इस्लामिक स्टेट में रिक्रूटमेंट करता था पति अब्दुल्ला, बीवी आयशा ने अफ़ग़ानिस्तान में किया सरेंडर

अफ़ग़ानिस्तान में इस्लामिक स्टेट के लिए काम करने वाली महिला ने किया सरेंडर (फोटो साभार- द न्यूज मिनट)

बीते दस दिनों में अफ़ग़ानिस्तान में करीब 600 इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों ने अपने हथियार डाल दिए हैं। इनमें से एक महिला की पहचान केरल वासी के रूप में हुई है। द हिन्दू की एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 32 वर्षीय यह महिला आईएस आतंकी (मारा जा चुका है) अब्दुल्ला की पहली पत्नी है। शादी से पहले आयशा का नाम सोनिया सेबेस्टियन था। अब्दुल्ला वही शख्स है, जो केरल में आईएस के लिए रिक्रूटमेंट किया करता था। सरेंडर करने वाले आतंकवादियों के बीच महिला की पहचान उन फोटोज़ के ज़रिए हुई, जिसमें वह एक बच्चे के साथ खड़ी दिखाई दे रही है।

2016 में आयशा और अब्दुल्ला इरान से होते हुए पैदल ही अफ़ग़ानिस्तान को निकल गए। अब्दुल्ला उस वक़्त केरल के 21 लोगों के एक दल की अगुवाई कर रहा था, जिन्हें आईएस ज्वाइन करना था। हालाँकि मई 2019 में अफ़ग़ानिस्तान की धरती पर हुए हमले में यूएस सेना ने अब्दुल्ला और उसके जैसे कितने ही आतंकवादियों को मार गिराया। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में जब अब्दुल्ला और आयशा अफ़ग़ानिस्तान के लिए निकले तो उनके साथ उनका दो साल का बच्चा भी था लेकिन बाद में उसके बारे में कोई सुराग नहीं मिल सका।

केरल में लोगों और युवाओं को आईएस में भेजने वाले अब्दुल्ला ने बड़ी ही चालाकी से अन्य सम्प्रदाय और विचार के लोगों का धर्मांतरण करवाया और फिर उन्हें अपने साथ अफ़ग़ानिस्तान के खोरासन प्रान्त में ले गया। यहाँ तक की उसकी पत्नी सोनिया खुद शादी से पहले ईसाई थी, जिसका नाम बाद में आयशा रख दिया। आयशा ने एर्नाकुलम से इंजीनियरिंग पूरी कर बंगलूरु से एमबीए किया था।

एक रिपोर्ट के मुताबिक 2016 तक पाला निवासी अब्दुल्ला कोड़ीकोड स्थित पीस इंटरनेशनल स्कूल में एक टीचर हुआ करता था। इस स्कूल में उसकी मुलाक़ात एक 30 वर्षीय महिला यास्मीन मोहम्मद शहीद से हुई, जो बिहार की रहने वाली थी। आगे चलकर उसने इसी महिला के साथ दूसरी शादी कर ली। इसके बाद अब्दुल्ला ने 21 लोगों को जबकि यास्मीन ने 15 लोगों को बहला-फुसला कर 2016 में आईएसआईएस ज्वाइन करवा दिया।

अब्दुल्ला अफ़ग़ानिस्तान रहकर भी सबसे संपर्क में था, व्हाट्सएप और टेलीग्राम के जारिए वह अक्सर कई भड़काऊ क्लिप डालता रहता था, जिसका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों को आईएस ज्वाइन कराना होता था। इसी रास्ते वह लोगों को हिन्दू संगठनों के खिलाफ हमला करने के लिए उकसाता था। केरल से ISIS में गए लोगों को अफग़ानिस्तान में अब्दुल्ला रशीद के साथ विलायत खोरासन के लिए लगा दिया गया जोकि खोरासन प्रांत में सक्रिय है। दरअसल विलायत खोरासन नाम के इस संगठन की शुरुआत 2015 में हुई थी।

2016 में यास्मीन और उसके बच्चे को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। केरल से गायब हुए युवाओं के मामले में पहली सजा यास्मीन को हुई। मार्च 2018 में कोच्चि स्थित एनआईए की एक विशेष अदालत ने यास्मीन को 7 साल कैद की सजा सुनाई गई। बता दें कि जिस दौरान पुलिस ने यास्मीन और उसके चार साल के बच्चे को पकड़ा, उस दौरान वह दिल्ली से काबुल जाने वाली एक फ्लाईट में सवार हो चुकी थी। उस वक़्त उसने पुलिस से कहा था कि वह उस जगह जा रही थी, जहाँ सच्चा इस्लाम माना जाता है।

एनआईए ने अपनी चार्जशीट में यह माना था कि यास्मीन और अब्दुल्ला राशिद ने मिलकर उन देशों के साथ लड़ाई की, जिनके साथ भारत के मैत्री सम्बन्ध हैं। इस मामले में दोषी पाए जाने पर कोर्ट ने महिला पर 25,000 रुपए का जुर्माना लगाया था। वहीं मई 2019 में अफ़ग़ानिस्तान के खोरासन प्रांत में यूएस बोम्बिंग्स के दौरान अबदुल्ला राशिद की मौत हो गई। इस खबर की पुष्टि स्वयं एक पुलिस अधिकारी ने की थी। टेलीग्राम चैट पर एक आईएस ऑपरेटिव के भेजे एक सन्देश में लिखा मिला था कि इस बम विस्फोट में 3 हिन्दुस्तानी भाई, दो हिन्दुस्तानी महिला और चार बच्चे मारे गए हैं।

2017 की चार्जशीट में सोनिया सेबेस्टियन और अब्दुल रशीद पर आरोप था कि जिहाद और इस्लामिक स्टेट के समर्थन में वह सीक्रेट क्लास लगाते थे। चार्जशीट के मुताबिक उनकी यह क्लास रमजान के आखिर में लगा करती थीं। सोनिया पहले ही सरेंडर कर चुकी हैं जबकि उसके बच्चे की कोई खबर नहीं है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया