‘काश अल्लाह ने हम औरतों को बनाया ही नहीं होता’: शिक्षा-नौकरी पर बैन के बाद अफगानिस्तान की महिलाओं का दर्द, कहा – हो रहा जानवरों से भी बदतर सलूक

अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा महिलाओं की शिक्षा और काम करने पर रोक का हो रहा विरोध (फोटो साभार: DW)

अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद से तालिबान ने वहाँ इस्लामिक कानून शरिया के तहत कई कड़े नियम लागू किए हैं। गत सप्ताह तालिबान ने महिलाओं की उच्च शिक्षा और गैर-सरकारी संगठनों में काम करने पर रोक लगा दी। इसके बाद से, अफगानिस्तान में रहने वाली महिलाओं की स्थिति पर संकट और अधिक गहरा गया है। मौजूदा हालातों को लेकर एक अफगानी महिला ने कहा है कि काश अल्लाह ने महिलाओं को न बनाया होता।

दरअसल, अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान में कब्जा कर लिया था। इसके बाद से अब तक, तालिबान ने महिलाओं के पार्क में जाने, स्कूली शिक्षा, महिलाओं के सार्वजनिक स्थानों चेहरा ढँकने, बिना पुरुष साथियों के बाहर निकलने पर प्रतिबंध जैसे कई फरमान जारी किए थे। इसके बाद अब, तालिबान ने महिलाओं की उच्च शिक्षा पर भी रोक लगा दी गई है।

इस रोक को लेकर एक 19 वर्षीय अफगानी महिला ने कहा है कि वह पढ़ने के लिए विश्वविद्यालय जाना चाहती है। लेकिन प्रतिबंध के बाद वह नहीं जा सकती। उसने तालिबानी सरकार के फैसले पर दुःख जताते हुए कहा, “काश अल्लाह ने कभी औरत नहीं बनाई होती। अगर हम इतने बदकिस्मत ही हैं तो इससे अच्छा है कि हम मर जाएँ। हमारे साथ जानवरों से भी बदतर व्यवहार किया जा रहा है। जानवर खुद से कहीं भी जा सकते हैं, लेकिन हम लड़कियों को अपने घरों से बाहर कदम रखने का भी अधिकार नहीं है।”

तालिबान सरकार के इस फैसले का वहाँ लगातार विरोध हो रहा है। सोशल मीडिया पर इस प्रदर्शन की कई तस्वीरें और वीडियो सामने आ रहे हैं। विरोध कर रही लड़कियों का कहना है, “तालिबान ने यूनिवर्सिटी से लड़कियों को बाहर कर दिया। बाहर के सम्मानित लोग, कृपया हमारा समर्थन करें, या तो सभी के लिए अधिकार हो या किसी के लिए नहीं।”

रिपोर्ट के अनुसार, राजधानी काबुल में हुए प्रदर्शन के बाद तालिबानी सरकार ने विरोध कर रही लड़कियों को गिरफ्तार किया था। इनमें से कुछ लोगों को बाद में छोड़ दिया गया। वही, कुछ ऐसे वीडियो भी सामने आए हैं जिनमें तालिबान के सुरक्षा अधिकारियों को अपने अधिकारों के हनन का विरोध कर रही महिलाओं के साथ मारपीट करते देखा जा सकता है।

अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा महिलाओं पर लगाए गए प्रतिबंध को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ चिंता जताई है। यही नहीं, यूएन ने अफगानिस्तान में कई कार्यक्रमों को भी रोक दिया है। साथ ही, चेतावनी देते हुए कहा है कि इन प्रतिबंधों के कारण संयुक्त राष्ट्र कुछ अन्य चीजों पर भी रोक लगा सकता है। इस चेतावनी को लेकर अनुमान लगाया जा रहा है कि संयुक्त राष्ट्र अफगानिस्तान को मिलने वाली फंडिंग पर रोक लगा सकता है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया