सुप्रीम कोर्ट ने जिस वकील को हाईकोर्ट का जज बनाने के लिए 4 बार की सिफारिश, कर्नाटक चुनाव में उसकी जमानत जब्त: JDS ने दिया था टिकट

सुप्रीम कोर्ट चाहता था कि हाई कोर्ट के जज बने नागेंद्र नाइक (फोटो साभार: IE)

सुप्रीम कोर्ट ने नागेंद्र नाइक नामक वकील को कर्नाटक हाई कोर्ट का जज बनाने के लिए केंद्र सरकार से 4 बार सिफारिश की थी। हालाँकि केंद्र ने हर बार शीर्ष अदालत को पुनर्विचार करने के लिए कहा। जज बनने का सपना पूरा न होता देख नागेंद्र नाइक ने विधायक बनने का सपना देखा और यह भी अधूरा रह गया। दरअसल, नागेंद्र ने जेडीएस के टिकट पर कर्नाटक विधानसभा का चुनाव लड़ा। लेकिन, उनकी जमानत जब्त हो गई।

जनता दल (सेक्युलर) ने नागेंद्र नाइक को भटकल विधानसभा क्षेत्र से अपना प्रत्याशी बनाया था। लेकिन न तो वह पार्टी की उम्मीदों पर खरे उतरे और न ही मतदाताओं की नजर में आ सके। यही कारण है कि उन्हें 1% से भी कम वोट मिला और 1502 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे। नाइक को मिले वोट उनकी पार्टी के प्रदर्शन को समझने के लिए काफी है। वास्तव में कर्नाटक की 224 सीटों में से जेडीएस को महज 19 सीटें ही मिलीं।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम 2023 (फोटो साभार: ECI)

‘इंडियन एक्सप्रेस’ से बात करते हुए नागेंद्र नाइक ने कहा, ‘मेरा चुनाव प्रचार बहुत देर से शुरू हुआ और वैसे भी लोगों ने कॉन्ग्रेस को भारी वोट दिया। जनता भाजपा को बाहर रखना चाहती थी।”

सुप्रीम कोर्ट चाहता था हाई कोर्ट के जज बने नागेंद्र नाइक

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम ने पहली बार 3 अक्टूबर, 2019 को नागेंद्र नाइक का नाम हाई कोर्ट के जज के लिए प्रस्तावित किया था। हालाँकि, केंद्र सरकार ने आपत्ति जताई और कॉलेजियम से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा। इसके बाद 2 मार्च, 2021 को तत्कालीन सीजेआई एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम कमेटी ने एक बार फिर नागेंद्र नाइक का नाम हाई कोर्ट के जज के रूप में आगे बढ़ाया

यही नहीं, सितंबर 2021 में भी तत्कालीन सीजेआई एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने भी नागेंद्र नाइक को जज बनाने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था। इसके बाद जनवरी 2023 में एक बार फिर मौजूदा सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की सदस्यता वाले कॉलेजियम ने नागेंद्र नाइक के नाम की सिफारिश की।

आमतौर पर होता यह है कि यदि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम व्यवस्था के तहत किसी जज का दो बार नाम भेजता है तो केंद्र सरकार उसके नाम को स्वीकार कर लेता है। लेकिन नागेंद्र नाइक के मामले में ऐसा नहीं हुआ। केंद्र सरकार हर बार सुप्रीम कोर्ट को उसकी सिफारिश पर विचार करने के लिए कहती रही।

इस साल मार्च में एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से कहा था कि नागेंद्र नाइक एक राजनीतिक दल के करीबी हैं और उनके खिलाफ आपराधिक शिकायतें हैं। इसलिए, केंद्र उन्हें हाई कोर्ट का जज बनाने के लिए तैयार नहीं है। कथित तौर पर, कॉलेजियम ने केंद्र सरकार के सख्त रुख पर आपत्ति जताई थी। साथ ही कहा था कि इस तरह की देरी व्यक्तिगत रूप से पेशेवर वकील और संस्थान दोनों को प्रभावित करती है।

जज बनने के दरवाजे हो गए बंद: नाइक

केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए नागेंद्र नाइक ने दावा किया था कि उन्होंने जज बनने के लिए 4 साल का इंतजार किया है। लेकिन अब और इंतजार नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा, “मैं हमेशा से ही सार्वजनिक सेवा करना चाहता था। एक बार जब मुझे एहसास हुआ कि अब मैं जज नहीं बन पाऊँगा। इसके बाद मैंने राजनीति में कदम रखने का फैसला किया। और एक महीने पहले चुनाव लड़ने का फैसला किया था।”

नागेंद्र नाइक से जब यह पूछा गया कि जेडीएस की टिकट पर कर्नाटक विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले उन्होंने जज बनने के लिए अपनी सहमति वापस ली थी या नहीं। इस पर उन्होंने कहा है कि उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया। जब भी उनके जज बनने को लेकर चर्चा होती है तो उनके कानूनी करियर को झटका लगता है। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से बात करते हुए उन्होंने स्वीकार किया है कि चुनावी राजनीति में उतरने के बाद उनके जज बनने के सभी दरवाजे अब बंद हो गए हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया