ईशनिंदा के आरोप में सिक्योरिटी गार्ड अहमद नवाज ने बैंक मैनेजर को मारी गोली: पाकिस्तानियों ने मनाया जश्न, देखें वीडियो

बैंक मैनेजर को गोली मारने वाले सुरक्षा गार्ड के समर्थन में उतरे पाकिस्तानी

सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया है, जहाँ कथिततौर पर ईशनिंदा के आरोप में बैंक मैनेजर को गोली मारने वाले एक सिक्योरिटी गार्ड के अहमद नवाज समर्थन में उतरे पाकिस्तानी उसके साथ जश्न मनाते और उसका अभिवादन करते नजर आ रहे हैं।

पाकिस्तानी एक्टिविस्ट राहत ऑस्टिन ने ख़ुशब की क़ैदाबाद तहसील में नेशनल बैंक ऑफ़ पाकिस्तान शाखा के एक मैनेजर को ईशनिंदा के आरोप में गोली मारने वाले सिक्योरिटी गार्ड अहमद नवाज का वीडियो शेयर किया है। वीडियो में अहमद एक भीड़ का नेतृत्व करते, नारे लगाते और हत्या का जश्न मनाते हुए सड़क पर दिखाई दे रहा है। इस प्रदर्शन के बीच एक व्यक्ति को भीड़ से निकलते और उसे चूमते हुए भी देखा जा सकता है।

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एक अन्य वीडियो में आप देख सकते हैं कि भीड़ किस तरह हत्या के आरोपित को संरक्षण देते और हत्या के लिए उसे बधाई देती नजर आ रही है। भीड़ के साथ आरोपित मजहबी नारे लगाता है, जिसका अर्थ है “पैगंबर का अपमान करने वालों का सर कलम कर दो।”

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एक अन्य वीडियो में गार्ड को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि मृतक प्रबंधक ने पैगम्बर का अपमान किया था।

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गौरतलब है कि यह घटना 4 नवंबर (बुधवार) को ख़ुशब की तहसील क़ैदाबाद में हुई थी। बैंक शाखा में तैनात सुरक्षाकर्मी अहमद नवाज ने नेशनल बैंक ऑफ़ पाकिस्तान के अधिकारी मुहम्मद इमरान हनीफ को गोली मारकर घायल कर दिया था। नवाज ने कहा कि उन्होंने हनीफ को कथित ईशनिंदा करने के आरोप में खुलेआम गोली मार दी थी। हालाँकि, पाकिस्तानी पुलिस ने पुष्टि की कि कुछ दिनों से दोनों के आपसी विवाद चल रहा था। जिस वजह से घटना को अंजाम दिया गया।

वहीं जैसे ही सुरक्षा गॉर्ड को पुलिस हिरासत में ले रही थी, एक बड़ी संख्या में भीड़ उसके समर्थन में उतर आई और उसके पक्ष में नारे लगाते हुए दिखी।

पैगंबर मुहम्मद या उनके खिलाफ बोलना ईश निंदा माना जाता है, जिस पर इस्लामिक कट्टरपंथियों ने मासूम लोगों को मौत के घाट उतारने का काम किया है। बीते दिनों यह नजारा फ्रांस में देखने को मिला जब शिक्षक द्वारा पैगम्बर मोहम्मद का कार्टून दिखाने पर उसका सर कलम कर दिया गया था।

वहीं पूर्व हिंदू महासभा के नेता और हिंदू समाज पार्टी के संस्थापक कमलेश तिवारी की हत्या और बेंगलुरु में हुए दंगों के पीछे की वजह भी यही थी। अक्सर असहज तथ्यों को बोलने की हिम्मत रखने वालों के खिलाफ नफरत और असहिष्णुता देखी ही जाती है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया