इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर केविन पीटरसन ने की गैंडों को बचाने के लिए पीएम मोदी के प्रयासों की तारीफ, वह खुद भी ऐसे कर रहे हैं वन्यजीवों की सुरक्षा

गैंडों को बचाने के लिए ये तरीके अपना रहे पीटरसन, पीएम मोदी के हुए मुरीद

इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर केविन पीटरसन (kevin Pietersen) इन दिनों गैंडों को बचाने के लिए जीतोड़ कोशिश कर रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने हुबोट के साथ मिलकर एक टीम बनाई है, जिससे वह गैंडों की विलुप्त हो रही प्रजातियों को बचा सकें। अपनी शानदार बल्लेबाजी के लिए दुनिया भर में मशहूर केविन ने भारत में गैंडों के अवैध शिकार को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किए गए प्रयासों की भी जमकर तारीफ की है। उन्होंने ट्वीट किया, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत में वन्यजीवों की रक्षा के लिए काम करने वाले सभी लोगों मेरा सलाम। मैं उनमें से बहुत लोगों से मिला हूँ और उन सभी का सम्मान करता हूँ।” इस दौरान इंग्लैंड के खिलाड़ी ने इस बात का जिक्र भी किया कि भारत में गैंडों का शिकार लगभग खत्म हो चुका है।

पीटरसन जंगलों में गैंडों के अवैध शिकार से बेहद परेशान हैं। दक्षिण अफ्रीका में जन्मे क्रिकेटर ने हुबोट के साथ मिलकर एक टीम बनाई है, जिसमें बिग बैंग यूनिको सोराई II (Big Bang Unico SORAI II) के सहयोग से उन्हें अवैध शिकार के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलेगी। वर्ष 2018 में पीटरसन ने चैरिटी सोराई (Save Our Rhinos Africa & India) की स्थापना की थी, ताकि वह जानवरों की विलुप्त होती प्रजातियों और उनके अवैध शिकार के प्रति लोगों को जागरूक कर सकें। इसे उन्होंने विश्व वन्यजीव कोष (World Wildlife Fund) समक्ष गंभीर रूप से संकटग्रस्त स्थिति के रूप में वर्णित किया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोराई की मुख्य लड़ाई गैंडों का अवैध शिकार करने वालों से है। पिछले 10 वर्षों में, दक्षिण अफ्रीका के क्रूगर पार्क में दो तिहाई गैंडों को शिकारियों द्वारा मार दिया गया है। पीटरसन बताते हैं कि आज क्रूगर पार्क में 500 से भी कम काले गैंडे बचे हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी की शुरुआत जानवरों के लिए काफी राहत भरी रही थी, क्योंकि उस वक्त इंसान घरों में बंद थे और वह खुले आसमान के नीचे बिना किसी डर के साँस ले रहे थे। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें पिछले बारह महीनों में गैंडों की सुरक्षा में मदद मिली है या यह बाधित हुआ।

इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में जब फुल लॉकडाउन था, वो समय जानवरों के लिए बहुत अच्छा था। वे बताते हैं, “मेरे रेंजर मित्र मुझे बता रहे थे कि वे उस समय ऐसी चीजें देख रहे थे, जो उन्होंने इससे पहले कभी नहीं देखी थीं, जैसे कि जानवर अलग-अलग रास्तों का इस्तेमाल कर रहे थे। खुले में घूम रहे थे, क्योंकि वहाँ कोई इंसान नहीं था। लेकिन जैसे ही लॉकडाउन खत्म हुआ फिर से उनकी जान का खतरा बढ़ गया।”

उन्होंने बताया, “इस समय मैं जिस दुनिया में हूँ, मैंने अपना जीवन पूरी तरह से जानवरों को सम​र्पित कर दिया है। मैं अपने देश और यहाँ विलुप्त हो रही प्रजातियों की रक्षा के लिए काम कर रहा हूँ। यह एक ऐसी जगह है जहाँ मुझे किसी से कोई प्रतिस्पर्धा करने की जरूरत नहीं है। यह एक ऐसी जगह है जहाँ मैं हर दिन हँस सकता हूँ, मैं जितना हो सके अपने परिवार के साथ रह सकता हूँ, जब चाहे यात्रा कर सकता हूँ और कोई भी निर्णय ले सकता हूँ। मैं दुनिया के कुछ सबसे दयालु लोगों के साथ काम कर सकता हूँ।”

जानवरों को बचाने के लिए नई तकनीक का प्रयोग

वह जानवरों को बचाने के लिए नई तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं। हम अभी भी राइनो सैंक्चुरी केयर फॉर वाइल्ड के लिए कई प्रकार के संसाधन उपलब्ध करवाए हैं। इसके अलावा वह उन तरीकों को भी आजमा रहे हैं, जिससे शिकारियों पर नकेल कसी जा सके। वह नई तकनीक के माध्यम से शिकारियों को जानवरों के पास जाने से पहले ही रोक देते हैं। उन्होंने बताया कि हमारे पास थर्मल इमेजिंग कैमरे, रात के कैमरे और ड्रोन हैं। इन उपकरणों से हमें जानवरों को सुरक्षित करने में मदद मिलती है।

पीटरसन ने बताया कि हम 3,000 बच्चों को स्कूल के माध्यम से फंड देते हैं और छात्रवृत्ति कार्यक्रम आयोजित करते हैं। स्कूल के बच्चे और अधिकारी रेंजर्स की रक्षा कर रहे हैं, शिकारियों से लड़ रहे हैं, शिकार किए गए जानवरों और घायल जानवरों की इलाज में मदद करते हैं। इन सभी के माध्यम से हमें जानवरों को बचाने में मदद मिलती है। इसलिए हमें अवैध शिकार को रोकने के लिए जितना हो सके उतना प्रयास करना होगा।

मुझे खुद पर गर्व है: पीटरसन

उन्होंने कहा कि गैंडों को बचाने के लिए मैं जो कुछ भी कर रहा हूँ, मुझे उस पर गर्व है। दुनिया भर में करोड़ों लोग हैं, जो इसके बारे में नहीं जानते हैं। पिछले सात वर्षों में मैंने इस बारे में लोगों को जागरूक किया है, ताकि वह भी इसके लिए आगे आएँ। मुझे जानवरों से बेहद लगाव है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैंने कितने टेस्ट मैच खेले हैं, मेरी कलाई पर कितनी महँगी घड़ी है। आपको जानवरों और उस जगह का सम्मान करना होगा जहाँ वे रहते हैं।

बता दें कि असम में कॉन्ग्रेस के शासनकाल के दौरान 167 गैंडों का शिकार किया गया था। वहीं, 2021 में सिर्फ 1 गैंडे का ही शिकार हुआ है। इस लिहाज से देखा जाए तो साल 2021 में असम में गैंडों का शिकार बीते 21 सालों में सबसे कम हुआ है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया