उइगर मुस्लिमों के अंग बेच रहा चीन, हो रही ₹7500 करोड़ की सालाना कमाई: UNHRC को भी है पता, सालों से चल रही तस्करी

चीन लंबे समय से उइगर मुस्लिमों के अंग बेच कर कमाई कर रहा है (फाइल फोटो साभार: Kevin Frayer—Getty Images)

चीन ने उइगर मुस्लिमों के अंगों का इस्तेमाल अब ब्लैक मार्किट में देह व्यापार के लिए भी करना शुरू कर दिया है। शिनजियांग प्रान्त में चीन पर अल्पसंख्यक उइगर मुस्लिमों के खिलाफ दमनकारी अभियान चलाने के आरोप दुनिया भर के मानवअधिकार संगठनों द्वारा लगाए जाते रहे हैं। अब पता चला है कि उइगर मुस्लिमों के अंगों को निकाल कर उन्हें ब्लैक मार्किट में बेचा जा रहा है। इससे चीन को करोड़ों डॉलर की कमाई हो रही है। इस मामले में दोषी साबित होने के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय चीन पर नए किस्म के प्रतिबंध थोप सकता है।

ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में स्थित अख़बार ‘द हेराल्ड सन’ ने ये नए खुलासे किए हैं। इसमें बताया गया है कि किसी उइगर मुस्लिम के स्वस्थ लिवर को चीन 1,60,000 डॉलर्स (1.20 करोड़ रुपए) में बेचा जा रहा है। अख़बार का दावा है कि इस तरह के धंधों से चीन को 1 बिलियन डॉलर (7492 करोड़ रुपयों) की कमाई हो रही है। इसका अर्थ है कि चीन के जिन प्रताड़ना कैंपों (Detention Centres) में इन उइगर मुस्लिमों को रखा जा रहा है, वहाँ जबरदस्ती उनके अंग निकाल लिए जा रहे हैं।

इस साल जून में भी सयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (UNHRC) ने इन प्रताड़ना कैंपों में उइगर मुस्लिमों के अंग निकाल कर ब्लैक मार्किट में बेचे जाने का मुद्दा उठाया था और कहा था कि ‘ऑर्गन हार्वेस्टिंग’ की इन करतूतों को लेकर विशेषज्ञ सतर्क हैं। सिर्फ उइगर मुस्लिम ही नहीं, बल्कि चीन में तिब्बतियों, ईसाईयों और फालुन गोंग नाम के मजहब को मानने वालों के साथ भी ऐसा ही सलूक किया जा रहा है। UNHRC का कहना था कि बिना सहमति लिए उइगर मुस्लिमों का ब्लड टेस्ट्स, अल्ट्रासाउंड और एक्सरेज़ कराया जाता है, ताकि चीन की सरकार को उनके शरीर के बारे में पूरी जानकारी हो जाए।

ऐसा कर के पहले ही सुनिश्चित कर लिया जाता है कि किसी उइगर मुस्लिम के अंग के ब्लैक मार्किट में कितने दाम मिलेंगे। ऑर्गन एलोकेशन के लिए एक विभाग बना दिया है, जिसके डेटाबेस में इन उइगर मुस्लिमों के अंगों के डिटेल्स रहते हैं। जिन अस्पतालों में ऑर्गन ट्रांसप्लांट किया जाता है, वो इन प्रताड़ना कैंपों के नजदीक ही स्थित होते हैं। ये भी बताया गया है कि ये चीजें लंबे समय से चल रही हैं। ‘ऑस्ट्रेलियन स्ट्रेटेजिक पॉलिसी इंस्टिट्यूट’ के अनुसार, 2017-19 के बीच 80,000 उइगर मुस्लिमों को देह-व्यापार का शिकार बनाया गया।

उन्हें वहाँ चीन के रीति-रिवाज सिखाएँ जाते हैं और मंदरीअन भाषा व मजहब का ज्ञान दिया जाता है, वो भी जबरदस्ती। साथ ही उन्हें अपने मजहब के किसी भी क्रियाकलाप में शामिल होने की अनुमति नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में उइगर मुस्लिमों की 84 बिलियन डॉलर (6.29 लाख करोड़ रुपए) की संपत्ति जब्त की गई है। दिल, किडनी, लिवर, कॉर्निया और लिवर के अन्य पार्ट्स को निकाल कर उनका अवैध व्यापार किया जाता है। इसमें कई डॉक्टर और मेडिकल विशेषज्ञों का सहारा लिया जाता है।

UN ने तो इस मुद्दे को 2006-7 में ही चीन की सरकार के समक्ष उठाया था। चीन ने इसका दोष अवैध अंग तस्करों पर मढ़ते हुए कहा था कि इसकी जाँच के लिए डेटा उपलब्ध नहीं है। चीन इसी प्रकार के दमनकारी अभियान तिब्बत और ताइवान में भी चलाना चाहता है, लेकिन वहाँ उसकी दाल नहीं गल रही। चीन को उइगर मुस्लिमों के आतंकी संगठनों का भी डर है, जिसे ठीक करने के लिए उसने तालिबान से हाल ही में समझौता किया। चीन हर हाल में उइगरों के नामोंनिशान मिटाना चाहता है।

इससे पहले अंतरराष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल फोरम फॉर राइट्स एंड सिक्योरिटी (IFFRAS) ने बताया था कि चीन में लोगों के अंगों को जबरन काटकर उसका DNA इकट्‌ठा करने का काम हो रहा है। इसके लिए लोगों के साथ जबरदस्ती की जाती है। जब लोग इसका विरोध करते हैं तो उन्हें गायब कर दिया जाता है। चीन का एल्गोरिदम हिरासत में लिए गए लोगों के अंग जबरन काटकर डेवलप होता है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि लोगों को जेनेटिक डेटा लेने के लिए कैसे-कैसे परेशान किया गया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया