बढ़ सकती है नस्लीय हिंसा की घटनाएँ, हिंदुत्व के खिलाफ कॉन्फ्रेंस से सहमे हुए हैं USA के हिन्दू: अमेरिकी सीनेटर ने भी जताया डर

अमेरिका में हिन्दुओं पर नस्लीय हमले बढ़ने की आशंका (प्रतीकात्मक चित्र साभार: QZ)

हिन्दू धर्म के खिलाफ अमेरिका में वामपंथियों द्वारा आयोजित ‘Dismantling Global Hindutva’ कॉन्फ्रेंस के बाद वहाँ हिन्दुओं के विरुद्ध नस्लीय हमले बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है। ‘वैश्विक हिंदुत्व के टुकड़े-टुकड़े’ करने वाला दावा करने वाले इस कॉन्फ्रेंस ने हिन्दुओं के खिलाफ घृणा की भावना को और बढ़ावा दिया है, जिससे अमेरिका में रह रहे हिन्दुओं को डर है कि उनके खिलाफ नस्लीय हमलों में बढ़ोतरी हो सकती है।

दूरदर्शन के पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने भी इस तरफ लोगों का ध्यान दिलाया है कि किस तरह हिंदुत्व को उखाड़ फेंकने के दावे के साथ बाकायदा एक वैश्विक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि इसमें कई विश्वविद्यालयों के नाम सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि इसमें 50 से ज्यादा विश्वविद्यालयों के शामिल होने की बात है, लेकिन इसके पीछे दिमाग उन लोगों का है जो हिन्दुओं से घृणा करते हैं।

अमेरिका में कई जगहों पर इस कॉन्फ्रेंस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं। उन हिन्दुओं का कहना है कि कई भारतीय व हिन्दू छात्र-छात्राएँ इन विश्वविद्यालयों में पढ़ते हैं, ऐसे में उनके खिलाफ घृणा फैलाए जाने के खतरनाक परिणाम हो सकते हैं। कई अन्य देशों में भी इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए हैं। आशंका है कि अन्य देशों में भी ऐसे कॉन्फ्रेंस आयोजित किए जा सकते हैं, इसीलिए वहाँ के हिन्दू सहमे हुए हैं।

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अमेरिका के एक लोकप्रिय सीनेटर ने भी इसे एक नस्लीय कार्यक्रम करार दिया है। उन्होंने इसे हिन्दू-विरोधियों का जमावड़ा बताते हुए विश्वविद्यालयों से इसका लोगो हटाने का निवेदन किया। ओहियो के सीनेटर नीरज एंटनी ने कहा कि ये हिन्दूफ़ोबिया से ग्रसित कार्यक्रम है, जिसके खिलाफ लोगों को खड़ा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये कार्यक्रम अमेरिका में हिन्दुओं पर हमले का प्रतिनिधित्व करता है।

वो अमेरिकी इतिहास में सीनेटर चुने जाने वाले सबसे युवा हिन्दू हैं। Coalition of Hindus of North America (CoHNA) ने भी इस कॉन्फ्रेंस के खिलाफ 3.5 लाख से भी अधिक इमेल्स लिखे हैं। इस कॉन्फ्रेंस से जुड़े विश्वविद्यालयों, अकादमिक लोगों व अन्य हितधारकों को ये इमेल्स भेजे गए। इस कॉन्फ्रेंस पर आरोप है कि ये हिन्दुओं के साथ सदियों से हुए व हो रहे अत्याचार को दरकिनार कर उन्हें कट्टरपंथियों से जोड़ रहा है।

कुछ यूनिवर्सिटीज ने कहा है कि वो इस कार्यक्रम का हिस्सा नहीं हैं, सिर्फ उनके कुछ फैकल्टज इसमें हिस्सा ले रहे हो सकते हैं। हिन्दुओं के खिलाफ एक व्यवस्थित तरीके से घृणा फ़ैलाने का अभियान चल रहा है। लोगों का कहना है कि जब अफगानिस्तान में तालिबानी शासन आने के बाद पूरी दुनिया को इस्लामी कट्टरवाद पर बहस करनी चाहिए, अलकायदा द्वारा किए गए 9/11 हमले की बरसी पर हिन्दुओं को बदनाम किया जा रहा है।

कुछ देशों में पहले से ही भारतीयों पर नस्लीय हमले होते रहे हैं और मार्च 2021 में केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मुद्दे को यूके के साथ उठाया भी था। इसी तरह अमेरिका में भी हिन्दुओं पर हमले की ख़बरें आती रहती हैं। भारतीय-अमेरिकी समूह ने इस सम्बन्ध में आवाज़ भी उठाई थी। शरणार्थियों के खिलाफ हमलों व घृणा फ़ैलाने के मामले में अमेरिका को काफी काम करने की जरूरत है, ऐसा इन समूहों का मानना है।

बता दें कि इस कार्यक्रम में शामिल पैनलिस्टों में से एक आकांक्षा मेहता ने सम्मेलन में एक बार फिर कहा कि उनका लक्ष्य हिंदुत्व को खत्म करना है। इसके पीछे का तर्क देते हुए वह कहती हैं, “हिंदुत्व हिंदू धर्म नहीं है, यह बहुत खतरनाक हैं और यह हमें भविष्य में वहाँ नहीं ले जाएगा जहाँ हम जाना चाहते हैं।” एक अन्य पैनलिस्ट ने कहा कि किन्नरों और ट्रांसजेंडर के साथ हिंदुत्व की राजनीति की नजदीकियाँ बढ़ रही हैं, जो हाशिए पर चल रहे समुदायों के खिलाफ हिंदुत्व के बढ़ने का एक और संकेत है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया