अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने तालिबान के सामने घुटने टेकने से साफ़ इनकार कर दिया है। उन्होंने मंगलवार (17 अगस्त) को खुद को देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर दिया है। उनका कहना है कि इस मामले पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से बहस करना बेकार है। हम अफगानिस्तानियों को खुद ही अपनी लड़ाई लड़नी होगी। उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका और नाटो ने भले ही अपना हौसला खो दिया हो, लेकिन हमारी उम्मीद अभी बाकी है।
सालेह ने ट्वीट किया, ”स्पष्टीकरण: अफगानिस्तान के संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति, पलायन, इस्तीफे या मृत्यु की हालत में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति बन जाता है। मैं इस समय अपने देश में हूँ और वैध कार्यवाहक प्रेसिडेंट हूँ। मैं सभी नेताओं से उनके समर्थन और आम सहमति के लिए संपर्क कर रहा हूँ।”
https://twitter.com/ANI/status/1427637990474530828?ref_src=twsrc%5Etfwवहीं, अफगानिस्तान से सेना को वापस बुलाने को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की अपने ही देश में लगातार आलोचना जारी है। अब डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद जिम लैंगविन ने लेख लिखकर कहा है कि उन्होंने सेना वापसी का विरोध किया था। डेमोक्रेट नेता ने अफगानिस्तान की हालिया स्थिति पर सवाल खड़े किए हैं।
विदेश नीति पर अपने लेख में उन्होंने कहा, ”मई 2021 में सेना वापसी को लेकर U.S. House Armed Services Committee की एक बैठक हुई थी। इसमें लैंगविन ने सेना के वरिष्ठ अधिकारी से पूछा था कि अगर अफगानिस्तान से सेना की वापसी के बाद वहाँ की स्थिति बिगड़ती है और अफगान सरकार मदद माँगती है, तो अमेरिका का क्या स्टैंड होगा? इस पर अधिकारी ने कहा था कि वो काल्पनिक सवालों के चक्कर में नहीं पड़ना चाहते हैं। लैंगविन ने लेख में आगे कहा है कि कमेटी के सभी सदस्यों ने इससे संबंधित सवाल पूछे थे, लेकिन उन्हें कोई तर्कसंगत जवाब नहीं मिला था।”
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अफगानिस्तान में तेजी से बदलते घटनाक्रम का ब्योरा देते हुए ब्रिटिश रेडियो पर ब्रिटेन के रक्षा सचिव बेन वालेस अचानक रो पड़े। उन्होंने कहा कि कुछ स्थानीय अफगान कर्मचारी वहाँ से वापस नहीं लौट पाएँगे। रक्षा सचिव ने कहा कि उन्हें वास्तव में बेहद अफसोस हो रहा है कि ब्रिटेन के लिए रवाना होने के योग्य सभी अफगान लोगों को अफगानिस्तान से निकाल पाना संभव नहीं होगा।