता भले ही चुनाव के दौरान बढ़ी हो, लेकिन उससे पहले वो सिर्फ जमीन पर काम करने में व्यस्त थे। लेकिन, भारतीय जनता पार्टी ने उनके काम को पहचाना और देवरिया से उन्हें टिकट दिया।

2009 के लोकसभा चुनाव में प्रकाश मणि त्रिपाठी बसपा उम्मीदवार गोरख प्रसाद जायसवाल से हार गए थे, ऐसे में शशांक मणि त्रिपाठी को इस हार का दाग मिटाने का भी मौका पार्टी ने दिया है। 89 वर्ष की उम्र में भी उनके पिता कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं, उनमें जोश भर रहे हैं। शशांक मणि त्रिपाठी की बात करें तो उन्हें ‘जागृति यात्रा’ के लिए जाना जाता है, जिसके तहत युवाओं को उद्यमशीलता से परिचित कराया जाता है, उन्हें भ्रमण करा कर उद्यमी बनने के लिए प्रेरित किया जाता है, उनका सहयोग किया जाता है।

उन्होंने देवरिया में करोड़ों रुपए की लागत से ‘जाग्रति इंटरप्राइज सेंटर’ का निर्माण कराया है, ताकि पूर्वांचल के छोटे शहरों और गाँवों के युवाओं को आगे बढ़ने का मौका दिया जा सके। 300 वर्ष पुराने बरगद के वृक्ष के बगल में 6 एकड़ का ये परिसर बरपार गाँव में स्थित है। इसका उद्देश्य है – उद्यम और नवोन्मेष को बढ़ावा देना। डिजिटल लाइब्रेरी, कृषि और स्वास्थ्य को डिजिटल दुनिया से जोड़ना और पूर्वांचल में विकास के लिए नई खोजों के लिए प्रयास करना इसका उद्देश्य है, जो युवाओं को प्रशिक्षित कर के हासिल होगा।

इसके तहत ‘हर घर उद्यमी’ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, ताकि गाँवों और छोटे शहरों के युवा उद्यम को लेकर आकर्षित हों। 3 महीने में ही 300 गाँवों और 4500 स्थानीय लोगों से संपर्क साधा गया। पहले राउंड में 30 आइडियाज को चुना गया, जिनमें से 10 पर शोध हुआ और अंततः 3 विजेता घोषित हुए। उन्हें एक-एक लाख रुपए का इनाम दिया गया। ऐसा नहीं है कि चुनाव से पहले शशांक मणि त्रिपाठी ये सब करने लगे, उन्होंने ‘जागृति यात्रा’ वर्षों पहले शुरू की थी।

शशांक मणि त्रिपाठी ने IIT दिल्ली से इंजीनियरिंग की है। स्विट्जरलैंड के लॉज़ेन स्थित IMD से उन्होंने मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी की। 1997 में उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के 50 वर्ष पूरे होने पर ‘आज़ाद भारत रेल यात्रा’ निकाली थी। 2008 में ‘जागृति’ अभियान का शुभारंभ हुआ। 15 वर्षों में उन्होंने पूरे भारत में 7000 उद्यमी नेतृत्वकर्ताओं को तैयार कर के देश-समाज के उत्थान में अपना योगदान दिया। अमेरिका से लेकर फ़्रांस तक में इस मॉडल को दोहराया गया।

हमने इस मामले में RC कुशवाहा से बात की, जिन्होंने बताया कि एक माध्यम से उन्होंने शशांक मणि त्रिपाठी से मुलाकात की थी। वो ‘नई रोशनी एंटरप्राइजेज’ के संस्थापक हैं। उन्होंने बताया कि शशांक मणि त्रिपाठी जैसे लोग उद्यमियों की जिस तरह से मदद करते हैं, अगर उनके जैसे और लोग हो जाएँ तो ये धरती बदल जाएगी। उनकी कंपनी महिलाओं के लिए सैनिटरी नैपकिंस बनाती है। उन्होंने बताया कि इस कारोबार की स्थापना और इसे आगे बढ़ाने में उन्हें शशांक मणि त्रिपाठी की खासी मदद मिली है। ये कंपनी सलेमपुर में स्थित है।

इसी तरह शिव तिवारी ‘ग्रोसरी बाबा’ चलाते हैं। उनकी कंपनी ‘शिव फूड्स एन्ड डेयरी कॉर्पोरेशन’ की स्थापना और इसे आगे बढ़ाने में भी शशांक मणि त्रिपाठी और उनकी ‘जागृति’ अभियान का योगदान है। इसी तरह सचिन वर्मा ‘संतोष मसाला’ नामक कंपनी चलाते हैं। वो भी अपने कारोबार का श्रेय शशांक मणि त्रिपाठी को ही देते हैं। देवरिया और उसके आसपास के इलाकों में ऐसे कई उद्यमी हैं। कई युवाओं को उम्मीद है कि शशांक मणि त्रिपाठी के सांसद बनने के बाद इस अभियान में और तेज़ी आएगी।

शशांक मणि त्रिपाठी बताते हैं कि वो देवरिया-कुशीनगर के 400 गाँवों का बारीकी से भ्रमण कर चुके हैं। उनका कहना है कि ग्रामीण युवाओं में असीम प्रतिभा है, लेकिन हनुमत शक्ति की तरह उस ऊर्जा को जगाना है। रोजगार को वो सबसे बड़ी समस्या बताते हुए इसके समाधान की बात करते हैं। उन्होंने भोजपुरी-हिंदी कॉल सेंटर की भी स्थापना की हुई है, जिसमें सवा 200 लोग काम करते हैं। उन्होंने ‘मिडिल ऑफ डायमंड इंडिया’ और ‘भारत: उद्यमिता एवं भागीदार में राष्ट्र निर्माण’ नामक पुस्तकें भी लिख रखी हैं।

अनुपम कुमार सिंह: चम्पारण से. हमेशा राइट. भारतीय इतिहास, राजनीति और संस्कृति की समझ. बीआईटी मेसरा से कंप्यूटर साइंस में स्नातक.