‘काफिर काफिर शिया काफिर’: कराची में सिपाह सहाबा से जुड़े कट्टरपंथी सुन्नियों ने निकाला शिया विरोधी रैली, की पत्थरबाजी

कराची में सुन्नियों द्वारा किया जा रहा 'शिया विरोधी' प्रदर्शन साभार - ट्विटर - असद गोकल

शुक्रवार को हज़ारों की तादाद में सुन्नी कट्टरपंथी समूहों ने कराची की सड़कों पर शिया विरोधी आन्दोलन किया। इस्लाम के दो वर्गों के बीच इतने बड़े पैमाने पर तनाव पैदा होने पर हिंसा की घटनाओं का ख़तरा भी बढ़ गया था। हाल ही पाकिस्तानी शिया नेता ने कथित तौर पर मुहर्रम जुलूस के सीधे प्रसारण के दौरान ऐतिहासिक इस्लामिक चेहरों पर अनैतिक टिप्पणी की थी। इस टिप्पणी के चलते उस शिया नेता पर ईशनिंदा का आरोप लगा था जिसके विरोध में सुन्नी समुदाय के हज़ारों लोग सड़कों पर उतरे थे। 

विरोध प्रदर्शन मोहम्मद अली जिन्नाह की मज़ार ‘मज़ार-ए -कायद’ के पास शुरू हुआ था। इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होने वाले कट्टरपंथी सुन्नी तमाम शिया विरोधी समूहों से जुड़े हुए थे। इसमें सिपाह-ए-सहाबा और तहरीक लब्बाइक पाकिस्तान मुख्य थे। यह सभी समूह शिया समुदाय के लोगों को काफ़िर मानते हैं। ख़बरों की मानें तो सिपाह-ए-सहाबा ने पिछले कुछ समय में पाकिस्तान के भीतर सैकड़ों शिया समुदाय वालों की हत्या की है। 

सुन्नियों का नारा काफ़िर काफ़िर शिया काफ़िर

इन विरोध प्रदर्शनों के तमाम वीडियो भी सामने आए हैं जिसमें हज़ारों की भीड़ देखी जा सकती है। ऐसे ही एक वीडियो में सुन्नी कट्टरपंथी बसों को रोकते हुए, झंडे फहराते हुए और शिया विरोधी नारे लगाते हुए देखे जा सकते हैं। लगाए गए तमाम नारों में एक नारा था ‘काफ़िर काफ़िर शिया काफ़िर।’ सैय्यद हुसैन मुजतबा रिज़वी नाम के ट्विटर यूज़र ने विरोध प्रदर्शन का वीडियो साझा करते हुए लिखा, “तो अब यह सब भी शुरू हो चुका है। सिपाह सहाबा और तहरीक लब्बाइक पाकिस्तान कराची में काफ़िर काफ़िर शिया काफ़िर के नारे लगा रहे हैं। इमाम बरगाह इमामिया पर तमाम गुंडों ने हमला भी किया है और कुछ ने तो पत्थर भी चलाए।” 

https://twitter.com/110HussainRizvi/status/1304402325616852992?ref_src=twsrc%5Etfw

सुन्नी कट्टरपंथियों ने चलाए इमामबारगाह पर पत्थर

इसी तरह के एक और वीडियो में सिपाह सबाहा से सम्बंधित सुन्नी कट्टरपंथी इमाम बरगाह (शिया समुदाय के लोगों का एकत्रित होने का स्थान) पर पत्थर फेंकते हुए देखे जा सकते हैं। इस वीडियो में भी भीड़ शिया विरोधी नारे लगाते हुए सुनी जा सकती है और यह सब कुछ प्रदर्शन के दौरान ही हो रहा था। 

https://twitter.com/asadgokal/status/1304503607967047681?ref_src=twsrc%5Etfw

हाल ही में जमात उलेमा-ए-इस्लाम नाम के राजनैतिक संगठन के नेता करी उस्मान ने एक भाषण दिया था। अपने भाषण में उसने कहा था, “हम किसी भी तरह का अपमान और मानहानि नहीं सहेंगे। शिया जो पाकिस्तान की आबादी का सिर्फ 20 फ़ीसदी हैं, उन्हें मुहर्रम के जुलूस के दौरान निशाना बनाया गया। साल 2013 के बाद से शिया विरोधी हिंसा में सामान्य गिरावट भले आई है लेकिन वर्ग के आधार पर होने वाले हमले देश के तमाम इलाकों में अभी तक जारी हैं।” 

पाकिस्तान में ईशनिंदा

पाकिस्तान में ईशनिंदा एक अपराध है और कुछ मामलों में इसके लिए मृत्यु दंड का भी प्रावधान है। इससे सम्बंधित क़ानून का इस्तेमाल अक्सर अल्पसंख्यकों और अन्य वंचित वर्ग के लोगों पर अत्याचार करने के लिए किया जाता है। अगर किसी व्यक्ति पर ईशनिंदा के आरोप साबित नहीं होते तो इस्लामी भीड़ उसकी लिंचिंग (पीट-पीट कर हत्या) कर देती है। ईशनिंदा का क़ानून यह कहता है कोई भी इंसान अगर अपने शब्दों से (लिखित या मौखिक), चित्रण के सहारे, आरोप या कटाक्ष के ज़रिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पैगंबर मोहम्मद का अपमान करता है। उस इंसान को जुर्माना, आजीवन कारावास या कुछ मामलों में मृत्यु दंड तक सुनाया जा सकता है। 

जब सुन्नी समुदाय ने कोरोना वायरस को कहा शिया वायरस

हाल ही में तमाम पाकिस्तानी लोगों ने शिया समुदाय के लोगों की आलोचना की थी। दरअसल शिया समुदाय के लोग ईरान स्थित अपने धार्मिक स्थल से वापस लौटे थे जिसकी वजह से पाकिस्तान के लोगों का कहना था कि सारे शिया अपने साथ कोरोना वायरस लेकर आए हैं। कुछ कट्टरपंथियों ने तो यहाँ तक कहा कि इस वायरस के लिए चीन से ज़्यादा शिया लोग ज़िम्मेदार हैं इसलिए इस वायरस का नाम ‘शिया वायरस’ होना चाहिए। कुछ लोगों ने कहा कि शिया समुदाय के लोग जानबूझ कर पाकिस्तान में कोरोना वायरस लेकर आए। और कुछ ने तो यहाँ तक कहा कि शिया समुदाय के लोग इस्लाम के असली दुश्मन हैं।                

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया