इमरान के ‘नए पाकिस्तान’ में महिला मानवाधिकार कार्यकर्ता पर राजद्रोह का मुकदमा

पाकिस्तान पीएम इमरान खान- मानव अधिकार कार्यकर्ता गुलालाई इस्माइल

पाकिस्तान में 11 साल की नाबालिग से बलात्कार और हत्या पर न्याय के लिए आवाज उठाने वाली एक मानवाधिकार कार्यकर्ता, गुलालाई इस्माइल को छिप कर जीने के लिए मजबूर किया गया है। मारियाना काटजारोवा समेत महिला कार्यकर्ताओं के एक समूह ने एक खुला पत्र लिखकर इमरान खान की सरकार से इस्माइल की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है। ये पत्र संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को भेजा गया है।

इस मामले पर एमनेस्टी इंटरनेशनल के उप दक्षिण एशिया निदेशक उमर वारिच ने कहा, “गुलालाई इस्माइल और उसके परिवार को पाकिस्तानी अधिकारियों के हाथों परेशान करना और धमकाना समाप्त होना चाहिए।” आगे उन्होंने कहा, “देश में खतरनाक मानवाधिकारों की स्थिति को संबोधित करने के बजाए, वे मानवाधिकारों के रक्षकों को चुप कराने की कोशिश में अपनी ऊर्जा और संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं।”

दरअसल, इस्माइल की मुश्किलें इमरान खान के पाकिस्तान के प्रधानमंत्री चुने जाने के लगभग एक साल बाद से शुरू हुईं। पश्तून तहफ्फुज आंदोलन (पीटीएम) की कार्यकर्ता गुलालाई इस्माइल पर आतंकवाद निरोधी कानूनों के तहत देशद्रोह का आरोप लगाया गया। इस्माइल ने पिछले महीने फरिश्ता मोहम्मद की हत्या के लिए अधिकारियों की भूमिका को उजागर करने के लिए विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था, फरिश्ता मोहम्मद का शव इस्लामाबाद के वुडलैंड में मिला था।

इमरान खान सरकार ने राज्य विरोधी भाषणों के मामले में 27 मई को इस्माइल को ब्लैकलिस्ट कर दिया था। दरअसल, देश की राजधानी में एक भाषण में इस्माइल ने पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों से नागरिकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने का आह्वान किया था, जिसमें पश्तून अल्पसंख्यक के विशेष सदस्य थे। इसमें वो और बच्चा दोनों शामिल थे। इस्लामाबाद में उनके खिलाफ आतंकवाद विरोधी अधिनियम के तहत राज्य विरोधी भाषण देने और कथित तौर पर पश्तूनों को सरकार और सशस्त्र बलों के खिलाफ उकसाने के मामले दर्ज किए गए थे। पश्तून तहफ्फुज आंदोलन की नेता के खिलाफ पाकिस्तान पीनल कोड की धारा 500, धारा 153-ए, धारा 124-ए के साथ साथ आतंकवाद निरोधक अधिनियम 1997 के धारा 6/7 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।

जानकारी के मुताबिक, 10 जून को लंदन से वापस लौटने के दौरान इस्लामाबाद हवाई अड्डे पर संघीय जाँच एजेंसी (एफआईए) द्वारा उनसे 2 घंटे की पूछताछ की गई, जिसके बाद उन्हें घर जाने दिया गया। वहीं, गुलालाई इस्माइल के पिता प्रोफेसर मोहम्मद इस्माइल ने 4 जून को एक ट्वीट करते हुए कहा कि पाकिस्तानी अधिकारियों के हाथों उनके परिवार का उत्पीड़न हो रहा था। उन्होंने लिखा कि उनके घर पर 3 जून को इफ्तार से पहले पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की एक बड़ी टुकड़ी ने छापा मारा था। मोहम्मद इस्माइल ने कहा कि वो लोग (पुलिस) उनका और उनकी पत्नी का मोबाइल फोन और सीसीटीवी सिस्टम छीन कर ले गए। उन्होंने बताया कि उनके पास इसके लिए न तो कोई कोर्ट ऑर्डर था और न ही उन लोगों ने चीजों को ले जाने की कोई रसीद दी।

पश्तून और महिलाओं के अधिकार कार्यकर्ता, गुलालाई को को सभी महिलाओं तक पहुँच बनाने के लिए साल 2017 में अन्ना पोलितकोवस्काया अवार्ड से सम्मानित किया गया था। गुलालाई ने लड़कियों को जागरुक करने के लिए साल 2002 में अपनी बहन सबा-इस्माइल के साथ मिलकर एक गैर-सरकारी संगठन की सह-स्थापना की। इस संगठन का उद्देश्य युवा लोगों, विशेषकर महिलाओं और लड़कियों के नेतृत्व कौशल को मजबूत करना है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया