हमास की जिस बर्बरता से दुनिया स्तब्ध, उसे अमेरिका के 60 फीसदी मुस्लिम मानते हैं जायज: सर्वे से सामने आई इस्लामी सोच

यूएस में व्हाइट हाउस के सामने फिलिस्तीन के प्रदर्शन करते अमेरिकी मुस्लिम (फोटो साभार: CBC News)

हमास द्वारा इजरायल पर 7 अक्टूबर 2023 को किए गए हमले को दुनिया में आतंकी हमला बताया जा रहा है। वहीं, अगर 60 फीसदी अमेरिकन मुस्लिम ये कहें कि हमास का इजरायल पर किया हमला पूरी तरह से जायज था तो हैरानी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि हमले के बाद से ही दुनिया का मुस्लिम समुदाय फिलिस्तीन के पक्ष में खड़ा दिख रहा है।

ये खुलासा इस साल अक्टूबर 2023 की शुरुआत में इज़रायल-हमास संघर्ष पर मुस्लिम अमेरिकियों के नजरिए के बारे में साइग्नल (Cygnal) के किए सर्वे से हुआ है। ये सर्वे 16 से 18 अक्टूबर को 2,020 लोगों के बीच किया गया था। इस सर्वे का मकसद मुस्लिम-अमेरिकी समुदाय में इजरायल-हमास संघर्ष पर उनकी राय जानना था।

गौरतलब है कि हमास के इज़रायल पर किए गए आतंकवादी हमले के बाद ही संयुक्त राज्य अमेरिका के कई शहरों में फिलिस्तीन समर्थक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। इसके बाद ही यह सर्वे कराया गया था। हमास के आतंकवादी हमले के जवाब में जब इज़रायल ने गाजा पर हमला तो अमेरिका में फिलिस्तीन समर्थकों के हिंसक प्रदर्शन की कई घटनाएँ हुईं।

2,020 लोगों पर किए गए सर्वे के नतीजों से पता है चला कि 57.5 फीसदी मुस्लिम अमेरिकी मानते हैं कि हमास का इज़रायल पर हमला सही था। मुस्लिम अमेरिकियों में ये भावना इस्लामिक उम्मा के मुताबिक है, जो ये मानता है कि दुनिया में सभी मुस्लिमों को एक-दूसरे के समर्थन में खड़ा होना चाहिए।

अमेरिकी मुस्लिम कॉन्ग्रेस सदस्य रशीदा तालिब इसका बेहतरीन उदाहरण हैं। उन्होंने हमास के कामों को इजरायल के नस्लवाद वाले मुल्क के खिलाफ प्रतिरोध बताकर हमास का समर्थन किया है। अमेरिकन मुस्लिमों का हमास के लिए ये प्यार वहाँ के राष्ट्रपति जो बायडेन पर भी भारी पड़ता नजर आता है।

सर्वे बताता है कि मुस्लिम अमेरिकन वहाँ के राष्ट्रपति जो बायडेन के मुकाबले हमास नेता इस्माइल हानियेह सहित इस्लामी नेताओं को अधिक पसंद करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि केवल 31.9 फीसदी मुस्लिम अमेरिकी राष्ट्रपति बायडेन को पसंद करते हैं तो 44 फीसदी फिलिस्तीनी के राष्ट्रपति महमूद अब्बास का समर्थन करते हैं।

सर्वे में ये भी खुलासा हुआ है कि हमास के हमलों के बाद मुस्लिम अमेरिकियों नजरिए में वहाँ की राजनीतिक पार्टियों को लेकर भी थोड़ा बदलाव आया है। दिलचस्प बात ये है कि इसमें रिपब्लिकन पार्टी (25.2%) के मुकाबले डेमोक्रेटिक पार्टी (31.1%) को अधिक तवज्जो दी गई है। अमेरिका के राष्ट्रपति बायडेन डेमोक्रेटिक पार्टी से हैं।

वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति के मुकाबले अमेरिकन मुस्लिम हमास के लीडर के अधिक प्रशंसक हैं। इस सर्वे में इजरायल के खुद की रक्षा के अधिकार पर अमेरिकन मुस्लिमों की राय जानने की कोशिश की गई। इसमें 68.8 फीसदी ने माना कि इजरायल को हमास से अपनी रक्षा का हक है, लेकिन 69 फीसदी अमेरिकन मुस्लिम मानते हैं कि गाजा में फिलिस्तीनियों की इजरायल को लेकर शिकायतें जायज हैं।

जहाँ पॉलिसी के तहत इस मसले की समाधान निकालने की बात आती है तो 46.8% मुस्लिम अमेरिकी हमास का गाजा से खात्मा करने के लिए इजरायल को वहाँ हमले करने का सुझाव देते हैं। वहीं 75.8% इजरायल के बंधकों की रिहाई के लिए इज़रायल और हमास के बीच बातचीत की वकालत करते दिखते हैं।

ये सर्वे इसलिए आयोजित किया गया, क्योंकि फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डेसेंटिस, ओक्लाहोमा के गवर्नर केविन स्टिट और टेक्सास के गवर्नर ग्रेग एबॉट जैसे रिपब्लिकन गवर्नरों के इज़रायल और यहूदी का समर्थन किया था। गर्वनर एबॉट और स्टिट इजरायल को समर्थन देने के लिए वहाँ गए भी थे। दरअसल फ्लोरिडा अकेला ऐसा राज्य है, जो अब तक इज़रायल में फँसे कम-से-कम 700 अमेरिकियों को घर वापस लाया है।

बताते चलें कि अमेरिकी कॉन्ग्रेस ने बीते हफ्ते फिलिस्तीन के पक्ष में बोलने वाली फिलीस्तीनी-अमेरिकी मूल की रशीदा तालिब को सेंसर करने के लिए वोटिंग की थी। तालिब ने हमास के युद्ध नारे ‘नदी से समुद्र तक, फिलिस्तीन आजाद होगा’ का समर्थन किया था। इसके बाद तालिब ने इस पर माफी माँगने से भी इंकार कर दिया था।

तालिब ने इसके पीछे तर्क दिया था कि वो इसके लिए माफी नहीं माँगेंगी, क्योंकि नदी से समुद्र तक आजादी का मतलब मानवाधिकार और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की आकांक्षापूर्ण पुकार है, मौत, विनाश या नफरत की नहीं। तालिब ने ये भी कहा था, “मेरा काम और वकालत हमेशा सभी लोगों के लिए इंसाफ और इज्जत पर फोकस है, चाहे वे किसी भी धर्म या जाति के हों।”

इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन की 1988 की हमास संधि की प्रस्तावना में ये है कि इजरायल का अस्तित्व तब तक ही रहेगा, जब तक मुस्लिम उसे खत्म नहीं कर देते। ये ऐलान मिस्र के मुस्लिम ब्रदरहुड की नींव रखने वाले इमाम हसन अल बन्ना ने किया था। उसने कहा था, “इजरायल अस्तित्व में रहेगा और तब तक अस्तित्व में रहेगा जब तक कि इस्लाम इसे खत्म नहीं कर देता, जैसे उसने इससे पहले दूसरों को मिटा दिया था।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया