भारत में आत्मघाती हमले की फिराक में था ISIS-K, बढ़ते खतरों को लेकर अमेरिका ने किया आगाह

बगदादी और उसके उत्तराधिकारी के मारे जाने के बावजूद दुनियाभर में ISIS की 20 शाखाएँ सक्रिय हैं

खूँखार आतंकी संगठन आईएसआईएस का मुखिया बगदादी भले ही मारा गया हो, लेकिन उसके संगठन के अन्य आतंकी अभी भी सक्रिय हैं। ये परेशानी का सबब भी बन सकते हैं।आईएसआईएस का एक खोरासन समूह है, जो अफ़ग़ानिस्तान से ऑपरेट होता है। इसे आईएसआईएस-के भी कहा जाता है। अमेरिका के शीर्ष अधिकारियों ने जानकारी दी है कि दक्षिण एशिया में आतंक फैलाने की मंशा रखने वाले आईएसआईएस-के ने पिछले साल भारत में आत्मघाती हमले का प्रयास किया था। अमेरिका के ‘काउंटर टेररिज्म सेंटर’ के नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर रसेल ट्रैवर्स ने मंगलवार (नवंबर 5, 2019) को इस बाबत जानकारी दी।

अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि पूरी दुनिया में आईएसआईएस की 20 से भी अधिक शाखाएँ सक्रिय हैं। इनमें आईएसआईएस-के सबसे ज्यादा खूँखार है। आईएसआईएस के इस समूह में 4,000 आतंकियों के शामिल होने की आशंका है। ट्रैवर्स ने भारतीय मूल की सीनेटर मैगी हसन के सवालों का जवाब देते हुए ये बातें कही। आईएसआईएस-के ने अफ़ग़ानिस्तान से बाहर पाँव फैलाने के लिए कई देशों में आत्मघाती हमलों की योजना बनाई थी। इसी क्रम में उन्होंने भारत में आत्मघाती आतंकी हमला करने का प्रयास भी किया था।

हसन पिछले महीने अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के दौरे पर थीं। वहाँ उन्होंने पाया कि अमेरिकी सेना सबसे ज्यादा आईईआईएस-के को लेकर चिंतित है। इस संगठन का प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है और उनके मंसूबे खतरनाक हैं। आईएसआईएस के इस अफ़ग़ानिस्तान ब्रांच को लेकर चिंतित होने की एक वजह ये भी है कि ये संगठन न सिर्फ़ दक्षिण एशिया, बल्कि अमेरिका कोई धरती को दहलाने के लिए भी साजिश रच रहा है। आईएसआईएस की 20 शाखाओं में से कई अपने आतंकी मंसूबों को कामयाब बनाने के लिए ड्रोन का सहारा ले रहे हैं।

आईएसआईएस-के ने 2 साल पहले न्यूयॉर्क में आतंकी हमले की साजिश रची थी, लेकिन ऐन मौके पर अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी एफबीआई ने इस साजिश को नाकाम कर दिया। 2017 में स्टॉकहोम में आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 5 लोग मारे गए थे। सीरिया और इराक में भले ही अमेरिका ने आईएसआईएस की कमर तोड़ दी हो, लेकिन उसका नेटवर्क इतना ज्यादा फैला हुआ है कि ये आतंकी संगठन शायद ही शांत बैंठे। ट्रैवर्स ने बताया है कि 9/11 आतंकी हमले के समय जितने कट्टरपंथी आतंकी थे, आज उनकी संख्या उससे कई गुना ज्यादा हो गई है। आज इन आतंकी संगठनों में जो आतंकी हैं, उनके मन में कट्टरता और घृणा की भावना उस समय से काफ़ी ज्यादा है।

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अमेरिका की चिंता ये है कि आतंकियों से तो सेना और ख़ुफ़िया विभाग निपट लेगा, लेकिन उनकी कट्टरपंथी विचारधारा से निपटने में ये संसाधन काम नहीं आएँगे। आतंकी कट्टरवाद से लड़ने के लिए अमेरिका को नए मैकेनिज्म पर काम करने की ज़रूरत है, ऐसा वहाँ के अधिकारियों व नेताओं का मानना है। अलकायदा का हक्कानी नेटवर्क भी चिंता का सबब बना हुआ है, जो अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान में अमेरिकी सुरक्षा बलों को निशाना बनता रहता है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया