कोहिनूर को ‘विजय प्रतीक’ के रूप में दिखाएगा ब्रिटेन, प्रदर्शनी लगाकर बताएगा इतिहास: महारानी एलिजाबेथ के ताज में जड़ा था हीरा

कोहिनूर को 'विजय के प्रतीक' के रूप में दिखाएगा ब्रिटेन (फोटो साभार: HT)

भारत के विश्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीरे (Kohinoor) को ब्रिटेन (Britain) ‘विजय के प्रतीक’ के रूप में प्रदर्शित करेगा। प्रदर्शन के लिए हीरे को ‘टावर ऑफ लंदन’ में रखा जाएगा। 26 मई 2023 से आम लोग इसे देख सकेंगे। कोहिनूर को प्रदर्शित करने के साथ ही फोटो, वीडियो और प्रेजेंटेशन के जरिए इसका इतिहास बताने की कोशिश की जाएगी। यह कई साम्राज्यों के जीत का प्रतीक रहा है।

दरअसल, कोहिनूर हीरा ब्रिटेन की दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के ताज में लगा हुआ है। नई महारानी कैमिला ने इस ताज को पहनने से इनकार किया है। इसके बाद अब इस ताज को ‘टावर ऑफ लंदन’ में रखा जाएगा। इसको लेकर ब्रिटेन के महलों का रखरखाव करने वाली चैरिटी हिस्टोरिक रॉयल पैलेसेज (HRP) ने कहा है कि न्यू ज्वेल हाउस एग्जिबिशन द्वारा कोहिनूर के इतिहास के बारे में बताया जाएगा।

यही नहीं, यह भी बताया जाएगा कि कैसे यह मुगलों, ईरान के शाहों, अफगानिस्तान के शासकों और सिख महाराजाओं के लिए विजय का प्रतीक रहा है। वहीं, इसको लेकर ‘टावर ऑफ लंदन’ के गवर्नर एंड्र्यू जैक्सन ने कहा है कि यह साल उनके लिए ऐतिहासिक है। ब्रिटेन के नए किंग चार्ल्स की ताजपोशी 6 मई 2023 को होनी है। टावर ऑफ लंदन इसमें अपनी भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह तैयार है। ताजपोशी के बाद आयोजित होने वाली प्रदर्शनी में कई ताज रखे जाएँगे। इस प्रदर्शनी का उद्देश्य लोगों को तमाम ताजों और उनके इतिहास के बारे में बताना है।

बता दें कि 6 मई 2023 को ब्रिटेन की नई महारानी यानी किंग चार्ल्स तृतीय की पत्नी कैमिला की ताजपोशी होनी है। इस ताजपोशी में उन्होंने कोहिनूर जड़े हुए ताज को पहनने से इनकार कर दिया है। ऐसा माना जा रहा है कि ब्रिटेन के शाही घराने को भारत के साथ संबंध बिगड़ने का डर था। इस कारण कैमिला ने इस ताज को पहनने से इनकार किया। वहीं, अब यह कहा जा रहा है कि वह ताजपोशी में क्वीन मैरी का 100 साल पुराना ताज पहनेंगी।

कोहिनूर का इतिहास सीधे तौर पर भारत से जुड़ा हुआ है। यही कारण है कि इसको लेकर भारत कई बार दावा भी कर चुका है। दरअसल, कोहिनूर दुनिया का सबसे कीमती हीरा है। ऐसा माना जाता है कि यह हीरा 14वीं शताब्दी में आंध्र प्रदेश के गोलकुंडा में स्थित एक खदान में हीरा मिला था। उस वक्त इस हीरे का वजन 793 कैरेट था। हालाँकि, इसके बाद से इसे कई बार काटा गया। इस कारण इसका वजन लगातार घटता चला गया। कोहिनूर के भारत से ब्रिटेन पहुँचने की कहानी के कई किरदार हैं। इसमें मुगल आक्रांताओं से लेकर अंग्रेजी लुटेरे तक शामिल हैं।

जहाँ राजघराने के ताज और अन्य आभूषण रखे जाते हैं, उस टावर ऑफ लंदन को विलियम द कॉन्करर ने 1070 के दशक में लंदन किले के केंद्र में बनवाया था। इस टावर को येओमेन वार्डर्स देखभाल और रक्षा करते हैं। येओमेन वार्डर्स को ‘बीफ इटर्स’ के नाम से भी जाना जाता है। इसमें सेना के 32 महिला और पुरुषों को चुना जाता है। यह यूनाइटेड किंगडम के सबसे सुरक्षित जगह माना जाता है।

इस हीरे पर भारत अपना दावा करता रहा है और इंग्लैंड से इसे लौटाने की माँग भी करता रहा है। आजादी मिलते ही भारत ने कोहिनूर हीरे की माँग की थी, लेकिन उसकी माँग को अंग्रेजों ने खारिज कर दिया। साल 1953 में एक बार फिर इसे माँगा गया, लेकिन फिर इस माँग को खारिज कर दिया गया।

साल 2000 में कई सांसदों ने एक पत्र परहस्ताक्षर कर कोहिनूर की माँग की और कहा कि अंग्रेजों ने इसे जबरदस्ती कब्जाया है। तब इंग्लैंड ने कहा था कि यह 150 सालों से उसी विरासत है। साल 2016 में संस्कृति मंत्रालय ने कहा कि सरकार कोहिनूर लाने का प्रयास कर रही है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया