ऑस्ट्रेलिया के मुस्लिमों को ज्ञान देगा तालिबान, इस्लामिक संगठन ने बनाया वक्ता: प्रताड़ित हजारा समुदाय सहित विरोध में उतरे लोग

16 अक्टूबर को होने वाले बेबिनार का पोस्टर (साभार:AFIC)

ऑस्ट्रेलियन फेडरल ऑफ इस्लामिक काउंसिल्स (AFIC) ने 16 अक्टूबर 2021 को होने वाले लाइव वेबिनार में अपनी बात रखने के लिए दो तालिबानी कट्टरपंथियों को वक्ताओं के रूप में आमंत्रित किया है। इस्लामिक काउंसिल के इस कदम का अफगान शरणार्थियों और ऑस्ट्रेलियाई दिग्गजों ने विरोध किया है।

अफगान तालिबान के जिन दो लोगों को आमंत्रित किया गया है, उनमें शेख सुहैल शाहीन और शेख सैयद अब्दुल बशीर साबरी शामिल है। खास बात यह है कि इससे पहले जब अफगानिस्तान अमेरिकी सेना के जाने के बाद तालिबान ने वहाँ पर कब्जा कर लिया था तो शाहीन का ऑस्ट्रेलियाई और अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इंटरव्यू लिया था।

साभार: एएफआईसी वेबिनार

AFIC द्वारा जारी बयान के अनुसार, वे वेबिनार के लिए ‘स्पीकरों के प्रसिद्ध पैनल’ को एक साथ लाए हैं। यदि उन पर विश्वास किया जाए तो ये पैनल ‘अफगानिस्तान के भविष्य और हमारी भूमिका पर चर्चा करेगा, भले ही हम हाल के घटनाक्रमों के पक्ष में हों या खिलाफ।’

शरणार्थियों ने जताई चिंता

अफगानिस्तान के हजारा मुस्लिम और शरणार्थी वकील सिताराह मोहम्मदी ने इसे ‘पूरी तरह से गलत’ कहा। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही भयावह लग रहा है कि तालिबान के कट्टरपंथियों को ऑस्ट्रेलिया में इस्लामी समुदाय को संबोधित करने के लिए एक मंच मिल रहा है, जहाँ वह तालिबानी प्रचार करेगा।

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उन्होंने आगे कहा, “हजारा समुदाय का सदस्य रहते हुए मेरा परिवार और मैं 1990 के दशक के अंत में तालिबान के शासन से जान बचाकर भाग गए थे। इस तरह के प्रमुख कार्यक्रम में इस तरह के चेहरों को देखना काफी दर्दनाक है। हमारे लोगों ने उनके हाथों इतनी भयानक पीड़ा झेली है और आज भी ऐसा ही कर रहे हैं।”

मोहम्मदी के अनुसार, इस आयोजन से तालिबान को वैश्विक वैधता प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इसका असर यह होगा कि लॉक किए गए अंतरराष्ट्रीय धन खोल दिए जाएँगे, जिससे तालिबानी शासन के तहत अफगानिस्तान पर दमनकारी शासन मजबूत होगा। उन्होंने ये भी कहा, “यह उन सदस्यों को पैनल में रखने के लिए वैध बनाता है।”

तालिबान को मंच देना खतरनाक

लिबरल सदस्य हर्बर्ट फिल थॉम्पसन AFIC के इस कदम का विरोध करते हुए इसे गलत बताया और कहा कि यह दिग्गजों को नाराज करेगा। थॉम्पसन अफगानिस्तान में जब निजी तौर पर सेना के लिए काम कर रहे थे तो एक बार आईईडी विस्फोट के कारण वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्होंने कहा, “तालिबान के इन दो लोगों को मंच नहीं दिया जाना चाहिए। तालिबान एक गैर मान्यता प्राप्त सरकार है।”

उन्होंने आगे कहा, “हमने युवा लड़कियों को स्कूल जाने से रोकते हुए देखा है। हम देखते हैं कि लड़कियों और महिलाओं को संपत्ति के रूप में माना जाता है। वे बर्बर हैं। इस संगठन को ऑस्ट्रेलिया में मंच नहीं दिया जाना चाहिए।”

संघीय संसद की खुफिया और सुरक्षा समिति के अध्यक्ष सीनेटर जेम्स पैटर्सन ने भी इस कदम को लेकर चेतावनी दी है। उन्होंने आशंका जताई कि यह उन्हें (तालिबान) ‘वैधता के अपने दावों का समर्थन करने’ की अनुमति देगा। पैटर्सन ने आगे कहा, “इसके बजाय हमें उन लाखों अफगान लड़कियों और महिलाओं के लिए स्वतंत्रता के उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए जो अब हिंसा और क्रूरता के इतिहास वाले शासन के नियंत्रण में रह रही हैं।”

एनएसडब्ल्यू लेबर की पुलिस और आतंकवाद विरोधी प्रवक्ता वॉल्ट सिकॉर्ड ने भी इस तरह के आयोजन का विरोध किया। उन्होंने कहा, “यह घटना कट्टरता के रोड मैप की तरह दिखती है। मुझे इस बात से बिल्कुल नाराजगी है कि ऑस्ट्रेलिया में कोई भी संगठन तालिबान और उनके आदिम विचारों को एक मंच प्रदान करेगा।”

AFIC ने घटना को सही ठहराया

AFIC के अध्यक्ष डॉ रतेब जेनिद ने कहा कि उन्होंने तालिबान के सदस्यों को अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ शासन के रूप में उनके इरादों के बारे में सुनने के लिए आमंत्रित किया था। उन्होंने दावा किया कि कई ऑस्ट्रेलियाई मुस्लिमों के प्रियजनों के साथ अफगानिस्तान में जो कुछ भी हो रहा है उससे चिंतित थे। उन्होंने कहा, “हमारे पास अफगान पृष्ठभूमि के कई परिवार हैं जो अफगानिस्तान में अपने प्रियजनों के लिए चिंतित हैं, और वे वहाँ की सरकार की मंशा के बारे में सुनना चाहते हैं। हम यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे कि हम अपने युवाओं को अफगानिस्तान न जाने का संदेश दें।”

तालिबान को मंच देने के कदम को सही ठहराते हुए जेनिद ने कहा, “तालिबान को पूरे इंटरनेट पर हजारों प्लेटफॉर्म दिए गए हैं, उन्हें हमें एक मंच देने की आवश्यकता नहीं है।” इस प्रस्तावित कार्यक्रम के लिए जेनिद, ऑस्ट्रेलिया के नेशनल ग्रैंड मुफ्ती, इमाम अब्दुल कुद्दूस अल अजहरी और इस्लामी कानूनी विद्वान प्रोफेसर मोहम्मद नकीब जान इसमें एक वक्ता के तौर पर शामिल होंगे।

AFIC के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कीसर ट्रेड ने अपने इस फैसले का ही बचाव किया और तालिबान को ‘अफगानिस्तान की सरकार के रूप में मान्यता प्राप्त’ कहा। उन्होंने कहा कि AFIC ने युवा ऑस्ट्रेलियाई मुस्लिमों को ‘गलत कारणों’ से अफगानिस्तान की यात्रा करने से रोकने की माँग की, क्योंकि पहले लोग इस्लामिक समूहों में शामिल होने के लिए इराक और सीरिया की यात्रा करते थे।

उन्होंने दावा किया कि AFIC का मानना ​​​​था कि तालिबान युवा ऑस्ट्रेलियाई मुस्लिमों को अफगानिस्तान की यात्रा नहीं करने के लिए मनाने में उनका समर्थन करेगा। उन्होंने आगे कहा, “हम अपने बच्चों को विदेशी मामलों में शामिल नहीं देखना चाहते हैं और हम निश्चित रूप से उन्हें सुपरमैक्स जेल में भी नहीं देखना चाहते हैं।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया