हाल ही में शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने हिटलर द्वारा यहूदियों के होलोकॉस्ट अर्थात नरसंहार को जायज ठहराया था। वहीं अब इस मामले में इजरायली दूतावास ने विदेश मंत्रालय और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर शिवसेना नेता संजय राउत की ‘यहूदी विरोधी’ पोस्ट के बारे में शिकायत की है।
द प्रिंट की खबर के अनुसार, इस मामले में इजरायल ने भारत सरकार से यह अपील की है कि शिवसेना सांसद को बताया जाए कि उनके यहूदी नरसंहार को जायज ठहराने वाले पोस्ट ने उस देश को किस तरह आहत किया है जो हमेशा भारत के साथ खड़ा रहा है।
इस मामले की जानकारी देते हुए पत्रकार आदित्य राज कौल ने एक्स पर एक पोस्ट करते हुए लिखा, “नई दिल्ली में इजरायली दूतावास ने यहूदी समुदाय के खिलाफ नरसंहार को उचित ठहराने वाली यहूदी विरोधी टिप्पणियों के लिए शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत के खिलाफ विदेश मंत्रालय को कड़े शब्दों में एक वर्बल नोट और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक पत्र भेजा है।”
बता दें कि यह मामला दरअसल, 14 नवंबर, 2023 का है। उस दिन शिव सेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने अपने एक्स हैंडल से यहूदियों के खिलाफ हिटलर के नरसंहार को उचित ठहराते हुए एक पोस्ट साझा किया। उन्होंने एक्स हैंडल ‘आर्टिकल19 इंडिया’ की एक पोस्ट शेयर की थी जिसमें समय से पहले जन्मे बच्चों का एक वीडियो शेयर किया गया था और यह दावा किया गया था कि इजरायली सशस्त्र बलों ने इन शिशुओं के इनक्यूबेटर की बिजली काट दी है।
वहीं संजय राउत ने अपने पोस्ट में कहा था कि यहूदियों को हिटलर ने ऐसे ही कार्यों के लिए मार डाला था। उन्होंने पोस्ट शेयर करते हुए कमेंट में यह लिखा था, ”हिटलर को यहूदी समुदाय से इतनी नफरत क्यों थी? क्या यह अब समझ में आ रहा है?”
बता दें कि संजय राउत ने अपने पोस्ट में कहा कि हिटलर ने यहूदियों को नरसंहार में मार डाला क्योंकि उन्होंने ऐसे कृत्य किए थे। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिटलर द्वारा यहूदियों के नरसंहार को उचित ठहराया। हिटलर ने होलोकॉस्ट में 60 लाख से अधिक यहूदियों की जान ले ली थी, जिसमें उन्हें गैस चैंबर में बंद करके मार दिया गया। हालाँकि, इस पोस्ट के बाद विवाद बढ़ने पर संजय राउत ने पोस्ट हटा दिया था लेकिन तब तक इज़रायली अधिकारियों ने स्क्रीनशॉट ले लिया था।
गौरतलब है कि आर्टिकल 19 इंडिया ने अपने पोस्ट में लिखा था, ”अल-शिफा अस्पताल में समय से पहले पैदा हुए बच्चे चीख रहे हैं। जिस इनक्यूबेटर में उन्हें रखा गया था उसकी बिजली इजरायल ने काट दी है। सशस्त्र बलों ने अस्पताल को चारों तरफ से घेर लिया है। अस्पताल के अंदर किसी भी खाद्य पदार्थ, दूध या पानी की अनुमति नहीं है।” पोस्ट में एक वीडियो भी था जिसमें दावा किया गया कि यह अल शिफ़ा अस्पताल का है।
वहीं इस मामले में खबर आई थी कि अल शिफा अस्पताल में 39 बच्चों की मौत नहीं हुई है, बल्कि यह कहा गया था कि ऑक्सीजन और बिजली की कमी के कारण ये खतरे में हैं। जबकि इस मामले में आईडीएफ ने शिफ़ा अस्पताल को ऑक्सीजन और सहायता प्रदान करने की भी पेशकश की थी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके।
इस मामले में सैन्य प्रवक्ता ने कहा था, “आईडीएफ नागरिकों और हमास आतंकवादियों के बीच अंतर करने की अपनी नैतिक और पेशेवर जिम्मेदारियों को निभाने के लिए प्रतिबद्ध है। आईडीएफ इनक्यूबेटरों के हस्तांतरण को सुनिश्चित करने के लिए किसी भी विश्वसनीय मध्यस्थ पक्ष के साथ काम करने को तैयार है।”