भारत सरकार की ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम से चीन भी गदगद है। चीन ने ‘नमामि गंगे’ को अनुकरणीय बताया है। बता दें कि मोदी सरकार ने ‘राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन’ के तहत गंगा नदी की सफाई के लिए कई अहम निर्णय लिए। जिन राज्यों से गंगा नदी गुजरती है, उन्हें भी इस मिशन में शामिल किया गया है। भारत की पौराणिक नदी की स्वच्छता के लिए लोगों जागरूक करने का अभियान भी चलाया जा रहा है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नदी की सफाई के लिए बजट को चार गुना करते हुए पर 2019-2020 तक नदी की सफाई पर 20,000 करोड़ रुपए खर्च करने की केंद्र की प्रस्तावित कार्य योजना को मंजूरी दी हुई है। चीन ने कहा है कि पानी से सम्बंधित परियोजनाओं में जनता की भागीदारी काफ़ी महत्वपूर्ण और ज़रूरी होती है। ख़ासकर, जब मामला जल-संरक्षण और पर्यावरण से जुड़ा हो। चीन के अधिकारियों ने कहा कि भारत ने ‘नमामि गंगे’ के तहत जो किया है, वह अनुकरणीय है।
चीनी अधिकारियों ने कहा कि भारत ने गंगा की स्वच्छता हेतु न सिर्फ़ एक व्यापक तंत्र के निर्माण में सफलता पाई है बल्कि साधु-संतों सहित जनता को भी इस मिशन में भागीदार बना कर नदी की सुरक्षा सुनिश्चित की है। चीन के जल संसाधन मंत्रालय में अंतरराष्ट्रीय सहकारिता विभाग के डायरेक्टर जनरल यु सिंगजुन ने कहा कि भारत ने इस मामले में अच्छा उदाहरण पेश किया है।
https://twitter.com/Live_Hindustan/status/1166196198547410945?ref_src=twsrc%5Etfwउन्होंने अपने देश की नदियों के बारे में बात करते हुए कहा कि वे भी काफ़ी प्रदूषित हैं लेकिन चीन उनकी साफ़-सफाई करने और पर्यायवरण को स्वच्छ रखने के लिए हर संभव क़दम उठा रही है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव 2014 से ही गंगा नदी की स्वच्छता की बात करते रहे हैं और वाराणसी दौरे के दौरान वह कई बार गंगा आरती में भाग ले चुके चुके हैं। उनके वाराणसी से संसद बनने के बाद काशी के घाटों की सूरत ही बदल गई है।