ओबामा ने जिन 4 आतंकियों को छोड़ा वे तालिबान के टॉप कमांडर: 9/11 की बरसी से पहले पीड़ितों के जख्म हरे

ओबामा प्रशासन ने छोड़े थे ये चार आतंकी

अफगानिस्तान में तालिबान ने जो अंतरिम सरकार बनाई है उसमें दहशतगर्दों की भरमार है। तालिबान के 4 टॉप कमांडर तो वे हैं जो कभी खतरनाक ग्‍वांतनामो बे जेल में कैद थे। साल 2014 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन से हक्कानी नेटवर्क से सौदा करते हुए इन चारों आतंकियों को छोड़ा था। सौदा भगोड़े अमेरिकी सैनिक बोवे बर्गडाहल के बदले किया गया था।

मंगलवार (सितंबर 7, 2021) को तालिबान ने कार्यवाहक खुफिया निदेशक (Acting Director of Intelligence) के तौर पर अब्दुल हक वसीक, कार्यवाहक सीमा और जनजातीय मामलों (Acting Minister of Borders and Tribal Affairs) के मंत्री नोरुल्लाह नूरी, उप रक्षा मंत्री (Deputy Defense Minister) मोहम्मद फजल और सूचना एवं संस्कृति ( Acting Minister of Information and Culture) के कार्यवाहक मंत्री खैरुल्ला खैरखाह की नियुक्ति की घोषणा की।

ये चारों 13 साल यूएस की कैद में थे। मगर, 2014 में यूएस ने 2009 से 2014 में गायब रहे अपने सैनिक के बदले इन्हें रिहा कर दिया। इसके बाद इन लोगों ने पिछले वर्ष यूएस से दोहा सम्मेलन में सीधी बातचीत में भी भाग लिया था।

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तालिबान के इस फैसले के बाद अफगानिस्तान में काम कर चुके रिपब्लिकन पार्टी के प्रतिनिधि माइक वॉल्ट्स ने कहा है कि क्यूबा की ग्वांतनामो बे जेल के कैदी अब सरकार में हैं। उन्होंने बायडेन प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा कि वो जानते हैं कि यही वो राष्ट्रीय सुरक्षा की टीम है जो उस समय देशद्रोही बोवे बर्गडाहल के लिए ऐसे खूँखार आतंकियों की अदला-बदली करती थी। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने बर्गडाहल की खोज में नेतृत्व किया था और कई इकाइयों के सैनिकों ने अपनी जान गँवा दी थी।

वह कहते हैं कि इस तरह कैदियों को आतंकवादी राज्य की सत्ता में देखना एक तमांचा है जो हर दिग्गज और 9/11 के पीड़ित के मुँह पर मारा गया है। बायडेन प्रशान की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि अभी भी यह चीजें सीखना बाकी है कि राष्ट्रीय सुरक्षा में तुष्टिकरण के गंभीर परिणाम हो सकते हैं और उनकी इस खतरनाक वापसी के परिणामस्वरूप अब हम असुरक्षित हैं।

बता दें कि जिन चार पूर्व कैदियों को सत्ता में टॉप का पद मिलने पर सवाल उठ रहे हैं, उनमें एक मुल्ला मोहम्मद फजल है जिसपर तमाम शिया लोगों की हत्या का आरोप है। इसी प्रकार नूरी पर भी 1998 में मजार-ए-शरीफ में शिया हाजरा, ताजिक और उज्बेक समुदाय के लोगों के नरसंहार का आदेश देने का आरोप है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया