श्रीलंका में इमरजेंसी लागू… चीन के जाल में फँस कंगाली के कगार पर: राष्ट्रपति आवास के बाहर हिंसक प्रदर्शन, सरकार ने बताया ‘आतंकी कृत्य’

श्रीलंकाई राष्ट्रपति राजपक्षे (बाएँ) और विरोध प्रदर्शन के बाद की तस्वीर (दाएँ) (फोटो साभार: आजतक एवं न्यूज फर्स्ट)

चीन (China) के ऋण के जाल में फँसकर श्रीलंका (Sri Lanka) कंगाली के कगार पर खड़ा हो गया है। महँगाई चरम पर पहुँच गई है, जिसके कारण लोगों द्वारा हिंसक प्रदर्शन किए जा रहे हैं। परिणाम यह हुआ कि सरकार को वहाँ आपातकाल (Emergency) की घोषणा करना पड़ा है। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोताबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) की इस घोषणा के बाद पुलिस एवं सुरक्षाबलों को असीमित अधिकार मिल गए हैं।

देश में जारी आर्थिक संकट के कारण गुरुवार (31 मार्च 2022) को लोगों ने राष्ट्रपति आवास के बाहर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया था। लोग इस हालात के लिए राजपक्षे को जिम्मेदार मानते हैं। प्रदर्शन के दौरान पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा था। इस दौरान 45 लोगों को गिरफ्तार भी किया था। इसके अलावा, अलग-अलग शहरों में कर्फ्यू लगाने की स्थिति आ गई है। लोगों के रोष को देखते हुए राष्ट्रपति ने शुक्रवार (1 अप्रैल 2022) को इसे लागू करने का निर्णय लिया।

श्रीलंका में खाद्यान्न और जरूरत की वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं। बिजली की सप्लाई बंद कर दी गई है। लोगों को पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस नहीं मिल रही हैं। इस तरह खाने से लेकर परिवहन तक की व्यवस्था ठप पड़ गई है। इस कारण लोग सड़कों पर निकल आए हैं। लोगों के विरोध को दबाने के लिए पुलिस लाठी चार्ज कर रही है तो कहीं उन पर वॉटर कैनन का इस्तेमाल कर रही है। प्रदर्शनकारियों पर आँसू गैस के गोले भी छोड़े जा रहे हैं।

रिपोर्टों के अनुसार एक कप चाय की कीमत 100 रुपए हो गई है। दूध की कीमत 2,000 रुपए पर पहुँच गई है। मिर्च 700 रुपए किलोग्राम बिक रही है। एक किलो आलू के लिए 200 रुपए तक चुकाने पड़ रहे हैं। फ्यूल की कमी का असर बिजली उत्पादन पर भी पड़ा है। कई शहरों में 13 घंटे तक बिजली कटौती हो रही है। परीक्षा के लिए पेपर-इंक नहीं हैं।

हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि चीनी की कीमत 290 रुपए किलो तो चावल की कीमत 500 रुपए किलो हो चुकी है। एक पैकेट ब्रेड की कीमत 150 रुपए हो चुकी है। दूध का पाउडर 1,975 रुपए किलो, तो एलपीजी सिलेंडर का दाम 4,119 रुपए है। इसी तरह पेट्रोल 303 रुपए लीटर और डीजल 176 रुपए लीटर बिक रहा है। सभी वस्तुओं की कीमतें श्रीलंकाई रुपए में है। डॉलर के मुकाबले श्रीलंकाई रुपए की कीमत 46 फीसदी तक गिर गई है। एक मार्च को 1 अमेरिकी डॉलर की कीमत 295 श्रीलंकाई रुपए हो चुकी थी।

वहीं, लोगों की गुस्से और उनके हिंसक प्रदर्शन को वहाँ की राजपक्षे सरकार ने ‘आतंकी कृत्य’ बता दिया था और कहा था कि विपक्षी दलों से जुड़े ‘चरमपंथी तत्वों’ द्वारा ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। सरकार की विफलता को ढंकने के लिए वहाँ की सरकार विपक्षी दलों को जिम्मेवार ठहरा रही है।

राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे द्वारा पब्लिक इमरजेेंसी लगाने के बाद सरकार सार्वजनिक सुरक्षा, कानून-व्यवस्था, विद्रोह व दंगा और नागरिक आपूर्ति आदि के लिए नियम कठोर नियम बना सकती है। इमरजेंसी के दौरान राष्ट्रपति के आदेश के बाद किसी भी व्यक्ति की संपत्ति पर कब्जा की जा सकती है। किसी भी परिसर की तलाशी ली जा सकती है और किसी को भी बिना कारण बताए गिरफ्तार किया जा सकता है। जरूरत पड़ने पर राष्ट्रपति किसी भी कानून को बदल या निलंबित भी कर सकता है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया