‘हम हिन्दू थे इसलिए हमारा घर जलाया’ : बांग्लादेशी कट्टरपंथियों का शिकार हुई बुजुर्ग महिला ने सुनाई दर्दनाक आपबीती, पूछा- हमारी गलती तो बताओ

दीपाली रानी ने बेटे संग बिस्तर के नीचे छिप बचाई जान (फोटो साभार: डेली स्टार)

बांग्लादेश (Bangladesh) में नरैल के लोहागारा के सहपारा इलाके में एक फेसबुक पोस्ट से गुस्साए कट्टरपंथी मुस्लिमों (Radical Islam) की भीड़ ने हिन्दुओं के एक मंदिर, किराने की दुकान और कई घरों को तोड़ दिया। इतना ही नहीं उसमें आग भी लगा दी। अब इस्लामिक हिंसा के पीड़ित हिन्दू इस्लामिक कट्टरता की कहानी बयाँ कर रहे हैं।

इसी क्रम में 62 वर्षीय दीपाली रानी साहा ने कहा कि जिस वक्त उन्मादी भीड़ ने हमला किया, उस दौरान वो अपने बेटे के साथ अपने घर से सटे एक शेड में बिस्तर के नीचे छिपी हुई थीं। वो कहती हैं कि उनके घरों को केवल इसलिए जला दिया गया, क्योंकि वो एक हिन्दू हैं।

दीपाली कहती हैं कि वो शुक्रवार की उस रात को कभी नहीं भूल सकती, जब इस्लामिक दंगाइयों ने न सिर्फ घर से कीमती सामानों को लूटा, बल्कि उसे जला भी दिया। वो कहती हैं,

“एक समूह ने हमारा सारा कीमती सामान लूट लिया, दूसरा समूह आया और हमारा दरवाजा खुला पाया। चूँकि लूटने के लिए कुछ नहीं बचा था, उन्होंने हमारे घर में आग लगा दी।”

दीपाली के मुताबिक, “वे (जहाँ हम छिपे हुए थे) अंदर नहीं जा सके क्योंकि यह बंद था। उन्होंने फिर अगले दरवाजे पर मंदिर पर हमला किया और मूर्ति को तोड़ दिया।”

दीपाली का घर उन तीन घरों और दर्जनों दुकानों में से एक था, जिसे नरैल के लोहागरा उपजिला के दिघलिया संघ के सहपारा गाँव में तोड़ कर जला दिया गया। पीड़ित महिला बताती हैं कि भीड़ जुमे की नमाज के बाद 18 वर्षीय छात्रा आकाश साहा के घर के सामने प्रदर्शन कर रही थी, लेकिन जब भीड़ को पता चला कि वो घर में नहीं है, तो उन्होंने पड़ोस के हिन्दुओं के घरों पर हमले शुरू कर दिए, जिनका इससे कोई लेना देना नहीं था।

इस्लामिक दंगाइयों ने जलाया दीपाली रानी का घर (फोटो साभार: डेली स्टार)

उन्होंने बताया कि कैसे राय की छोटी-सी संपत्ति को भी नहीं बख्शा गया। सिर्फ इसलिए कि छात्र हिंदू है। वो कहती हैं, “मैं पैसे नहीं माँग रहा हूँ, मैं मदद नहीं माँग रही हूँ। मैं जवाब माँग रही हूँ – मेरे घर में आग क्यों लगाई गई?” लोगों का कहना था कि अब वो लोग उस गाँव में सुरक्षित महसूस नहीं करते। हमले के बाद सहपारा गाँव में 108 हिन्दू घरों में सन्नाटा पसर गया है।

दिघलिया संघ परिषद की आरक्षित सीट की पूर्व महिला सदस्य ब्यूटी रानी बताती हैं कि अधिकतर सक्षम लोग गाँव छोड़कर चले गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग सभी घरों में ताला लगा है। कुछ परिवारों के बुजुर्ग ही घर में हैं। वे भी डरे हुए हैं। इसी तरह एक बुजुर्ग राधा-गोविंदा मंदिर के अध्यक्ष 65 वर्षीय शिबनाथ साहा ने कहा कि पुलिस गाँव में पहरा दे रही है, लेकिन हम उन पर भरोसा नहीं कर सकते।

ब्यूटी रानी ने भी यही कहा। उनका आरोप है, “जब हम पर हमला किया जा रहा था, तो पुलिस वहाँ थी। वे दूर से देख रहे थे और कोई भी हमें बचाने नहीं आया। पुलिस पर अब भरोसा नहीं किया जा सकता है और इसलिए लोग गाँव छोड़ रहे हैं।”

इस्लामिक हिंसा का शिकार हुए उर्वरक डीलर गोपाल साहा ने खुद पर हुए हमले का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “मैं 22 साल से बाजार में कारोबार कर रहा हूँ। मुझे मारने का एकमात्र कारण यह था कि मैं हिन्दू हूँ था। आरोपित लड़के का घर मुझसे बहुत दूर है। यह मेरी गलती कैसे है? इस गाँव में अब खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करता।” उल्लेखनीय है कि गाँव में 108 हिन्दू परिवार रहते हैं।

क्या है पूरा मामला

गौरतलब है कि नरैल के एक 18 वर्षीय हिन्दू छात्र ने कथित तौर पर फेसबुक पर एक पोस्ट किया था। इस्लामवादियों की कथित तौर पर इससे भावनाएँ आहत हो गईं। जिसके बाद शुक्रवार (15 जुलाई 2022) को जुमे की नमाज के इस्लामिक भीड़ ने नरैल के साहापारा गाँव में जमकर हिंसा की। कई घरों और दुकानों में तोड़फोड़ करने के बाद उनमें आग लगा दी गई। साथ ही मंदिर में घुसकर मूर्ति को भी तोड़ दिया गया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया