मौलवी ने गुरुद्वारे की जमीन पर किया कब्जा, सिखों को धमकी देते हुए कहा- यहाँ केवल मुस्लिम रह सकते हैं

मौलवी ने गुरुद्वारे की जमीन पर किया कब्जा

पाकिस्तान के लाहौर में एक मौलवी ने गुरुद्वारे की जमीन पर कब्जा कर लिया है। उसने एक वीडियो जारी करके सिखों को धमकी दी है। इसमें कहा है कि पाकिस्तान इस्लामी देश है और यहाँ सिर्फ़ मुस्लिम रह सकते हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मौलवी का नाम सोहेल बट्‌ट है। वह दावत-ए-इस्लामी (बरेलवी) से जुड़ा है। वह लाहौर में मुस्लिम पैगम्बर हजरत शाह काकु चिश्ती दरगाह का केयरटेकर भी है। उसने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर गुरुद्वारा शहीद भाई तारु सिंह की जमीन पर कब्जा किया है।

https://twitter.com/HJSBangalore/status/1287625480103854080?ref_src=twsrc%5Etfw

जमीन कब्जाने के बाद उसने जो वीडियो जारी की है उसमें उसने पाकिस्तान गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष गोपाल सिंह चावला को धमकी दी गई है। गोपाल चावला ने गुरुद्वारा में पिछले साल सिखों के प्रतीक श्री निसाल साहिब को फहराया था। सोहेल ने दावा किया है कि गुरुद्वारा और उसके आसपास की 4 से 5 कनाल जमीन हजरत शाह काकु चिश्ती दरगाह और शहीदगंज मस्जिद की है।

https://twitter.com/shubham_jain999/status/1287647999867273216?ref_src=twsrc%5Etfw

कहा जा रहा है कि सोहेल ने ये कदम भू-माफियों के इशारे पर उठाया गया है। इसमें से एक तो ISI का ऑफिसर जेन साब भी है। मौलवी को वीडियो में कहते सुना जा सकता है, “एक मुस्लिम राष्ट्र होने के नाते पाकिस्तान केवल मुस्लिमों का है। 1947 में पाकिस्तान के बनने के समय करीब 20 लाख मुस्लिमों ने जिंदगी गँवाई थी। ये सिख गुंडागर्दी दिखा रहे हैं। यह एक इस्लामी राष्ट्र है, वे कैसे गुंडागर्दी दिखा सकते हैं? ऐतिहासिक रिकॉर्ड बताते हैं कि यह साइट हमारी है।”

यहाँ बता दें कि लाहौर की जमीन पर स्थित यह गुरुद्वारा भाई तारू सिंह के शहीद स्थल पर बना था। वहीं तारू सिंह जिन्होंने अपने धर्म के लिए अपने केश नहीं कटवाए थे, बल्कि उसके बदले अपनी खोपड़ी उतरवा ली थी। 1726 में मुगलकाल के दौरान जकारिया खान ने उन्हें इस्लाम स्वीकारने को कहा था। लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया।

इसके बाद जकारिया खान ने उन पर कई ज्यादतियाँ की और आखिर में उनसे उनके केश माँगे। लेकिन उन्होंने केश नहीं उतरवाए। आज पाकिस्तान में ऐसे कई ऐतिहासिक गुरुद्वारे हैं। लेकिन स्थितियाँ अब पहले जैसी नहीं हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया