प्रशांत भूषण के ख़िलाफ़ SC में अवमानना याचिका, ईमानदारी पर शक का है मामला

87 वर्षीय वेणुगोपाल ने कहा कि भूषण ने जानबूझ कर उनकी सत्यनिष्ठा पर शक किया (फोटो साभार: Bar & Bench)

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने वकील प्रशांत भूषण के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाख़िल किया है। प्रशांत भूषण द्वारा शुक्रवार (फरवरी 1, 2019) को दिए गए बयानों को लेकर यह अवमानना याचिका दाख़िल की गई है। याचिका में वेणुगोपाल ने कहा है कि भूषण ने उनकी ईमानदारी पर शक जताया। ज्ञात हो कि प्रशांत भूषण ने शुक्रवार को कई ट्वीट करते हुए लिखा था कि सीबीआई प्रमुख नागेश्वर राव की नियुक्ति के मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया।

https://twitter.com/pbhushan1/status/1091278520679055366?ref_src=twsrc%5Etfw

प्रशांत भूषण ने अपने ट्वीट्स में लिखा:

मैंने विपक्ष के नेता श्री खड़गे से व्यक्तिगत रूप से पुष्टि की है कि ‘हाई पॉवर्ड कमेटी (HPC)’ की बैठक में सीबीआई निदेशक के रूप में नागेश्वर राव को पुनः बहाल करने से संबंध में कोई चर्चा नहीं हुई थी और इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया था। सरकार ने उच्चतम न्यायालय को गुमराह किया है और शायद HPC की बैठक के मनगढंत विवरण प्रस्तुत किए हैं!”

बता दें कि सीबीआई में दो उच्चाधिकारियों के बीच छिड़े विवाद के बाद केंद्र सरकार ने हस्तक्षेप करते हुए तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा को अक्टूबर 2018 में लम्बी छुट्टी पर भेज दिया था। प्रशांत भूषण ने केंद्र सरकार के इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने उच्चाधिकार प्राप्त समिति को नया सीबीआई निदेशक चुनने को कहा था। उस समिति में प्रधानमंत्री मोदी, मुख्य न्यायाधीश के प्रतिनिधि और विपक्ष के नेता खड़गे शामिल हैं।

https://twitter.com/barandbench/status/1092454668427440128?ref_src=twsrc%5Etfw

87 वर्षीय वेणुगोपाल ने याचिका में कहा कि प्रशांत भूषण ने उनकी ईमानदारी एवं सत्यनिष्ठा पर जानबूझ कर संदेह प्रकट किया। 1 फरवरी को सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में HPC की बैठक का विवरण प्रस्तुत किया था। इसे सुनवाई के दौरान एक सीलबंद लिफ़ाफ़े में पेश किया गया था। इस दौरान वेणुगोपाल ने अदालत को बताया था कि केंद्र सरकार ने नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त करने से पहले HPC की अनुमति ली थी।

प्रशांत भूषण अक्सर केंद्र सरकार के फ़ैसलों के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट जाते रहे हैं। कोर्ट में प्रशांत भूषण के व्यवहार को देखते हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने एक बार कहा था कि जजों को भूषण को धक्के देकर कोर्ट से बाहर कर देना चाहिए। सीबीआई विवाद के मामले में भी भूषण कई बार अदालत गए। कभी आलोक वर्मा की नियुक्ति का विरोध करने वाले भूषण ने वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने का भी विरोध किया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया