Video: ‘यही है वो कुत्ता जिसने इस्लाम को गाली दी’- यूट्यूबर फयेज़ ने उगला फ्रांसीसी राष्ट्रपति के लिए जहर

सीरियाई मूल का यूट्यूबर बर्लिन की सड़कों पर फ्रांस के राष्ट्रपति का विरोध करते हुए (साभार - Middleeastmonitor)

जब से फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इस्लामी कट्टरपंथ के विरुद्ध जंग छेड़ी है तब से ही उनके विरुद्ध नफरत भरा अभियान चलाया जा रहा है। दुनिया भर के तमाम मुस्लिम फ्रांसीसी राष्ट्रपति के घृणित और हिंसा को बढ़ावा देने की बात कर रहे हैं। ऐसे तमाम कट्टर इस्लामी प्रदर्शनकारियों के बीच बर्लिन में रहने वाले सीरियाई मूल के यूट्यूबर फयेज़ कनफश ने बर्लिन की सड़कों पर फ्रांस के राष्ट्रपति के लिए जहर उगलते हुए उन्हें ‘मैक्रों द डॉग’ कह कर संबोधित किया। सबसे ज़्यादा मज़े की बात यह है कि सीरियाई मूल का (अप्रवासी) यूट्यूबर खुद को सटायरिस्ट (व्यंग्यकार) कहता है। 

अपना विरोध दर्ज कराते हुए यूट्यूबर अपने साथ एक व्यक्ति को लेकर आया जिसने इमैनुएल मैक्रों का मास्क पहन रखा था। यह वीडियो इंटरनेट पार काफी वायरल हो रहा है, जिसमें एक व्यक्ति को हथकड़ियाँ बाँध कर घसीटा जा रहा है और उसने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का मास्क पहन रखा है। वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि यूट्यूबर फयेज़ ने मास्क पहने हुए व्यक्ति को हथकड़ियाँ बाँध रखी हैं और आस-पास मौजूद लोग उसे ऐसा करने के लिए और प्रोत्साहित करते हैं। 

यूट्यूबर इतने पर ही नहीं रुकता है बल्कि वह फ्रांसीसी राष्ट्रपति के मास्क में आग लगा कर लोगों से विरोध करने को कहता है और उन्हें ‘कमीना-कुत्ता’ कहता है।

इसके बाद फयेज़ आस-पास मौजूद लोगों को आगाह करता है कि जो लोग इस्लाम की बुराई करते हैं उनके साथ ऐसा ही बर्ताव होगा। फिर मौके पर मौजूद लोग उसके साथ अल्लाह-हू-अकबर चिल्लाते हैं। लोगों (मुस्लिम) के अल्लाह-हू-अकबर चिल्लाने के बाद यूट्यूबर फयेज़ कहता है, “मैं इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण हूँ कि मोहम्मद अल्लाह का दूत है।” फिर वह कहता है, “इसे (मेक्रों) मारने की ज़रूरत नहीं है, यह असली नहीं है। तुम बस इंतज़ार करो कुत्ते, तुम शवरमा (चिकन) खाना चाहते हो? मैं तुम्हें अपना जूता खिलाऊंगा, बोलो अल्लाह-हू-अकबर।” 

इसके बाद मास्क पहने हुए व्यक्ति को घसीटते हुए सीरियाई यूट्यूबर कहता है, “यही है मैक्रों, हमने इसे जला दिया। तुमने इस्लाम का अपमान करने की हिमाकत की? तुम कमीने हो, जानवर हो, तुम बस इंतज़ार करो कुत्ते, चलो सभी मेरे साथ आओ। चलो मैक्रों चलो! जो इंसान इस्लाम और पैगंबर का अपमान करेगा उसके साथ ऐसा ही होगा। यह वही कुत्ता है जिसने इस्लाम का अनादर किया, मैं कसम खाकर कहता हूँ अगर तुमने (मैक्रों) फिर से ऐसा किया तो परिणाम भयावह होगा। तुम कुत्ते, कीड़े मकोड़े, कमीने! इसकी पत्नी हिजाब पर पाबंदी लगाना चाहती है क्योंकि बच्चे डरे हुए हैं।” 

सबसे ज़्यादा हैरानी की बात यह है कि ऐसी मानसिकता और रवैये रखने वाले इंसान के यूट्यूब पर 1 मिलियन (10 लाख से अधिक) फॉलोवर हैं। फिर भी वह अपने चैनल का इस्तेमाल गैर मुस्लिम लोगों के विरुद्ध घृणा फैलाने के लिए करता है। 

जर्मनी की पुलिस कर रही है मामले की जाँच

जैसे ही यह घटना इंटरनेट पर चर्चा का कारण बनी ठीक उसके बाद ही जर्मनी की पुलिस ने मामले का संज्ञान लिया और फ्रांस के राष्ट्रपति के लिए घृणा फैलाने के आरोप में यूट्यूबर फयेज़ के विरुद्ध जाँच शुरू कर दी। 23 साल के सीरियाई यूट्यूबर से इस मामले में पूछताछ भी की जा चुकी है, इस बात की जानकारी उसने खुद दी थी। उसने पूछताछ में यह बताया कि वह जर्मनी और पश्चिम के लोगों को दिखाना चाहता था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का भी दायरा होता है। इसके बाद अपनी बात में विरोधाभास पैदा करते हुए उसने कहा कि उसका लक्ष्य कभी भी हिंसा को बढ़ावा देना नहीं था। 

उसने बताया कि वह 4 साल पहले सीरिया से जर्मनी आया था। अपने पूरे बयान में उसने कहा, “हम बस इतना कहना चाहते थे कि अगर अभिव्यक्ति की आज़ादी की आड़ में पैगंबर का अपमान किया जा सकता है तब इस बात को लेकर बुरा नहीं मानना जब हम तुम्हारे नेताओं का अपमान करते हैं।” 

दुनिया भर के मुस्लिम फ्रांस के विरोध में

इस्लामी कट्टरपंथ के मुद्दे पर फ्रांसीसी राष्ट्रपति के कड़े रवैये पर तुर्की और पाकिस्तान जैसे कई इस्लामी मुल्क काफी बड़े पैमाने पर आहत हुए थे और उन्होंने इस्लामोफोबिया का आरोप लगाते हुए फ्रांस की गतिविधियों की निंदा भी की थी। पाकिस्तानी नेशनल एसेम्बली में तो इस बात को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया गया कि फ्रांस से पाकिस्तानी दूत को वापस बुला लिया जाए (जबकि फ्रांस में पाकिस्तान का कोई दूत था ही नहीं)। दुनिया भर के तमाम मुस्लिम फ्रांस के विरोध में आगे आए थे जिसमें भारत की मुस्लिम आबादी का एक बड़ा हिस्सा शामिल था। वहीं फ्रांस के लोगों पर इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा किए हमले के बाद भारत सरकार ने फ्रांस का समर्थन किया था।         

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया