बेरहमी से पिटाई… मौत की धमकी और फिर माफ़ी: अरबी में लिखे कपड़े पहनने वाली महिला पर ईशनिंदा का आरोप, सजा पर मंथन कर रहे पाकिस्तानी मौलवी

पाकिस्तान में पिटाई के बावजूद चल रहा है अरबी भाषा वाले कपड़े पहनी महिला की सजा पर विचार (चित्र साभार- वायरल वीडियो स्क्रीनशॉट)

भले ही पाकिस्तान आर्थिक और राजनैतिक रूप से पूरी तरह से अस्थिर है लेकिन वहाँ मज़हबी कट्टरता अपने चरम पर है। इसका एक उदाहरण तब देखने को मिला, जब लाहौर में एक महिला को कट्टरपंथी मुस्लिमों की भीड़ ने घेर लिया था। हमलावरों का मानना था कि महिला के कपड़ों पर अरबी भाषा में कुछ लिखा था। अरबी के शब्दों को कुरान की आयतें बताते हुए ऐसे कपड़े पहनना उन्मादी भीड़ ने ईशनिंदा माना। तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान’ के हमलावरों ने ‘सिर तन से जुदा’ के नारे लगाए थे। पर असलियत यह थी कि महिला की पोशाक पर लिखे शब्द किसी मज़हबी किताब की लाइनें नहीं थीं।

अब मामले के तूल पकड़ लेने के बाद इस्लामी मौलवी उस पोशाक के बारे में अपनी-अपनी राय अलग-अलग रूपों में रख रहे हैं। ऐसा इसलिए किया जा रहा है, जिससे यह तय किया जा सके कि पीड़िता महिला के खिलाफ FIR दर्ज किया जाए या नहीं। पाकिस्तानी पत्रकार नायला इनायत ने अपने X हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में कुछ इस्लामी मौलवी महिला के कपड़ों पर छपे शब्दों का ‘विश्लेषण” कर रहे हैं। उनमें से कुछ का मानना है कि छपे प्रिंट कुरान की आयतों जैसे हैं।

अब कुछ मौलवी यह भी माँग कर रहे हैं कि जिस महिला को भीड़ ने पीट-पीट कर अधमरा कर दिया उसके खिलाफ पाकिस्तानी कानून के हिसाब से FIR भी दर्ज हो। जबकि असलियत में महिला के कपड़ों के जिन प्रिंट पर यह पूरा विवाद हो रहा है वो अरबी भाषा के शब्द हैं, जिनके अर्थ सुंदर और मधुर आदि हैं। भुखमरी की कगार पर खड़े इस देश में आर्थिक नीतियों पर चर्चा के बजाय इस बात पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है कि कैसे महिला को ईशनिंदा के नाम पर मौत तक की सजा दी जाए।

लाहौर की पुलिस अधिकारी सैयदा शहरबानो नकवी ने इस पूरे विवाद पर बताया है कि महिला अरबी लिखे शब्दों वाला कुर्ता पहन कर बाजार गई थी जिससे कुछ लोगों को कुरान की आयतें लिखे होने का भ्रम हो गया था। हालाँकि इस बीच लगातार धमकियों और कट्टरपंथियों के हमलों से डरी पीड़िता ने बिना अपनी कोई गलती के भी पाकिस्तानी आवाम से माफ़ी माँग ली है। महिला का एक वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें वो मौलवी और पुलिस की मौजूदगी में माफ़ी माँग रही है।

वीडियो में पीड़िता महिला ने कहा, “मैंने जो कुर्ता पहना था, उसे उसके डिज़ाइन के चलते खरीदा था। मुझे नहीं पता था कि लोग यह सोचेंगे कि उस पर अरबी भाषा में कुछ गलत लिखा हुआ है। मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था। यह सब अनजाने में हुआ, फिर भी मैं माफी माँगती हूँ। एक सुन्नी मुस्लिम होने के नाते मैं कुरान और सुन्नत या रसूल के खिलाफ ‘गुस्ताखी’ करने के बारे में सोच भी नहीं सकती।” दरअसल महिला के ये शब्द पास बैठे मौलवियों के निर्देश पर बोले जा रहे थे।

कुवैत की कम्पनी ने डिजाइन की थी पोशाक

महिला के जिन कपड़ों पर यह पूरा विवाद हुआ था वह कुवैत की एक कम्पनी द्वारा डिजाइन किया गया है। अब उस कम्पनी ने इस मामले में खुद को घसीटे जाने पर पाकिस्तान के कट्टरपंथियों की सख्त आलोचना की है। semplicitakw नाम के इंस्टाग्राम अकाउंट से बताया कि उसका ब्रांड कपड़ों पर कई डिजाइन में अरबी भाषा वाले शब्दों का उपयोग करता है। कम्पनी ने खासतौर पर उनके ब्रांड के कपड़े से भड़के पाकिस्तानियों को सम्बोधित किया है।

अपनी पोस्ट में कुवैत की कंपनी ने लिखा, “प्रिय पाकिस्तानी लोगों। मासूम लड़की के साथ हाल में हुई घटना से हमारा कोई लेना-देना नहीं है। हमारी कम्पनी कुवैत में है। हम दुनिया भर में जहाज नहीं भेजते हैं। कृपया हमें फ़ॉलो और मैसेज करके परेशान करना बंद करें। अरबी हमारी भाषा है। इसलिए हम हर जगह अलग-अलग फ़ॉन्ट में इन शब्दों का उपयोग करते हैं।”

हालात भुखमरी की लेकिन कट्टरता से बाज नहीं

बताते चलें कि पाकिस्तान अख़बार डॉन ने दिसंबर 2023 में अपने देश की आर्थिक हालत पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। तब अख़बार ने बताया था कि राजनैतिक अस्थिरता और गलत नीतियों के चलते पाकिस्तान फार्मास्युटिकल, दूरसंचार और तेल के क्षेत्रों में तेजी से पीछे जा रहा है। कई कंपनियों ने पाकिस्तान में अपनी हिस्सेदारी बेचकर कारोबार को समेट लिया है। लगातार घाटे में चलते की वजह से पाकिस्तान सुजुकी मोटर कम्पनी लिमिटेड ने वहाँ वाहनों का निर्माण बंद कर दिया था और खुद को पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज से डीलिस्ट कर लिया था।

विदेशी कर्ज से पल रहे पाकिस्तान में ही झूठी अफवाहों पर कत्ल हो जाना, महिलाओं का उत्पीड़न होना और मज़हब के नाम पर सिर तन से जुदा जैसी घटनाएँ सामने आ रही हैं। ऑपइंडिया ने इस से पहले भी पाकिस्तान के कई ऐसे मामलों को विश्वपटल पर रखा था जिसमें उन्मादी भीड़ ने मजहब के नाम पर लोगों की हत्याएँ की थीं।

(इस खबर को अंग्रेजी में श्रद्धा पांडेय ने लिखा है। इसे आप इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।)

Despite being beaten in Pakistan, the punishment for the woman wearing Arabic language clothes is being considered