भारतीय सेना पहुँच गई श्रीलंका, इमरजेंसी के बाद विद्रोह कर रहे लोगों को अब दबाया जाएगा: फैक्ट चेक

श्रीलंका में हिंसक प्रदर्शन और 'मित्र शक्ति' सैन्याभ्यास की तस्वीर (फोटो साभार: अल जजीरा और इकोनॉमिक टाइम्स)

आर्थिक संकट में घिर कर दिवालिया होने के कगार पर खड़े श्रीलंका में सरकार के खिलाफ लोगों के विरोध को कुचलने के लिए राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) तमाम हठकंडे अपना रहे हैं। देश में आपातकाल घोषित करने के बाद वहाँ सोशल मीडिया पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। दूसरी तरफ, वहाँ प्रदर्शन को कुचलने के लिए भारतीय सेना को श्रीलंका भेजे जाने की खबर का भारत और श्रीलंका ने खंडन किया है।

राष्ट्रपति के इस्तीफे की माँग को लेकर हो रहे हिंसक प्रदर्शनों के बाद कई इलाकों में कर्फ्यू और देश भर में आपातकाल लगाने के बाद राजपक्षे सरकार ने देश में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा लिया है। श्रीलंका में फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप काम करना बंद कर दिए हैं। बताया जा रहा है कि विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए सरकार ने ये कदम उठाए हैं। शनिवार (2 अप्रैल) की रात से देश भर में ये सोशल मीडिया ने काम करना बंद कर दिया।

वहीं, श्रीलंका में भारतीय सेना की तस्वीरों को सोशल मीडिया और श्रीलंका के कुछ मीडिया वर्ग द्वारा शेयर कर दावा किया जा रहा है कि सड़कों पर उतर रहे लोगों को संभालने के लिए भारतीय सेना श्रीलंका पहुँच गई है। इस खबर का भारत और श्रीलंका ने खंडन किया है।

श्रीलंका के रक्षा सचिव कमल गुणरत्ने ने शनिवार (2 अप्रैल) को एक बयान दिया और खबर का खंडन किया। उन्होंने कहा कि जो तस्वीरें शेयर करके के भारतीय सेना के आने की बात कही जा रही है, वे साल 2021 में हुए भारत-श्रीलंका के मैत्रीपूर्ण हुए संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘मित्र शक्ति’ की हैं।

वहीं, श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में स्थित भारतीय उच्चायोग ने भी इन खबरों का खंडन किया। उच्चायोग ने कहा कि मीडिया के एक वर्ग में चल रही यह खबर की भारत अपने सैनिकों को श्रीलंका भेज रहा है, झूठी और निराधार हैं।

31 मार्च को राष्ट्रपति के आवास के बाहर लोगों ने प्रदर्शन किया था, जो बाद में हिंसक हो गया। भीड़ को संभालने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज और वॉटर कैनन का प्रयोग करना पड़ा था। इसके बाद राष्ट्रपति ने अगले दिन यानी 1 अप्रैल को देश में आपातकाल घोषित कर दिया।

आर्थिक संकट के कारण श्रीलंका में खाद्यान्न की घोर कमी हो गई है। डीजल-पेट्रोल खत्म होने के कारण परिवहन सेवाएँ ठप हो गई हैं और बिजली कटौती के कारण लोगों के अंधेरे में रहना पड़ रहा है। इन हालातों को देखते हुए श्रीलंकाई जनता सड़़कों पर उतर आई है। जनता का विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया है। देश के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन के बाद कर्फ्यू लगा दिया गया है।

श्रीलंका में खाद्यान्न और जरूरत की वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं। बिजली की सप्लाई बंद कर दी गई है। लोगों को पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस नहीं मिल रही हैं। इस तरह खाने से लेकर परिवहन तक की व्यवस्था ठप पड़ गई है। इस कारण लोग सड़कों पर निकल आए हैं। लोगों के विरोध को दबाने के लिए पुलिस लाठी चार्ज कर रही है तो कहीं उन पर वॉटर कैनन का इस्तेमाल कर रही है। प्रदर्शनकारियों पर आँसू गैस के गोले भी छोड़े जा रहे हैं।

रिपोर्टों के अनुसार, एक कप चाय की कीमत 100 रुपए हो गई है। दूध की कीमत 2,000 रुपए पर पहुँच गई है। मिर्च 700 रुपए किलोग्राम बिक रही है। एक किलो आलू के लिए 200 रुपए तक चुकाने पड़ रहे हैं। फ्यूल की कमी का असर बिजली उत्पादन पर भी पड़ा है। कई शहरों में 13 घंटे तक बिजली कटौती हो रही है। परीक्षा के लिए पेपर-इंक नहीं हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया