‘लेस्टर हिंसा का RSS से कोई संबंध नहीं’: UK के थिंक टैंक ने भी माना- मुस्लिम इन्फ्लुएंसर्स ने गढ़ा ‘हिन्दू आतंकी’ का झूठा नैरेटिव, मीडिया ने फैलाया

लेस्टर दंगा (फोटो साभार: MED)

इस साल सितंबर में ब्रिटेन के लेस्टर में हुए हिंदू विरोधी दंगों (Leicester communal clashes) की रिपोर्ट में कहा गया है कि सोशल मीडिया इंफ्लुएंसरों के एक समूह की साजिश के कारण शहर में हिंदू-मुस्लिम दंगे हुए थे। रिपोर्ट में कहा गया कि इन सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर में कुछ संबंध आतंकियों से भी हैं।

ब्रिटेन स्थित हेनरी जैक्सन सोसाइटी के शार्लोट लिटिलवुड ने अपनी रिपोर्ट में का है कि हिंसा भड़काने के लिए संगठित हिंदुत्व चरमपंथ और आतंकवाद का एक झूठा नैरेटिव बनाया गया था। हिंदुत्व चरमपंथ का नैरेटिव गढ़ने वालों में एक सजायाफ्ता आतंकी भी है। इसने तालिबान और ISIS आतंकियों के लिए दुआ माँगी थी।

रिपोर्ट में इन सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर पर फर्जी खबरें फैलाकर सामुदायिक तनाव को भड़काने का आरोप लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राजनीतिक नेताओं के सहयोग से मुख्यधारा के मीडिया द्वारा सहानुभूति हासिल करने के लिए फर्जी नैरेटिव गढ़ा गया, जिसका परिणाम ये हुआ कि उनके पूजा स्थलों पर हमले बढ़े और हिंदू समुदाय की सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्यधारा की मीडिया ने घटनाओं का सही एवं तथ्यात्मक विश्लेषण करने के बजाए हिंदुत्व और भारत की राजनीति पर इन इंफ्लुएंसर के बयानों को अपनी रिपोर्ट में शामिल करके मुद्दे को और उलझा दिया।

इसके अलावा, थिंक-टैंक ने अपनी जाँच रिपोर्ट में कहा है कि जिन लोगों पर ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आतंकवादी‘ होने का आरोप लगाया गया था, उनका न तो दक्षिणपंथी संगठन से कोई संबंध था और न ही उसके बारे में उन्हें पता था।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “ब्रिटेन में सक्रिय आरएसएस के आतंकवादियों और हिंदुत्व चरमपंथी संगठनों के झूठे आरोपों ने हिंदू समुदाय को व्यापक नफरत, हमले और बर्बरता के खतरे में डाल दिया है।” दरअसल, इन सोशल मीडिया इंफ्लुएंसरों ने आतंकी RSS का झूठा नैरेटिव गढ़ा था।

इनमें से एक इंफ्लुएंसर ने एक रैली की अगुआई करते हुए एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसके कैप्शन में लिखा था, ‘मुस्लिम पेट्रोल इन लेस्टर’ और मुस्लिमों को बाहर आकर ‘हिंदू फासीवादियों’ का मुकाबला करने के लिए उकसाया था। इस इंफ्लुएंसर के सोशल मीडिया पर 8 लाख फॉलोअर्स हैं।

इनमें से 1.5 लाख वाले एक इंफ्लुएंसर ने एक मुस्लिम लड़की और हिंदू लड़के के मामले के दौरान फर्जी खबरें फैलाई थीं। इसके पहले यह खुद को पाकिस्तान में D कंपनी से जुड़ा हुआ बताया था और दाऊद इब्राहिम की जमकर तारीफ की थी।

शार्लोट के अनुसार, यह मुद्दा दमन और दीव के एक हिंदू और उसके मुस्लिम पड़ोसियों के बीच टकराव से उपजा है। यह हिंदू हाल ही में वहाँ गया था। पूर्वी लेस्टर के LE5 पोस्टकोड क्षेत्र मुस्लिम बहुल है, और वहाँ हाल ही में गए हिंदू परिवार ने अपने त्योहारों पर उत्सव मनाया था। इससे उसके मुस्लिम पड़ोसी नाराज हो गए थे।

इसके बाद उस हिंदू व्यक्ति ने 17 सितंबर को ‘हिंदू सेफ्टी मार्च’ निकालकर हिंदुओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाया था। इसके बाद इन इंफ्लुएंसरों ने फेक फोटोग्राफ के जरिए उसे संघ का आतंकी बताया और हाथ में तलवार लिए हुए उसकी फोटो वायरल कर दी।

इस हिंसा में ब्रिटेन का सजयाफ्ता कट्टरपंथी मौलाना अंजेम चौधरी और इस्लामी खिलाफत का ख्वाब देखने वाला प्रतिबंधित आतंकी संगठन हिज्ब-उर-तहरीर की भूमिका भी सामने आई है। इसके बाद से मामला बिगड़ता चला गया और हिंसा की चिंगारी भड़क उठी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया