‘हमने पिच तैयार की, लेकिन UP चुनाव में विपक्षी दलों ने अच्छी गेंदबाजी नहीं की’: योगेंद्र यादव ने कहा – किसान आंदोलन था चुनावी स्टंट

योगेंद्र यादव ने कबूला BJP को हराने के लिए किया किसान आंदोलन का इस्तेमाल (फाइल फोटो)

पाँचों राज्य में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं। गुरुवार (10 मार्च 2022) को मतगणना के दौरान सभी चैनलों की तरह NDTV ने भी इससे संबंधित शो किया। इसके होस्ट थे- रवीश कुमार और इसमें चर्चा करने के लिए योगेंद्र यादव और कई मुद्दा आधारित भाड़े के ऐक्टिविस्ट को बुलाया गया था। 

अब इस प्रोग्राम का एक छोटा सा हिस्सा (Snippet) सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें योगेंद्र यादव को यह कबूल करते हुए देखा जा सकता है कि उन्होंने और राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन के माध्यम से भाजपा को हराने के लिए एक अनुकूल ‘पिच’ बनाई थी, लेकिन विपक्ष ने ‘अच्छी गेंदबाजी’ नहीं की और इसका लाभ नहीं उठा सका।

वायरल वीडियो में यादव NDTV के रवीश कुमार से कह रहे हैं कि किसान आंदोलन ने यूपी में बीजेपी को हराने के लिए विपक्षी दलों की नींव बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन विपक्षी दलों ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले एक रणनीति बनाई और सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि वे आगामी चुनावों में उत्तर प्रदेश राज्य में भाजपा को ‘सजा’ देंगे। 

यादव बोले, “राकेश टिकैत और मैंने पूरे यूपी का दौरा किया। चुनाव के खिलाड़ी हम नहीं हैं। क्रिकेट की बात करें तो हमारा काम था रोलर चलाना। हमने रोलर चलाया। हमने रोलर इसलिए चलाया कि फास्ट बॉल को मदद मिले, लेकिन बॉलिंग करना हमारा काम नहीं था।” यादव का कहना था उन्होंने किसान आंदोलन के जरिए भाजपा के खिलाफ जमीन तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन इसके बावजूद उत्तर प्रदेश में भाजपा की मुख्य प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी ने अपनी भूमिका ठीक से नहीं निभाई।

पंजाब में राजनीतिक स्थिति के बारे में बोलते हुए योगेंद्र यादव ने कहा कि किसान आंदोलन का मुख्य लक्ष्य राज्य के सभी स्थापित राजनीतिक दलों को पूरी तरह से बदनाम (Discredit) करना था और ऐसा करने में इसने एक प्रमुख उत्प्रेरक के रूप में काम किया। बता दें कि पंजाब में कॉन्ग्रेस की सरकार थी, मगर 2022 के विधानसभा चुनाव में AAP ने यहाँ पर जीत हासिल की।

योगेंद्र यादव ने कहा, “मैं नहीं जानता कि इससे सबसे ज्यादा किसे फायदा हुआ, लेकिन हमारे कुछ दोस्त ‘बिना पैड के मैदान में उतर गए’ (बिना तैयारी के)। हमने कहा कि बल्लेबाजी करना या गेंदबाजी करना हमारा काम नहीं है। हमारा काम पिच को तैयार करना है… हम पिच को थोड़ा टेढ़ा जरूर कर सकते हैं, जो हमने किया।” इस दौरान, एक अन्य पैनलिस्ट ने यह कहते हुए हस्तक्षेप किया, “कभी-कभी एक बॉलर मैदान पर यॉर्कर फेंकता है, लेकिन फुल टॉस पड़ जाता है और वह छक्का हो जाता है…”

उसी शो के एक अन्य हिस्से में योगेंद्र यादव ने स्वीकार किया कि ‘किसानों का विरोध प्रदर्शन’ किसानों के अधिकारों की लड़ाई के बजाय एक राजनीतिक स्टंट था। उन्होंने कहा कि वह गेंद और बल्लेबाजी करने वाले नहीं हैं। उनका काम केवल पिच तैयार करना है, जैसा कि उन्होंने पश्चिम बंगाल में भी किया था। 

यादव ने आगे कहा कि बंगाल में उन्होंने घर-घर जाकर लोगों से भाजपा के खिलाफ वोट करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “हमने नींव रखी। खुल्लम खुल्ला बोला कि बीजेपी को हराओ। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं कि हम तृणमूल कॉन्ग्रेस पार्टी की जीत का श्रेय लेंगे। टीएमसी ने शानदार प्रदर्शन किया। हमने उत्तर प्रदेश में भी यही किया… हम केवल पिच तैयार कर सकते हैं, लेकिन खिलाड़ियों को खेलना चाहिए।”

एक अन्य Snippet में योगेंद्र यादव ने अनजाने में स्वीकार किया कि किसानों का विरोध वास्तव में एक ‘चुनावी आंदोलन’ (चुनावी विरोध) था। गौरतलब है कि 10 मार्च को शुरुआती चुनावी रुझानों में जैसे ही यूपी में बीजेपी की स्पष्ट जीत की भविष्यवाणी की जाने लगी, वैसे ही योगेंद्र यादव का मेल्टडाउन शुरू हो गया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया