बिहार में जारी किए गए जातिगत आँकड़े को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, सीएम नीतीश ने EWS को न्यायिक सेवा में दिया 10 प्रतिशत आरक्षण

नीतीश कुमार (साभार: आउटलुक)

बिहार में जातिगत आँकड़े जारी करने के बाद इस पर बहस तेज हो गई है। इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार द्वारा जारी किए जातीय आँकड़ों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। मंगलवार (3 अक्टूबर 2023) को दी गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।

याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बिहार सरकार ने कहा था कि वह इन जातिगत आँकड़ों को सार्वजनिक नहीं करेगी। इसके बावजूद बिहार सरकार ने इसे जारी किया। इस सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह 6 अक्टूबर 2023 को सुनवाई के दौरान उनकी दलील सुनेगा।

वहीं, तमाम आलोचनाओं के बीच नीतीश कुमार की सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े (EWS) लोगों को न्यायिक सेवा में 10 प्रतिशत का आरक्षण देने की घोषणा की है। इसके अलावा 14 एजेंडा पर बिहार सरकार की कैबिनेट ने मुहर लगाई है।

बिहार उच्च न्याय सेवा संशोधन नियामवली 1951 और बिहार असैनिक सेवा न्याय शाखा भर्ती नियमावली 1955 में संशोधन पर मुहर लगी है। बिहार उच्च न्याय सेवा संशोधन नियमावली 2023 और बिहार असैनिक सेवा न्याय शाखा भर्ती संशोधन नियमावली 2023 की स्वीकृति दी गई है।

बताते चलें कि सामान्य वर्ग के लोगों को शिक्षा और सरकारी नौकरी में आरक्षण देने के लिए आर्थिक रूप से कमजोर (EWS) वर्ग बनाया गया था। इसके तहतत 10 प्रतिशत का आरक्षण दिया जाता है। केंद्र की मोदी सरकार ने इसे संविधान में 103वाँ संशोधन करके साल 2019 में लागू किया था।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में जदयू, राजद और कॉन्ग्रेस की गठबंधन सरकार द्वारा आज सोमवार (2 अक्टूबर 2023) को जातिगत आँकड़े पेश किए गए। इनको लेकर सोशल मीडिया पर बहस शुरू हो गया है।

जारी किए गए आँकड़ों के मुताबिक, बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ 7 लाख 310 है। इसमें हिंदू आबादी 81.99 प्रतिशत है, जबकि 17.70 प्रतिशत जनसंख्या के साथ मुस्लिम आबादी दूसरे नंबर पर है। प्रदेश में ईसाइयों 0.05 प्रतिशत, सिख 0.011 प्रतिशत, बौद्ध 0.0851 प्रतिशत और जैन 0.0096 प्रतिशत है। इस बिहार में बौद्धों की आबादी 1,11,226, जैनों की जनसंख्या 12,523 और सिखों की जनसंख्या 14753 है। इनमें 2146 लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने कहा कि उनका कोई धर्म नहीं है।

अगर संविधानिक संरचना के अनुसार आंकड़ों की बात करें तो प्रदेश की कुल जनसंख्या में सामान्य वर्ग, जिसे अगड़ा भी कहा जाता है, की जनसंख्या 15.52 प्रतिशत है। वहीं पिछड़ा वर्ग की आबादी 27.12 प्रतिशत और अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01 प्रतिशत है। अनुसूचित जाति (SC) 19.65 और अनुसूचित जनजाति (ST) 1.68 प्रतिशत हैं।

अगर हिंदुओं की जाति आधारित संख्या की बात करे तो सबसे अधिक जनसंख्या यादव लिखने वाले अहीर/गोप/ग्वाला जाति की है। उनकी जनसंख्या 14 प्रतिशत है। वहीं, दूसरे स्थान पर 4.21 प्रतिशत आबादी के साथ कुशवाहा (कोइरी) दूसरे स्थान पर हैं। तीसरे स्थान पर ब्राह्मण, चौथे स्थान पर क्षत्रिय यानी राजपूत और पाँचवे स्थान पर मुसहरों की आबादी है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया