‘हिन्दू चिह्न स्वस्तिक और नाजी निशान हकेनक्रेज (Hooked Cross) के अंतर को समझें’: कनाडा के सांसद ने प्रोपेगंडा की खोली पोल

कनाडा के सांसद चंद्र आर्य ने हिन्दुओं के प्रतीक चिह्न स्वस्तिक को लेकर चल रहे प्रोपेगंडा को किया बेनकाब

कनाडा के सांसद चंद्र आर्य ने वहाँ के पार्लियामेंट में आवाज़ उठाते हुए अपील की है कि नाजियों के निशान ‘हकेनक्रेज’ की तुलना हिन्दू ‘स्वस्तिक’ से नहीं किया जाए। सोमवार (28 फरवरी, 2022) को उन्होंने संसद में स्पीकर को सम्बोधित करते हुए कहा कि कई धर्मों/मजहबों को मानने वाले 10 लाख कनाडा के नागरिकों, खासकर हिन्दू-कनाडियन समुदाय की तरफ से वो ये बात रख रहे हैं। उन्होंने खुद को भी एक हिन्दू-कनाडियन बताया। उन्होंने समझाया कि स्वस्तिक होता क्या है।

कनाडाई सांसद ने कहा, “मैं संसद के सभी सदस्यों से आग्रह करता हूँ कि वो हिन्दुओं के धार्मिक और पवित्र चिह्न स्वस्तिक और नाजियों के घृणा भरे निशान, जिसे जर्मनी में ‘Hakenkreuz (हकेनक्रेज)’ और अंग्रेजी में ‘Hooked Cross’ कहा जाता है – इन दोनों के बीच के अंतर को समझें। प्राचीन भारतीय भाषा संस्कृत में स्वस्तिक का अर्थ होता है – जो अच्छा सौभाग्य लेकर आए और कल्याण करे। ये एक प्राचीन और काफी पवित्र प्रतीक चिह्न है।”

उन्होंने संसद में कहा कि आज भी हिन्दू इसका प्रयोग करते हैं और हमारे हिन्दू मंदिरों, शुभ कार्यक्रमों (धार्मिक एवं सांस्कृतिक), घर में घुसने वाले दरवाजों एवं हमारे दैनिक जीवन में भी ‘स्वस्तिक’ चिह्न का उपयोग किया जाता है। उन्होंने कहा, “कृपया नाजियों के निशान को ‘स्वस्तिक’ कहना बंद कीजिए।” चंद्र आर्य ने स्पष्ट किया कि हम नाजी प्रतीक ‘हकेनक्रेज’/हुक्ड क्रॉस पर प्रतिबंध का स्वागत करते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसे ‘स्वस्तिक’ बताने का अर्थ है हिन्दुओं के धार्मिक अधिकारों को छीनना।

उन्होंने कहा कि कनाडा में हिंदुओं कोअपने दैनिक जीवन में इसका उपयोग करने से बाध्य किया जाना गलत है। बता दें कि 59 वर्षीय द्रकांत ‘चंद्र’ आर्य ओंटारियो के नेपियन से सांसद (‘हाउस ऑफ़ कॉमन्स’ के मेंबर) हैं। उन्होंने 2015 और 2019 में वहाँ से चुनाव जीता। वो सत्ताधारी ‘लिबरल पार्टी ऑफ कनाडा’ के नेता हैं। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भी इसी पार्टी के हैं। चंद्र आर्य ‘स्टैंडिंग कमिटी ऑन इंटरनेशनल ट्रेड (CIIT)’ के सदस्य भी हैं। ओटावा के बेरहवन में उनका निवास स्थान है।

बता दें कि कनाडा में चल रहे ट्रकर्स प्रदर्शन के दौरान वहाँ के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और ‘न्यू डेमोक्रेक पार्टी’ के नेता जगमीत सिंह ने प्रदर्शनकारियों पर ‘स्वस्तिक लहरा कर घृणा फैलाने’ के आरोप लगाए थे। ‘हिंदुपैक्ट’ नाम के संगठन ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि हिन्दू, सिख और बौद्ध सहित कई समुदाय इसका उपयोग करते हैं और ये नाजी चिह्न से अलग है। कनाडा में हाल के दिनों में कई मंदिरों में भी तोड़फोड़ हुई है। ट्रकर्स प्रदर्शन को रोकने के लिए कनाडा सरकार ने कई कड़े कदम उठाए, जबकि भारत में ‘किसान आंदोलन’ का वहाँ के सत्ताधारी नेताओं ने समर्थन किया था।

जनवरी 2022 में YouTube चैनल ‘आज की तजा खबर (AKTK)’ ने एक डॉक्यूमेंट्री के जरिए ‘स्वस्तिक’ चिह्न को लेकर चले आ रहे प्रोपेगंडा की पोल खोली थी। बताया गया है कि हिटलर ने कैसे हिन्दुओं को एक ‘नीची नस्ल’ बताते हुए इसके स्वाधीनता आंदोलन का विरोध किया था। ऐसे में सवाल पूछा गया था कि क्या एक ‘नीची नस्ल’ के प्रतीक चिह्न को हिटलर जैसा दंभी कैसे अपना सकता है? ‘हकेनक्रेज’ एक ‘क्रॉस’ का ही एक प्रकार है, जो पूर्व से ही चर्चों में मिलता रहा है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया