श्रीलंका आर्थिक संकट: दवाएँ नहीं मिल रहीं, जरूरत की सामान हुईं महँगी, तेल-गैस के लिए घंटों लाइन में लगे लोग, भारत ने बढ़ाया मदद का हाथ

आर्थिक संकट का सामना कर रहा श्रीलंका (फाइल फोटो/ साभार: DNA)

चीनी (China) कर्ज के जाल में फँसकर श्रीलंका (Sri Lanka) में हालत हर बीतते दिन के साथ बदतर होते जा रहे हैं। विदेश मुद्रा भंडार लगभग खत्म हो चुका है और महँगाई इतिहास के सभी रिकॉर्ड तोड़ती जा रही है। डॉलर के मुकाबले श्रीलंकाई मुद्रा बुरी तरह से टूट चुकी है। पड़ोसी देश इन दिनों अपने इतिहास के सबसे बड़े वित्तीय संकट से जूझ रहा है। ऐसे में भारत एक बार फिर मदद के लिए सामने आया है।

सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका (Central Bank Of Sri Lanka) के अनुसार, जनवरी में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2.36 अरब डॉलर रह गया था। करीब 2.2 करोड़ आबादी वाले इस देश में पेट्रोल-डीजल समेत अन्य ईंधन की भारी किल्ल्त हो चुकी है। महँगाई में बेहिसाब बढ़ोत्तरी के कारण श्रीलंका के लोगों के सामने खाने का भीषण संकट पैदा हो गया है।

देश के विदेशी मुद्रा संकट के बीच पेट्रोलियम की कीमतें आसमान छू रही हैं। श्रीलंका की सरकार के पास पेट्रोल और डीजल खरीदने के लिए विदेशी मुद्रा नहीं बची है, जिससे यह संकट और भी गहरा गया है। कुछ दिनों पहले श्रीलंका से ऐसी तस्वीरें आईं कि लोग पेट्रोल खरीदने के लिए पेट्रोल पंप पर टूट पड़े हैं और लोगों को नियंत्रित करने के लिए सेना बुलानी पड़ी। हजारों लोग घंटों तक कतार में लग कर तेल के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। देश में डॉलर की कमी ने सभी क्षेत्रों को प्रभावित किया है। फरवरी में श्रीलंका में महँगाई 17.5 प्रतिशत के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई, जो कि पूरे एशिया में सबसे ज्यादा है। 

श्रीलंका में संकट कितना गहरा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले श्रीलंकाई रुपया सिर्फ मार्च महीने में भी अब तक 45 फीसदी टूट चुका है। दिवालिया होने की कगार पर पहुँच चुका श्रीलंका अपनी जरूरत की अधिकांश चीजें आयात करता है। इनमें दवा से लेकर तेल तक शामिल हैं। मंगलवार (29 मार्च 2022) को खबर आई कि श्रीलंका के एक अस्पताल ने दवाइयों की किल्लत की वजह से पहले से निर्धारित सर्जरी को टाल दिया है। सिर्फ इमरजेंसी सर्जरी की जा रही है। इसके बाद भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने श्रीलंका में भारतीय उच्चायुक्त को अस्पताल की तत्काल मदद करने के लिए कहा। बता दें कि भारत पहले ही श्रीलंका को मदद के तौर 1 अरब डॉलर (₹76,33,61,50,000) ऋण दे चुका है।

हालात इस कदर खराब हैं कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) के नेतृत्व वाली सरकार दूध पाउडर और डीजल खरीदने के लिए भारत, चीन और यहाँ तक कि बांग्लादेश जैसे देशों से क्रेडिट लाइन माँग रही है। स्थिति इतनी विकट है कि केंद्रीय बैंक चाय की पत्तियों की अदला-बदली करके ईरान से तेल खरीदने को मजबूर है। दूध की कीमत करीब 2,000 रुपए हो गई हैं। देश में पेपर-इंक की कमी के कारण कक्षा 9, 10 औ 11 के बच्चों की परीक्षा स्थगित कर दी गई है। बाहर से पेपर या इंक मँगाने के लिए देश के पास डॉलर नहीं है। ऐसे में परीक्षा को अनिश्चित काल के लिए टाल दिया गया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया