‘फ्रांस की फर्स्ट लेडी का जन्म पुरुष के रूप में हुआ था’: राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की वाइफ को ट्रांसजेंडर कहने वालों पर होगी कार्रवाई

पत्नी ब्रिगिट मैक्रों के साथ फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (साभार: The sun)

सोशल मीडिया पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) की पत्नी ब्रिगिट मैक्रों (Brigitte Macron) को लेकर खबरें वायरल हो रही है कि वह ट्रांसजेंडर हैं और जन्म के समय उनका नाम जीन-मिशेल ट्रोग्नेक्स था। अब ब्रिगिट ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे निराधार बताया और साथ ही कानूनी कार्रवाई का सहारा लेने की बात कही। 

बता दें कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे अफवाहों में यह भी दावा किया गया है कि फ्रांस की पहली महिला का जन्म महिला नहीं, बल्कि पुरुष के रूप में हुआ था। ब्रिगिट के वकील जीन एन्नोची ने भी मीडिया से बात करते हुए इसकी पुष्टि की और कहा कि उन्होंने कार्रवाई शुरू करने का फैसला किया है और यह प्रगति पर है।

अफवाहों का यह दौर शुरू हुआ एक फेसबुक पोस्ट से। मार्च में ‘Natacha Rey’ नाम के यूजर ने इसकी शुरुआत की थी। हालाँकि, अक्टूबर में एक मीडिया आउटलेट ने ‘mystery of Brigette Macron’ टाइटल से एक आर्टिकल पब्लिश किया। इसके बाद कई लोगों ने इसे शेयर किया और फिर देखते ही देखते यह अफवाह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जंगल की आग की तरह फैल गई कि फ्रांस की पहली महिला ट्रांसजेंडर है।

1 नवंबर को पहली बार ट्विटर पर  #JeanMichelTrogneux हैशटैग देखने को मिला। हैशटैग को अब तक 68,300 रीट्वीट और 174,000 से अधिक लाइक्स मिल चुका है। ब्रगिट मैक्रों अब इस फर्जी सूचना को फैलाने वालों के खिलाफ कानूनी शिकायत दर्ज करवाने वाली हैं।

यह पहली बार नहीं है जब ब्रिगिट ट्रोल्स के निशाने पर आई हैं। जब 2017 में इमैनुएल मैक्रों फ्रांस के राष्ट्रपति चुने गए थे, तो कपल की उम्र में 25 साल के अंतर को लेकर फटकार लगाई गई। इसके अलावा, इमैनुएल मैक्रों को भी 2017 में उनके चुनाव अभियान के दौरान उनकी कथित समलैंगिकता के बारे में झूठे दावों को खारिज करना पड़ा था।

हाल ही में, कट्टरपंथी इस्लाम के खिलाफ और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के समर्थन में फ्रांसीसी राष्ट्रपति के कड़े रुख ने तुर्की और पाकिस्तान जैसे इस्लामी राष्ट्रों को क्रोधित कर दिया है जिन्होंने फ्रांस और फ्रांसीसी राष्ट्रपति पर इस्लामोफोबिया का आरोप लगाते हुए निंदा की है।

पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने एक प्रस्ताव भी पारित किया था जिसमें उसकी सरकार से फ्रांस से अपने गैर-मौजूद दूत को वापस बुलाने की माँग की गई थी। भारत सहित दुनिया भर के मुसलमान फ्रांस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। भारत ने फ्रांस के साथ एकजुटता व्यक्त की थी और इस्लामी आतंकवादियों द्वारा फ्रांसीसी लोगों पर हमले की निंदा की थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया