ईरान का बम-मिसाइल इजरायल के लिए दिवाली के फुसकी पटाखे: पेट्रियट, एरो, आयरन डोम, डेविड स्लिंग… शांत कर देता है सबकी गरमी, अब आ रहा इन सबका बाप!

जानिए इजरायल की एयर डिफेन्स सिस्टम्स के बारे में, जिसके सामने ईरान-हमास होते हैं चित (फोटो साभार: Getty)

हाल ही में इजरायल पर ईरान ने 300 रॉकेट दागे, जिनमें से 297 को यहूदी देश ने मार गिराया। एक को तो अंतरिक्ष तक खदेड़ कर मार गिराया गया। इसी तरह हमास ने भी 5000 से भी अधिक रॉकेट्स के साथ अक्टूबर 2023 में इजरायल पर हमला किया था, लेकिन उनमें से अधिकतर हवा में ही मार गिराए गए। रक्षा तकनीक के मामले में इजरायल इतना उन्नत है कि वो असंभव को संभव कर पाता है। इसके मुख्य स्तम्भ हैं – आयरन डोम, एरो, पेट्रियट और डेविड्स स्लिंग। आइए, इनके बारे में समझते हैं।

इजरायल का आयरन डोम – मिसाइलों के लिए काल

अरबों डॉलर की अमेरिकी मदद से इजरायल ने मिसाइलों के इस काल को विकसित किया है, अमेरिका ने हमास के हमले के बाद इजरायल को अरबों डॉलर की और भी सहायता दी है। ये एंटी-मिसाइल तकनीक मिसाइलों का पता लगाता है, फिर हवा में ही उसे मार गिराता है। ‘राफेल एडवांस डिफेंस सिस्टम्स’ और ‘इजरायल एरोस्पेस इंडस्ट्रीज’ ने मिल कर इसे बनाया है। 2011 में निर्मित ये आयरन डोम शॉर्ट रेंज रॉकेट्स व अन्य हवाई हमलों को हवा में ही नाकाम कर देता है।

इसमें एक राडार यूनिट लगा है जो इजरायल की तरफ आने वाली मिसाइलों की पहचान करता है। इसके बाद इसका डेटा बैटल मैनेजमेंट एवं कंट्रोल यूनिट को भेजा जाता है, जो इस खतरे की पहचान करता है। फिर एक फायरिंग यूनिट ऐसे मिसाइल को लॉन्च करता है जिसमें राडार लगा होता है और वो आने वाले खतरे को नष्ट कर देता है। किसी रिहायशी इलाके या इंफ्रास्ट्रक्चर को तबाह करने की मंशा हो दुश्मन की, तब ये मिसाइल/रॉकेट्स को मार गिराता है।

ये तकनीक राडार द्वारा खतरे को भाँपने और विश्लेषण के माध्यम से उसे पहचानने पर आधारित है। इसकी सफलता दर 90% से अधिक है। 2000 से अधिक मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर के ये अपनी क्षमता जाहिर कर चुका है। ये एक मल्टी-मिशन सिस्टम है। ये हर मौसम में काम करता है, दिन हो या रात। इसके संचालन में तुलनात्मक रूप से खर्च भी कम आता है। ये जहाजों तक को सुरक्षित करता है। बारिश हो, बादल नीचे आ गए हों या धूल उड़ रहे हों – ये काम करता रहता है।

David’s Sling: इजरायल के एयर डिफेन्स का मिडिल लेयर

डेविड्स स्लिंग इजरायल के एयर डिफेंस का मिडिल लेयर है। ये बैलिस्टिक एवं क्रूज मिसाइलों को भाँप कर उनकी पहचान करता है, साथ ही माध्यम से लेकर लॉन्ग रेंज तक की मिसाइलों का भी पता लगा लेता है। ये 2017 से संचालन में है। इसे ‘राफेल एडवांस्ड डिफेन्स सिस्टम्स’ और अमेरिका के डिफेन्स कांट्रेक्टर Raytheon ने मिल कर विकसित किया है। 25 से 186 मील तक की रेंज में फायर की गई मिसाइलों/रॉकेट्स को ये जवाबी हमले से नष्ट कर देता है।

अगस्त 2008 में इजरायल-अमेरिका ने इसके लिए प्रोजेक्ट पर हस्ताक्षर किए थे। इसे ‘Magic Wand’ (जादुई छड़ी) भी कहा जाता है। ईरान, सीरिया, हमास और लेबनान की तरफ से आने वालों खतरों को ये नष्ट करता है। Raytheon के ‘स्टनर मिसाइल्स’ का इस्तेमाल कर खतरे को भाँपता है। एक लॉन्चर 16 मिसाइलों से लैस हो सकता है। पूरे इजरायल के लिए 2 डेविड्स स्लिंग बैटरी काफी है। एक बार इजरायल ने सीरिया की तरफ से आने वाली मिसाइलों को नष्ट करने के लिए 2 इंटरसेप्टर छोड़े थे, लेकिन उन मिसाइलों ने दिशा बदल ली जिसके बाद इजरायल ने एक इंटरसेप्टर को खुद को नष्ट करने का आदेश दिया, दसरा सीरिया में कहीं गिरा।

Arrow: टॉप लेवल सर डिफेन्स सिस्टम

इजरायल ने Arrow 2 एवं 3 सिस्टम विकसित की है। अगर किसी इसाइल को पृथ्वी के वातावरण से बाहर फायर किया गया है, उसकी भी पहचान कर के ये उसे नष्ट कर सकता है। इसे इजरायल का टॉप लेवल एयर डिफेन्स सिस्टम कहा जाता है। 2017 में इसका निर्माण पूरा हुआ था। Arrow 3 का परीक्षण 2023 में ही हुआ है। यमन में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों द्वारा फायर की गई मिसाइल की इसने पहचान की थी, जिसका निशाना इजरायल का एलिअट शहर था।

इसे भी अमेरिका के साथ मिल कर ही विकसित किया गया है। Arrrow 2 विस्फोटकों का भी इस्तेमाल करता है, जबकि 3 में ये व्यवस्था नहीं है। इंटर्सेप्शन के माध्यम से ही ये डैमेज कर देता है। ये लॉन्ग रेंज की मिसाइलों को पकड़ने की क्षमता रखता है। इसे विकसित किया जाना 1980 के दशक में ही शुरू हो गया था। 90 के दशक में इजरायल ने Arrow 1 से काम चलाया, लेकिन 2000 में इसका दूसरा वर्जन आ गया। ये ऊपरी वातावरण में हिट एन्ड कील सिस्टम पर काम करता है।

Patriot: इजरायली हवाई सुरक्षा का बुजुर्ग सदस्य

ये भी अमेरिका की मदद से ही विकसित किया गया सिस्टम है। ये इजरायल की एंटी-मिसाइल तकनीक का सबसे पुराना सदस्य है। 1991 में प्रथम खाड़ी युद्ध के समय इसका इस्तेमाल किया गया था। इराक द्वारा फायर की जाने वाली मिसाइलों की ये उस समय पहचान करता था। इराक में तब सद्दाम हुसैन का शासन था। अब ये एयरक्राफ्ट्स एवं ड्रोन को मार गिराने के काम आता है। अभी Arrow 2 का इस्तेमाल जिस काम के लिए किया जाता है, कभी इसकी जगह Patriot था।

सितंबर 2014 में इसने सीरिया से आ रहे एक एयरक्राफ्ट को मार गिराया था, जिसमें लोग भी सवार थे। ये कम्युनिकेशन, कमांड एवं कंट्रोल पर काम करता है। साथ ही राडार सर्विलांस और मिसाइल गाइडेंस से लैस है। ये एक मोबाइल एयर डिफेन्स सिस्टम है, ट्रक और करें की मदद से जिसमें मिसाइलों को रीलोड किया जाता है। इसमें एक कंट्रोल स्टेशन होता है, जिसे इसका हार्ट कहा जाता है। इसमें इन्फॉर्मेशन कोऑर्डीनशन सेंटर और इलेक्ट्रिक पॉवर प्लांट भी होता है।

Iron Beam: इजरायल की रक्षा तकनीक का भविष्य

Iron Beam को भी राफेल द्वारा ही बनाया जा रहा है, जो इजरायल की रक्षा तकनीक का भविष्य है। मोर्टार से लेकर रॉकेट तक को ये नष्ट करेगा। अभी के काइनेटिक इंटरसेप्टर सिस्टम कुछ खतरों की पहचान नहीं कर पाते हैं, इसीलिए नई तकनीक की ज़रूरत है। ये एक मल्टीलेयर डिफेन्स सिस्टम है, ये प्रकाश की गति से इंगेजमेंट करेगा और इसमें अनगिनत मैगजीन्स होंगे और इंटर्सेप्शन पर खर्च भी कम आएगा। इजरायल HEL सिस्टम, LITE बीम और आयरन बीम बना रहा है।

Iron Beam 100 KW का क्लास हाई एनर्जी लेजर वेपन सिस्टम (HELWS) होगा, ये अपनी तरह की पहली ऐसी व्यवस्था होगी। ये RAM और UAVs को पकड़ सकेगा। ये कुछ सौ मीटर की दूरी से लेकर कई किलोमीटर तक के क्षेत्र में खतरों को तबाह करेगा। इसे कई प्लेटफॉर्म्स पर इंटीग्रेट किया जा सकता है। ये पिनपॉइंट एक्यूरेसी के साथ काम करता है। अपनी कम से कम क्षति होती है। प्रति इंटर्सेप्शन खर्च न के बराबर होता है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया