अपनी विस्तारवादी नीतियों के लिए कुख्यात चीन की कम्युनिस्ट सरकार अब धीरे-धीरे नेपाल की सीमाओं में भी घुसपैठ करने का प्रयास कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो तिब्बत से सटे नेपाली गाँव कोडारी के पास ग्रामीणों के साथ चीनी सैनिक भिड़ गए और वहाँ के ग्रामीणों को वापस जाने के लिए कहा।
रिपोर्ट के अनुसार, चीनी सेना ने नेपाल के कोडारी गाँव में घुसकर गाँव के लोगों के साथ हिंसा की और उन्हें डराया-धमकाया। चीनी सेना ने उनसे यह भी कहा कि उनका कोडारी गाँव चीन के झांगमू प्रांत का हिस्सा है, जो कि तिब्बत (टीएआर) में आता है।
चीन झांगमू प्रांत के हिस्से के रूप में तिब्बत-चीन सीमा पर स्थित कोडारी पर अपना दावा करता है। इससे पहले चीन ने नेपाल के रुई गाँव पर कब्ज़ा कर लिया था। नेपाल के विपक्ष ने प्रधानमंत्री केपी ओली से कहा है कि वो चीन को गाँवों पर कब्जा करने से रोकें।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नेपाल की विपक्षी पार्टी नेपाली कॉन्ग्रेस ने चीन द्वारा अतिक्रमित नेपाली भूमि पर नेपाली संसद के निचले सदन में एक प्रस्ताव रखा।
https://twitter.com/AdityaRajKaul/status/1275853391139344390?ref_src=twsrc%5Etfwनेपाली कॉन्ग्रेस के सांसद देवेंद्र राज कांडेल, सत्य नारायण शर्मा खनाल और संजय कुमार गौतम ने केपी शर्मा ओली की अगुवाई वाली सरकार के सामने प्रस्ताव रखा। प्रस्ताव के अनुसार, चीन द्वारा नेपाल के दोलखा, हुमला, सिंधुपालचौक, संखुवासभा, गोरखा और रसुवा जिलों में 64 हेक्टेयर क्षेत्र में अतिक्रमण किया गया है।
प्रस्ताव में कहा गया है कि पिलर 35 को सीमा पर स्थानांतरित कर दिया गया है, जिसके कारण उत्तरी गोरखा का रुई गाँव अब चीन के तिब्बत क्षेत्र में चला गया है।
इसके अनुसार, गोरखा के रुई गाँव के 72 घर और दारचुला के 18 घर चीनी क्षेत्र में हैं। चीन ने वर्तमान में चीन-नेपाल सीमा पर 11 स्थानों का अतिक्रमण किया है। वहीं, नेपाल की ओली सरकार ने इस मुद्दे पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं देते हुए चुप्पी साध रखी है।
गोरखा जिले के आने वाले रूई गाँव पर चीन पिछले 6 दशकों, से अपना नियंत्रण स्थापित किए हुए है। रूई गाँव पर चीन का प्रशासनिक अधिकार है और अब चीन इसे तिब्बत ऑटोनोमॉस रीजन (टीएआर) का हिस्सा बताने लगा है।
नेपाल के जरिए अपनी भू-राजनीतिक सीमा का विस्तार कर रहा है चीन
हाल ही में नेपाल द्वारा भारत के अधिकार तहत आने वाले कुछ क्षेत्रों पर दावा करते हुए एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी करने के लिए ऐसा समय चुना, जब भारत लद्दाख क्षेत्र में चीन के साथ सैन्य गतिरोध में शामिल है।
उत्तराखंड की सीमा से लगे लिपुलेख से धारचूला तक सड़क का उद्घाटन होने के बाद से नेपाल दावे कर रहा है कि कालापानी क्षेत्र (पिथौरागढ़ जिला) पर नेपाल का ‘निर्विवाद रूप से’ हक है। इसके मद्देनजर उसने नया नक्शा भी पास कर दिया।
साल 2011 में चीन ने नेपाल में एक ‘फ्रेंडशिप पुल’ का निर्माण किया और व्यापार के नाम पर चीनियों द्वारा यहाँ की दैनिक आमद शुरू हो गई। अब चीन इस कोडारी कस्बे पर अपना दावा करते हुए इसे अपनी सीमा के भीतर झांगमू शहर का हिस्सा बताता है और नेपाल सरकार इसके आगे लाचार और बेबस नजर आती है।
दरअसल, कोडारी पर चीन की नजर तभी से थी, जब उसने नेपाल में व्यापार के लिए अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने शुरू कर दिए थे। भारत ने पहले भी इस पर चिंता व्यक्त की थी। तिब्बत की राजधानी ल्हासा से नेपाल बॉर्डर पर झांगमू (जिसे कि नेपाल में ‘खासा’ कहते हैं) और कोडारी तक आने वाली 800 किलोमीटर लम्बी सड़क ‘चीन-नेपाल फ्रेंडशिप हाईवे’ चीन और नेपाल के बीच व्यापार का मुख्य ज़रिया है।
चीन से संपर्क वाला यह हाईवे कोडारी गाँव से होकर नेपाल से जुड़ जाता है। नेपाल ने सफाई देते हुए कहा था कि नेपाल भारतीय सीमाओं से घिरा देश है और चीन के साथ कोडारी-हाईवे का समझौता केवल भारत पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से लिया गया था। लेकिन यह निर्माण नेपाल की ओर से समझौता कम और नेपाल की मजबूरी ज्यादा बताया जाता है। शायद तब भी नेपाल चीन की विस्तारवादी नीतियों से अवगत नहीं था।