मोरक्को में 2000 से अधिक मौतें, 12वीं शताब्दी का मस्जिद भी ध्वस्त: रात में सड़क पर सोने को मजबूर हैं हजारों लोग, 100 साल में सबसे ज़्यादा तीव्र भूकंप

मोरक्को में सड़क पर सोने को मजबूर लोग, पहाड़ी ग्रामीण क्षेत्र में अधिक मौतें

मोरक्को में आए भीषण भूकंप ने 2000 से भी ज़्यादा लोगों की जानें लील ली हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्राकृतिक आपदा के दुष्प्रभावों से पूरी तरह बाहर निकलने में मोरक्को को वर्षों लग जाएँगे। अटलांटिक महासागर और भूमध्य सागर से लगा उत्तरी अफ्रीका के इस देश में चीख-पुकार मची है। अब तक 2059 लोगों की मौत और 1200 से ज़्यादा लोगों के गंभीर रूप से घायल होने की पुष्टि हुई है। ‘रेड क्रॉस’ ने कहा है कि नुकसान की भरपाई में कई वर्ष लग जाएँगे।

मोरक्को में स्थित हाई एटलस पर्वत श्रृंखला शुक्रवार (8 सितंबर, 2023) को आए इस भूकंप का केंद्र था। इसका एपिसेंटर ईघिल नामक जगह है, जो मोरक्को के चौथे सबसे बड़े शहर मारकेश से 70 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। तुर्की और सीरिया में ऐ भूकंपों का भी असर यहाँ पड़ा था, लेकिन तब कुछ ही हफ़्तों में हालात सामान्य हो गए थे। कई घर ध्वस्त हो गए हैं। पहाड़ी क्षेत्र में स्थित इलाकों के सभी घर ध्वस्त हो गए हैं। टाफेघाघटे नामक एक महत्वपूर्ण शहर के सभी घर भी मिट्टी में मिल गए हैं।

लगातार दूसरी रात भूकंप पीड़ितों को सड़क पर सोना पड़ा। मारकेश शहर के लोगों ने भी घर से बाहर रात गुजारी, क्योंकि भूकंप के फिर से आने का डर था। मोरक्को में 1960 में भयंकर भूकंप आ चुका है, जिसमें 15,000 लोगों को जान गँवानी पड़ी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मोरक्को को मदद का आश्वासन दिया है, जिसके बाद मोरक्कन मूल की बॉलीवुड अभिनेत्री नोरा फ़तेही ने उन्हें धन्यवाद दिया। अमेरिकी विशेषज्ञों ने कहा है कि सन् 1900 के बाद अब तक मोरक्को में 6 से ज़्यादा मैग्नीट्यूड का भूकंप नहीं आया।

भूकंप की गहराई धरती के भीतर 18.5 किलोमीटर थी, जो इसे ‘Shallow भूकंप’ की कैटेगरी में डालता है और ये सामान्य भूकंप से ज़्यादा विनाशकारी होता है। कई क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ हेलीकॉप्टर से ही अब पहुँचा जा सकता है। अल-हौज़ प्रान्त में जहाँ भूकंप का एपिसेंटर था, वो ग्रामीण इलाका है। मोरक्कों के दुश्मन देश अल्जीरिया ने भी मदद के लिए अपना एयरस्पेस खोलने का आश्वासन दिया है। कई लाशें धूल-मिट्टी में सनी हुई मिलीं। सड़क पर सोते हुए लोगों की तस्वीरें भी सामने आई हैं।

मोरक्को का जेमा-अल-फ़ना मस्जिद भी ध्वस्त हो चुका है। कुतुबिय्या मस्जिद में मरम्मत का कार्य चल रहा था, लेकिन अब ये पूरी तरह गिर चुका है। ये 12वीं शताब्दी का मस्जिद है। इसके 69 मीटर (226 फ़ीट) के मीनार को मारकेश की छत कहा जाता था। रेस्क्यू के लिए अभियान चलाया जा रहा है। सन् 1492 में यहूदियों द्वारा बनवाया गया एक सिनेगॉग (धर्मस्थल) भी तबाह हो गया। मोरक्को ने अब तक किसी देश से सहायता नहीं माँगी है। कई लोगों ने पलायन किया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया