उइगर मुस्लिमों के बाद अब चीन के निशाने पर ईसाई? ‘ब्रेनवॉश’ के आरोप में पादरियों को किया गिरफ्तार, बाइबिल ऐप्स को हटाया

ईसाई पादरियों पर ब्रेनवाश करने का आरोप लगाकर उन पर कार्रवाई की जा रही है (फोटो : आइरिश टाइम्स)

चीन पर उइगर मुस्लिमों के उत्पीड़न का आरोप तो लगता ही रहा है लेकिन अब कम्युनिस्ट सरकार द्वारा शासित देश पर ईसाइयों के शोषण का आरोप भी लगाया जा रहा है। हाल ही में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि चीन में कुछ ईसाई पादरियों को ‘ब्रेनवॉश’ के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा चीन ने अपने ऐप स्टोर से बाइबिल से जुड़े कई एप्लीकेशन को हटा दिया है।

चीन में 20 मई 2021 को चार ईसाई पादरियों को, जो कि शैक्षणिक प्रोफेसर के तौर पर काम कर रहे थे, गिरफ्तार कर लिया गया। इसके अलावा तीन अन्य पादरियों को हेबेई प्रांत से गिरफ्तार किया गया। इन सभी पादरियों पर धार्मिक तरीकों का उपयोग करके ब्रेनवॉश करने का आरोप लगाया गया है। इसके अलावा 10 छात्रों को भी शाहेकियाओ प्रांत से गिरफ्तार किया गया है।

चीन में लागू हुए धार्मिक गतिविधियों से जुड़े नए कानून

1 मई 2021 को चीन में धार्मिक गतिविधियों से संबंधित नए कानून लागू हुए जो कई मायनों में कड़े और प्रतिबंधात्मक हैं। चीन में ईसाई पादरी को अब चाइनीज कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस द्वारा अप्रूव होना चाहिए जो कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार द्वारा समर्थित है। इसके अलावा पद पर बने रहने के लिए आवश्यक है कि पादरी वर्ग चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के नेतृत्व का हमेशा समर्थन करता रहे।

कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चीन ने अपने ऐप स्टोर से कई ऐसे एप्लीकेशन को हटा दिया है जो बाइबिल से संबंधित थे। इसके अलावा ईसाइयों के कई प्रभावी लोगों के वीचैट अकाउंट्स को भी डिलीट कर दिया गया है। चीन पर आरोप है कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है जिससे ईसाइयों की ऑनलाइन उपस्थिति को सीमित किया जा सके।

चीन में हजारों की संख्या में तोड़े या बंद किए गए चर्च

चीन बाइबिल को भी बदलने की कोशिश कर रहा है और उसे चीन के हिसाब से ही बनाने के प्रयास में जुटा हुआ है। इसके अलावा रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि चीन के कई हिस्सों में हजारों की संख्या में चर्च या तो तोड़ दिए गए या बंद हो गए हैं। चीन के कई प्रांतों में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को चर्च में जाने का अधिकार भी नहीं है।

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी कमीशन की 2021 की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि ऐसे ईसाई बिशप चीन की हिरासत में हैं जिन्होंने चीनी कम्युनिस्ट सरकार द्वारा समर्थित कैथोलिक एसोसिएशन से जुड़ने से इनकार का दिया। ये ईसाई बिशप चीन की प्रताड़ना का शिकार हो रहे हैं।

चीन हमेशा से ही मानव और धार्मिक अधिकारों को कुचलने का आरोपी रहा है, चाहे वो शिनजियांग में उइगर मुस्लिम हों या फिर तिब्बती। हालाँकि विश्व समुदाय और कई मानव अधिकार संस्थाएं समय-समय पर चीन का विरोध करती रहती हैं और चीन द्वारा सरकार समर्थित मानव अधिकारों के दमन पर रिपोर्ट जारी करती रहती हैं लेकिन चीन इन रिपोर्ट्स को एक सिरे से नकार देता है और अपनी नीतियों पर अडिग रहता है।     

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया