बच्चों का इस्तेमाल सैनिकों के रूप में कर रहा ईरान, हिजाब विरोधी प्रदर्शनकारियों को एंबुलेंस से किया जा रहा गिरफ्तार: चुपचाप दफनाए जा रहे शव

ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन हुआ उग्र, पुलिस चुपचाप दफना रही शव (फोटो साभार: EPA)

ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन बढ़ता जा रहा है, जिससे यह कहना गलत नहीं होगा कि ईरान अब गृह युद्ध की स्थिति में पहुँच चुका है। इस विरोध प्रदर्शन की शुरुआत हिजाब न लगाने के कारण गिरफ्तार की गई 22 वर्षीय महसा अमीनी की पुलिस कस्टडी में मौत के बाद हुई थी। इसके बाद से अब तक विरोध प्रदर्शन के दौरान करीब 100 लोग मारे चुके हैं। इनमें से एक निका शकरामी का शव ईरानी सुरक्षाकर्मियों ने उसके घर वालों को सौंप दिया है।

एक ईरानी महिला ने बताया कि पिछले 43 वर्षों से इस्लामी मुल्क में पिता या पति की इजाजत के बिना महिलाओं को देश से बाहर जाने तक का अधिकार नहीं है। ऑनर किलिंग भी यहाँ आम बात रही है। महिलाओं ने बताया कि पुलिस प्रदर्शनकारियों की हत्या कर के चुपचाप शव दफना रही है, उनके परिवार तक को लाश नहीं दी जा रही। एंबुलेंस का प्रयोग कर के गिरफ्तारियाँ की जा रही हैं और बच्चों का इस्तेमाल सैनिकों के रूप में किया जा रहा है।

निका शकरामी महज 17 साल की थी। वह हिजाब विरोधी प्रदर्शन में महसा अमीनी की आवाज बनकर प्रदर्शन कर रही थी। लेकिन, वहाँ की कट्टरपंथी सरकार ने उसका हश्र महसा अमीनी की तरह कर दिया। निका तेहरान के केशरवेज़ बुलेवॉर्ड में हिजाब विरोधी प्रदर्शन में शामिल थी। इस जगह पर हजारों ईरानी लड़कियाँ अपने हक की लड़ाई लड़ रहीं थीं।

ईरान पुलिस उसे यहीं से उठाकर ले गई थी। इसके बाद उसे कहाँ रखा गया, उसके क्या किया गया कोई खबर नहीं थी। नौ दिनों तक जब लड़की वापस नहीं आई तो घरवालों ने हर जगह खोजा मगर उसकी कोई खबर नहीं थी। जिसके बाद 29 सितंबर को पुलिस द्वारा घरवालों को सूचना देते हुए कहा गया कि निका शकरामी जैसे दिखने वाली एक लड़की मिली है।

इसके बाद, जब घरवाले निका को देखने गए तो उन्हें उसका चेहरा तक नहीं देखने दिया गया। ईरान पुलिस की ओर से कहा गया कि निका किसी ऊँची जगह से गिर गई है जिससे उसकी मौत हो गई है। हालाँकि, घरवालों को आरोप है कि ईरानी प्रशासन की ओर से कहा गया कि इस बारे में किसी को कुछ न बताएँ और इसका अंतिम संस्कार भी सामान्य तरीके से ही होना चाहिए।

निका शरकामी के चाचा का कहना है कि उन्हें जब निका को दिखाया गया तो सब कुछ बेहद आसामान्य लग रहा था। उसका शव ऐसा था जैसे उसके साथ बर्बरता की गई हो। उसकी नाक कटी हुई थी। उसका सिर भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त था। जैसे किसी भारी चीज से उसके सिर पर सैकड़ों वार किए गए हों।

गौरतलब है कि 16 सितंबर से शुरू हुए यह आंदोलन अब विकराल रूप धारण करता जा रहा है। प्रदर्शनकारी हिजाब की बाध्यता दूर करने की माँग को लेकर डटे हुए हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वह अंतिम सांस तक अपने अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे। यब प्रदर्शन अब ईरान के सभी 31 प्रांतों के 164 शहरों में फैल गया है। इस प्रदर्शन के दौरान, अब तक 15000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। जबकि, करीब 132 लोगों की मौत हो चुकी है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया