सोशल मीडिया इस्तेमाल करने पर सऊदी अरब के मौलाना को मौत की सजा, किंगडम के खिलाफ रूख और मुस्लिम ब्रदरहुड की प्रशंसा का आरोप

अवाद अल-कार्नी (साभार: अरब न्यूज)

सऊदी अरब (Saudi Arabia) में ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करने के अपराध में अवाद अल-कार्नी (Awad Al-Qarni) नाम के 65 वर्षीय प्रोफेसर को द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक मौत की सजा सुनाई गई है। उन पर कथित रूप से सरकार विरोधी खबरें सोशल मीडिया पर प्रसारित करने का आरोप है।

क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के हाथों में सऊदी की बागडोर लेने के बाद सुधार समर्थक कानून के इस मौलवी को 9 सितंबर 2017 को गिरफ्तार किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, अवाद अल-क़ार्नी को सरकारी मीडिया द्वारा ‘खतरनाक उपदेशक’ के रूप में गलत तरीके से चित्रित किया गया है।

ब्रिटिश अखबार द गार्डियन के अनुसार, अपनी गिरफ्तारी से पहले मौलवी के ट्विटर पर 2 मिलियन (20 लाख) फॉलोअर्स थे। उनकी गिरफ्तारी को सत्तावादी सऊदी अरब सरकार द्वारा असंतुष्टों पर कार्रवाई माना जाता है।

द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, मोहम्मद बिन सलमान के शासन द्वारा सऊदी अरब में सोशल मीडिया के उपयोग को अपराध बना दिया गया है। सऊदी अरब में ये हालात तब है, जबकि वहाँ के बादशाह के पब्लिक इनवेस्टमेंट फंड का फेसबुक और व्हाट्सएप में बड़े पैमाने पर निवेश है।

गार्जियन ने बताया कि अवाद अल-क़ार्नी को यह स्वीकार करने के बाद मौत की सजा दी गई कि उन्होंने हर अवसर पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए अपने ट्विटर अकाउंट (@awadalqarni) का इस्तेमाल किया। उनके बेटे नासिर ने उन पर लगे आरोपों की जानकारी अखबार को दी। नासिर पिछले साल सऊदी से भाग गए थे और तब से वे ब्रिटेन में रह रहे हैं।

अवाद अल-क़ार्नी पर वीडियो और व्हाट्सएप चैट में कट्टरपंथी इस्लामी संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड की कथित रूप से प्रशंसा करने का आरोप लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है, “अल-क़ार्नी द्वारा टेलीग्राम पर बनाना और उसका स्पष्ट उपयोग करना भी आरोपों में शामिल है।”

यह पहली बार नहीं है, जब सऊदी के राजशाही ने सोशल मीडिया का उपयोग करने के लिए किसी को दंडित किया है। पिछले साल अगस्त में सलमा अल-शहाब नाम की एक महिला को ट्विटर अकाउंट रखने और मोहम्मद बिन सलमान शासन के आलोचकों के ट्वीट साझा करने पर 34 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।

उसी समय एक अन्य महिला नौरा बिन्त सईद अल-क़हत को उसकी सोशल मीडिया गतिविधि के लिए 45 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। हालाँकि, टेररिज्म कोर्ट में सुनवाई के दौरान उसके अदालती दस्तावेजों में कुछ भी हिंसा या आपराधिक गतिविधि से संबंधित घटना दर्ज नहीं था।

मानवाधिकार समूह रेप्रीव के लिए काम करने वाले जीद बसौनी ने कहा कि अवाद अल-कर्नी को दी गई मौत की सजा आलोचकों को चुप कराने का एक पैटर्न है। उन्होंने कहा, “… मोहम्मद बिन सलमान के मार्गदर्शन में सरकारी वकील लोगों को उनकी राय के लिए, ट्वीट्स के लिए और बातचीत के लिए मारने के लिए कहा है। वे (ऐक्टिविस्ट) खतरनाक नहीं हैं। वे शासन को उखाड़ फेंकने का आह्वान नहीं कर रहे हैं।”

यह सब ऐसे समय में हो रहा है, जब मोहम्मद बिन सलमान अपने अब्बू के हाथों से सऊदी की बागडोर लेने के बाद इसे दुनिया में एक सहिष्णु, बहुलतावादी समाज के रूप में फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रहा हैं।

नोट: ज्यादातर मीडिया रिपोर्ट जहाँ अभी बता रही हैं कि मौलवी को मौत की सजा सुनाने पर कोर्ट का फैसला आना बाकी है। वहीं पहले मीडिया रिपोर्ट कह रही थीं कि मौत की सजा दी जा चुकी है। द गार्जियन की रिपोर्ट का आर्काइव्ड लिंक आप इस लिंक पर देख सकते हैं। रिपोर्ट और हेडलाइन को उसी मुताबिक बदला गया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया