आतंकवाद पर करारा प्रहार करेंगे भारत और सऊदी अरब: PM मोदी और क्राउन प्रिंस सलमान के बीच बैठक में निवेश व इंफ्रास्ट्रक्चर सहित कई सेक्टर में समझौते

पीएम मोदी के साथ सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (फोटो साभार- पीएम मोदी एक्स हैंडल @narendramodi)

भारत और सऊदी अरब जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद आर्थिक और सुरक्षा संबंधों का विस्तार करने पर रजामंद हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुल अज़ीज़ अल सऊद की सोमवार (11 सितंबर) को नई दिल्ली में मुलाकात के दौरान कई अहम फैसले लिए गए।

दोनों देशों ने 45 पैरा का एक संयुक्त बयान जारी कर आतंकवाद से निपटने पर भी अपनी प्रतिबद्धता जताई। इस बयान में कहा गया है कि भारत और सऊदी अरब मिलकर आतंकवाद का सामना करेंगे और सुरक्षा की दिशा में एक-दूसरे का सहयोग करेंगे। संयुक्त बयान में दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और मैत्रीपूर्ण संबंधों को भी याद किया गया।

इसमें आगे कहा गया है कि द्विपक्षीय संबंध आपसी समझ, विश्वास, सद्भावना, सहयोग और एक-दूसरे के हितों के प्रति सम्मान से चिह्नित होते हैं। दोनों पक्षों ने इस बात पर संतोष जताया कि राजनीति, व्यापार, निवेश, ऊर्जा, रक्षा, सुरक्षा और संस्कृति सहित विभिन्न क्षेत्रों में उनके संबंध गहरे हुए हैं।

पीएम मोदी के मुरीद हैं सऊदी के क्राउन प्रिंस

गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) ने भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था को एक आकर्षक बाजार के रूप में पहचानते हुए यहाँ निवेश में अपनी सहमति जताई है। इसके अलावा, उनका भारतीय प्रधानमंत्री के साथ सौहार्द्रपूर्ण रिश्ता है, जो एक-दूसरे के लिए दोनों देशों की नीतियों में साफ तौर से दिखाई देता है।

भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि दोनों नेताओं ने ऊर्जा सुरक्षा, व्यापार और निवेश से लेकर रक्षा, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा की। पीएम मोदी और एमबीएस की मुलाकात के दौरान भारत ने सऊदी अरब में रहने वाले 24 लाख से अधिक भारतीयों की बेहतरीन देखभाल के लिए राजशाही को धन्यवाद दिया।

इसके साथ ही भारत ने ऑपरेशन कावेरी के तहत जेद्दा के जरिए सूडान में फँसे भारतीय नागरिकों की निकासी के दौरान सऊदी अरब के समर्थन के लिए भी सराहना की। भारत ने इस वर्ष सफल हज के लिए सऊदी अरब को भी बधाई दी। हज यात्रियों की सुविधा में दोनों देशों के बीच शानदार समन्वय के लिए भी सराहना की।

इस मौके पर दोनों देशों ने ऊर्जा सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला। सऊदी अरब ने भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति का एक विश्वसनीय भागीदार और निर्यातक होने की प्रतिबद्धता दोहराई। दोनों देशों ने कहा कि वे बिजली, ग्रिड इंटरकनेक्शन और हाइड्रोजन एवं इसके डेरिवेटिव के क्षेत्र में संयुक्त सहयोग को बढ़ावा देने के लिए तत्पर हैं।

वो दोनों देशों में तेल को पेट्रोकेमिकल्स में बदलने के लिए संयुक्त परियोजनाएँ विकसित करने और वेस्ट कोस्ट रिफाइनरी परियोजना में तेजी लाने के लिए जरूरी समर्थन, आवश्यकताएँ और काबिल लोग देने के लिए भी रजामंद हुए। दोनों देश उर्वरक और विशेष पेट्रोकेमिकल्स के क्षेत्र में निवेश के अवसर तलाशने पर भी राजी हुए।

आतंकवाद पर मिलकर लगाएँगे लगाम

भारत और सऊदी अरब के संयुक्त बयान के 30वें पैरा में कहा गया है, “दोनों पक्षों ने सभी देशों से दूसरे देशों के खिलाफ आतंकवाद के इस्तेमाल को अस्वीकार करने की अपील की है। इसके अलावा आतंकवादी कामों को अंजाम देने के लिए मिसाइलों और ड्रोन सहित हथियारों तक पहुँच को रोकने की जरूरत पर बल दिया गया।”

संयुक्त बयान में दोनों देशों ने आतंकवाद के सभी रूपों को इंसानियत के लिए गंभीर खतरा बताया है। आतंकवाद को रोकने के लिए दोनों देशों ने आतंकवाद से लड़ने और इसके वित्त पोषण पर लगाम लगाने के लिए के लिए सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया है। आतंकवाद को किसी नस्ल, धर्म और संस्कृति से जोड़ने की बात को खारिज किया।

इसके साथ ही आतंकवाद जहाँ भी मौजूद है, वहाँ इसके इंफ्रास्ट्रकचर को खत्म करने और आतंकवाद फैलाने वालों को कानून के दायरे में लाकर उन्हें सजा देने को कहा गया है। दोनों पक्षों ने दूसरे देशों में आतंकवाद फैलाने के लिए हथियारों की पहुँच को रोकने के साथ ही मिसाइल, ड्रोन आदि के इस्तेमाल पर रोक लगाने की जरूरत पर भी बल दिया।

मध्य पूर्व में अहम रणनीतिक साझेदार है सऊदी अरब

भारत-सऊदी अरब रणनीतिक साझेदारी परिषद 2019 में बनाई गई थी। ये दोनों देशों के बीच संबंधों को बढ़ाने के लिए एक मंच के तौर पर काम करती है। G20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत, सऊदी अरब, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ और अन्य देशों ने एक महत्वाकांक्षी रेल और शिपिंग गलियारे का ऐलान किया था।

ये आर्थिक विकास और राजनीतिक सहयोग को मजबूत करने के लिए भारत को मध्य पूर्व और यूरोप से जोड़ेगा। विशेषज्ञ इसे चीन के राष्ट्रव्यापी बुनियादी ढाँचा कार्यक्रम के विकल्प के तौर पर देखते हैं। एक बयान में पीएम मोदी ने सऊदी अरब को भारत के “सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदारों” में से एक बताया।

उन्होंने कहा, “गलियारा न केवल दोनों देशों को जोड़ेगा, बल्कि एशिया, पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच आर्थिक सहयोग, ऊर्जा विकास और डिजिटल कनेक्टिविटी को भी मजबूत करेगा।” वार्ता से पहले प्रिंस मोहम्मद का नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन प्रेसिडेंशियल पैलेस में औपचारिक स्वागत किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्म ने उनके सम्मान में बैंक्वेट डिनर भी रखा था।

एमबीएस भारत की तीन दिवसीय यात्रा पर थे। इसमें जी20 शिखर सम्मेलन भी शामिल था। भारत सऊदी अरब को मध्य पूर्व में अपने सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदारों में से एक के तौर में देखता है। वित्तीय वर्ष 2022-2023 में देशों के बीच व्यापार 52.8 बिलियन डॉलर से अधिक रहा।

द्विपक्षीय बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने रणनीतिक साझेदारी परिषद की पहली बैठक की सह-अध्यक्षता की। उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं और आपसी हित के अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की। द्विपक्षीय बैठक के बाद सचिव (सीपीवी और ओआईए) औसाफ़ सईद ने इस संबंध में मीडिया को संबोधित किया।

विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने घोषणा की कि सऊदी क्राउन प्रिंस की राजकीय यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच आठ समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इनमें ऊर्जा के क्षेत्र में डिजिटलीकरण और इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण, भारत के सीवीसी (मुख्य सतर्कता आयोग) और सऊदी की भ्रष्टाचार निगरानी समिति, दोनों पक्षों के राष्ट्रीय अभिलेखागार, इन्वेस्ट इंडिया और सऊदी के निवेश मंत्री के बीच हुआ एक्सिम बैंक, सिडबी और सऊदी का एसएमई बैंक के समझौते शामिल हैं।

औसाफ़ सईद ने कहा कि दोनों पक्ष फिनटेक क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने और स्थानीय मुद्राओं में व्यापार का पता लगाने पर सहमत हुए। उन्होंने कहा कि भारत और सऊदी अरब संयुक्त रूप से एक टास्क फोर्स स्थापित करने पर सहमत हुए हैं, जो 100 बिलियन डॉलर के निवेश की पहचान करने और उसे आगे बढ़ाने में मदद करेगा।

कई विशेषज्ञ इसे क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की एक बड़े रणनीतिक नजरिए के तौर पर देखते हैं, जो सऊदी साम्राज्य में सुधार के लिए कोशिश कर रहे हैं। एमबीएस के नाम से मशहूर 38 साल के क्राउन प्रिंस सऊदी के वास्तविक शासक हैं। वो 5 वर्षों से देश की सत्ता सँभाल रहे हैं। उनके शासन में सऊदी अर्थव्यवस्था की तेल पर निर्भरता कम हो रही है।

सऊदी अरब को मध्य पूर्व में एक विश्वसनीय भारतीय भागीदार के तौर पर देखा जाता है। भारत और सऊदी अरब के संबंधों में रणनीतिक गहराई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वहाँ के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘ऑर्डर ऑफ अब्दुलअज़ीज़ अल सऊद’ से नवाजे जाने से जाहिर होती है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया