डसॉल्ट ने फ्रेंच मीडिया की रिपोर्ट को किया खारिज, भारत के साथ राफेल डील में करप्शन के लगाए थे आरोप

प्रतीकात्मक तस्वीर

राफेल फाइटर जेट बनाने वाली कंपनी डसॉल्ट/दसॉ (Dassault) एविएशन ने फ्रांसीसी मीडिया आउटलेट मीडियाअपार्ट की उस रिपोर्ट का खंडन किया है, जिसमें दावा किया गया था कि कंपनी ने एक भारतीय कंपनी को €1.1 मिलियन की रिश्वत दी थी। डसॉल्ट ने कहा है कि सरकार से सरकार के बीच हुए इस सौदे में भारत को 36 राफेल जेट की बिक्री में नियमों का कोई उल्लंघन नहीं किया गया है।

कंपनी ने कहा है कि इस सौदे की फ्रांसीसी भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी समेत कई अन्य आधिकारिक संगठनों द्वारा निगरानी की गई। भारत के साथ राफेल या किसी भी डील में कोई उल्लंघन नहीं किया गया है। कंपनी ने कहा कि वह भारत के साथ 36 राफेल विमानों के ठेके और ऑफसेट करार से जुड़े सभी नियमों और मानदंडों को पूरा करती है।

भ्रष्टाचार के आरोपों पर 8 अप्रैल को एक बयान जारी कर कहा है, “भ्रष्टाचार को रोकने, औद्योगिक और वाणिज्यिक संबंधों में कंपनी की अखंडता, नैतिकता की गारंटी देने के लिए सख्त नियमों को लागू किया है। सैपिन 2 कानून को ध्यान में रखकर कंपनी ने मूल कंपनी और उसकी सहायक कंपनियों में कड़े नियमों को लागू किया है।”

डसॉल्ट ने यह भी बताया कि उसने और रिलायंस ग्रुप ने 2017 में डसॉल्ट रिलायंस एरोस्पेस लिमिटेड (DRAL) ज्वाइंट वेंचर की स्थापना की थी। नागपुर में एक प्लांट का भी निर्माण किया गया है, जो 2018 से फाल्कन पार्ट्स और टुकड़ों का उत्पादन कर रहा है। फाल्कन फ्रांस के विमानन क्षेत्र की बड़ी व्यावसायिक जेट निर्माता कंपनी है।

क्या था मीडियाअपार्ट ने अपनी रिपोर्ट में

फ्रेंच मीडिया कंपनी मीडियाअपार्ट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि फ्रांस की भ्रष्टाचार-निरोधी एजेंसी ‘एग्नेस फ्रांसेइस एंटी करप्शन एजेंसी’ ने अपनी जाँच में पाया था कि डसॉल्ट ने एक बिचौलिए को एक मिलियन यूरो का भुगतान किया। उसके खिलाफ एक रक्षा सौदे के मामले में भारत में जाँच चल रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, डसॉल्ट ने इस भुगतान को लेकर स्पष्ट किया है कि उसने भारतीय कंपनी को राफेल जेट के 50 बड़े प्रतिकृति मॉडल बनाने के लिए भुगतान किया था। डसॉल्ट के खाते में इसे क्लाइंट को गिफ्ट के तौर पर दिखाया गया है।

डसॉल्ट ने एंटी करप्शन ब्यूरो को भारतीय कंपनी डेफसिस सॉल्यूशंस के उस चालान को भी दिखाया, जिसमें राफेल के मॉडलों की आपूर्ति के लिए डील की गई थी। हालाँकि, रिपोर्ट में इस बात का भी दावा किया गया है कि कंपनी वास्तव में मॉडलों के वितरण का सबूत नहीं दिखा पाई थी।

डेफसिस सॉल्यूशन का स्वामित्व सुषेन मोहन गुप्ता के परिवार के पास है, जिसे अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 2019 में भुगतान के लेनदेन के मामले में गिरफ्तार किया था। डेफसिस सॉल्यूशन ने किसी भी डिलीवरी के बिना ही डसॉल्ट एविएशन से पैसे लेने के आरोपों का खंडन किया है। कंपनी का कहना है कि उसने राफेल की प्रतिकृतियाँ बनाने के लिए पैसे लिए थे।

कंपनी ने एक बयान में कहा, “यह सब मीडिया के एक वर्ग में किए जा रहे झूठे और निराधार दावों का जवाब है, जिसमें यह कहा जा रहा है कि डेफसिस ने राफेल विमानों के 50 प्रतिकृति मॉडल की आपूर्ति ही नहीं की है।” कंपनी ने यह भी कहा कि डिलीवरी चालान, ई-वे बिल और जीएसटी रिटर्न से संबंधित ऐसी डिलीवरी को संबंधित विभागों में सही तरीके से फाइल किया गया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया