‘सनातन को मिटा देना चाहिए, बार-बार बोलता रहूँगा’: विरोध के बाद भी उदयनिधि स्टालिन के वही तेवर, ममता बनर्जी ने किया किनारा, कहा – सनातन का करती हूँ सम्मान

TMC सुप्रीमो ममता बनर्जी ने DMK नेता उदयनिधि स्टालिन के बयान से किया किनारा

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन के बयान को लेकर बवाल मचा हुआ है। इस बीच उदयनिधि ने एक बार फिर कहा है कि वह सनातन धर्म के खिलाफ बोलते रहेंगे। वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि उदयनिधि अभी छोटे हैं। इसलिए हो सकता है उन्होंने ऐसा बयान दिया हो। साथ ही कहा है कि वह सनातन धर्म का सम्मान करती हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तमिलनाडु के खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा है, “मैंने जो इससे पहले कहा था वही बोलता रहूँगा। मैंने अपने भाषण में कहा था कि मेरा बयान कई लोगों को असहज कर देगा और यह सच हो गया। सनातन ने महिलाओं को गुलाम बनाया। वहीं द्रविड़वाद था ने बेड़ियों को तोड़ने का काम किया।”

अपने पुराने बयान पर सफाई देते हुए उदयनिधि स्टालिन ने आगे कहा है, “मैंने केवल इतना कहा था कि हमें सनातन धर्म के सिद्धांतों का विरोध करना चाहिए। मैं फिर से कह रहा हूँ कि हमें ऐसे सिद्धांतों को मिटा देना चाहिए। लेकिन यह हास्यास्पद है कि कुछ लोगों ने मेरे बयान को तोड़-मरोड़कर यह कह दिया कि मैंने नरसंहार करने की बात कही थी।” उदयनिधि स्टालिन ने सवाल करते हुए कहा है, “तमिलनाडु में ऐसे लोग हैं जो कहते हैं कि द्रविड़वाद को खत्म कर देना चाहिए। क्या इसका मतलब यह है कि वे सभी डीएमके कार्यकर्ताओं को मारना चाहते हैं?”  

यही नहीं, उदयनिधि ने अपने बयान की तुलना पीएम मोदी से करते हुए कहा है, “प्रधानमंत्री मोदी अक्सर कॉन्ग्रेस मुक्त भारत की बात करते हैं। क्या उसका मतलब यह है कि वो सभी कॉन्ग्रेसियों को मार डालना चाहते हैं? मैंने सिर्फ एक विचारधारा का ही विरोध किया था। सनातनम ​​पुराने सिद्धांतों पर जोर देता है जबकि द्रविड़वाद परिवर्तन की वकालत करता है। एक समय ऐसा भी था, जब महिलाओं को शिक्षा से वंचित कर दिया जाता था और उन्हें ब्लाउज पहनने की अनुमति नहीं थी। लेकिन फिर हम बदलाव लेकर आए।”

ममता बनर्जी ने उदयनिधि स्टालिन को बताया छोटा

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कॉन्ग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने पीटीआई से बात करते हुए कहा है, “मैं तमिलनाडु और दक्षिण भारत के लोगों का बहुत सम्मान करती हूँ। स्टालिन का भी सम्मान करती हूँ। लेकिन मेरा सभी विनम्र अनुरोध है कि सभी का सम्मान करें। हर धर्म की अलग-अलग भावनाएँ होती हैं। भारत एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश है। मैं सनातन धर्म का सम्मान करती हूँ।”

ममता ने आगे कहा है, “हम जानते हैं कि ऋग्वेद, अथर्ववेद व अन्य सभी वेद उपासना, आराधना और वंदना से मिले हैं। मेरी सरकार बहुत सारे पुरोहितों को पेंशन देती है। वे धार्मिक कार्यों का आयोजन करते हैं। सिद्धिविनायक मंदिर महाराष्ट्र और पूरे देश में बहुत लोकप्रिय है। इसी तरह दुर्गा पूजा लोकप्रिय है। हमें ऐसे किसी भी मामले में नहीं बोलना चाहिए जिससे लोगों के किसी भी वर्ग को ठेस पहुँचे। उदयनिधि अभी जूनियर हैं इसलिए हो सकता है कि उन्हें यह पता न हो। लेकिन अपनी तरफ से, मैं यह कह रही हूँ कि उन्हें हर धर्म का सम्मान करना चाहिए।”

गौरतलब है कि इससे पहले TMC प्रवक्ता कुणाल घोष ने उदयनिधि स्टालिन के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए इसकी निंदा की थी। साथ ही इस बयान को I.N.D.I.A. गठबंधन से अलग बताया था।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने 2 सितंबर को कहा था कि सनातन धर्म मलेरिया और डेंगू की तरह है और इसलिए इसे खत्म किया जाना चाहिए, न कि केवल इसका विरोध किया जाना चाहिए। वह सनातन धर्म को मिटाने के लिए आयोजित एक सम्मेलन में बोल रहे थे।

ट्विटर पर वायरल हो रहा बयान

एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर शेयर किए गए उनके भाषण की एक वीडियो क्लिप में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है, “सनातन धर्म को खत्म करने के लिए इस सम्मेलन में मुझे बोलने का मौका देने के लिए मैं आयोजकों को धन्यवाद देता हूँ। मैं सम्मेलन को ‘सनातन धर्म का विरोध’ करने के बजाय ‘सनातन धर्म को मिटाओ‘ कहने के लिए आयोजकों को बधाई देता हूँ।”

‘सनातनम को खत्म करना हमारा पहला काम’

उदयनिधि स्टालिन ने कहा, “कुछ चीजें हैं जिनका हमें उन्मूलन करना है और हम केवल विरोध नहीं कर सकते। मच्छर, डेंगू बुखार, मलेरिया, कोरोना, ये सभी चीजें हैं जिनका हम विरोध नहीं कर सकते, हमें इन्हें मिटाना है। सनातन ​​भी ऐसा ही है। विरोध करने की जगह सनातन ​​को ख़त्म करना हमारा पहला काम होना चाहिए।”

उन्होंने सवालिया लहज़े में पूछा कि “सनातन ​​क्या है? सनातन ​​नाम संस्कृत से आया है। सनातन ​​समानता और सामाजिक न्याय के खिलाफ है। सनातन ​​का अर्थ ‘स्थायित्व’ के अलावा और कुछ नहीं है, जिसे बदला नहीं जा सकता। कोई भी सवाल नहीं उठा सकता। सनातन ​​का यही अर्थ है।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया