वेटिकन ने निष्कासित सिस्टर लूसी कलपूरा की तीसरी याचिका भी खारिज कर दी है। इस याचिका में कलपूरा ने अपने निष्कासन को रद्द करने की माँग की थी। दरअसल दो साल पहले बलात्कार के आरोपित पूर्व बिशप फ्रेंको मुलक्कल का विरोध करने के बाद कलपूरा से नन की पदवी छीन ली गई थी।
सिस्टर लूसी कलपूरा ने बताया कि उन्हें शनिवार (12 जून) को वैटिकन ने इस मामले में नोटिस भेजा जिसमें उनके द्वारा की गई अपील को खारिज करने की बात कही गई है। इसके बाद एर्नाकुलम के फ्रान्सिस्कन क्लैरिस्ट कॉंग्रेगेशन ने कलपूरा को कॉन्वेंट खाली करने का आदेश दे दिया।
https://twitter.com/ANI/status/1404331842677870592?ref_src=twsrc%5Etfwइस नोटिस के मिलने पर कलपूरा ने रिपब्लिक से कहा, “मुझे नहीं पता कि क्या हो रहा है? मैं दुनिया को सच्चाई बताना चाहती हूँ। वैटिकन ने मेरे मामले में एक बार भी ट्रायल नहीं किया। मुझे पता नहीं यह कैसे होगा लेकिन मैं कॉन्वेंट में ही रहूँगी।“
अगस्त 2019 में बलात्कार आरोपित बिशप फ्रैंको मुलक्कल के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन करने वाली नन सिस्टर लूसी कलपूरा को ईसाइयों के धार्मिक संगठन फ्रान्सिस्कन क्लैरिस्ट कॉंग्रेगेशन (एफसीसी) से निकाल दिया गया था। इसके बाद वह अपने निष्कासन के लिए दो बार पहले भी अपील कर चुकी है।
हालाँकि उन पर अपनी शिकायत वापस लेने का दबाव भी बनाया जा रहा था जिस पर उन्होंने पुलिस से अपनी शिकायत वापस लेने और माफ़ी माँगने से भी इनकार किया था। कैथोलिक क्रिश्चन सोसायटी एफसीसी ने कारण बताओ नोटिस जारी कर उनसे माफ़ी माँगने और शिकायत वापस लेने को कहा था। सिस्टर लूसी का कहना था कि सितंबर 2018 के बाद उनके साथ जिस तरह का व्यवहार किया गया, उन्हें जिस तरह टॉर्चर किया गया, इसके लिए एफसीसी को उनसे माफी माँगनी चाहिए।
जून 2018 में एक 43 वर्षीय नन ने एक पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए पूर्व बिशप फ्रेंको मुल्लकल पर आरोप लगाया था कि, 2014 में एक जरूरी मुद्दे पर चर्चा करने के बहाने मुलक्कल ने उसे बुलाकर उसका यौन उत्पीड़न किया था। इसके बाद यह क्रम लगातार दो वर्ष तक जारी रहा। इसके बाद इस मामले की जाँच के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था। सिस्टर लूसी कलपूरा उन पॉंच ननों में शामिल हैं जिन्होंने बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर रेप का आरोप लगाने वाली नन का समर्थन किया था।