जिस 40 साल के इमरान को ईसाई परिवार ने दिया सहारा, उसी ने घर से 12 साल की बेटी का किया अपहरण: धर्मांतरण के बाद निकाह, भाइयों को हत्या की धमकी दी

नाबालिग लड़की का पाकिस्तान में धर्मांतरण (प्रतीकात्मक तस्वीर)

पाकिस्तान में एक नाबालिग ईसाई लड़की के अपहरण और धर्मांतरण का मामला सामने आया है। परिवार का कहना है कि उनकी 12-13 साल की लड़की को उनके ही घर में रहने वाले इमरान ने किडनैप किया और बाद में उसका धर्म परिवर्तित करवा कर उससे निकाह कर लिया। अब लड़की परिजनों के पास किसी भी हाल में लौटना चाहती है लेकिन कोर्ट के आदेश हैं कि वो इमरान के साथ ही रहे।

डीएनडी पर प्रकाशित एक रिपोर्ट बताती है कि 40 साल का इमरान शहजाद और अदीबा अपने तीन बच्चों के साथ ईसाई दंपत्ति के घर में रहते थे। ईसाई परिवार ने उनकी मदद उस समय में की थी जब इमरान की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। लेकिन इमरान और अदीबा, ईसाई परिवार के एहसान को भुलाकर उनके घर में झगड़ा करते थे। आए दिन इमरान अपनी बीवी अदीबा पर हाथ उठाता था, उसको मारता था।

ऐसे में ईसाई परिवार ने उन लोगों को घर छोड़ने को कहा। परिवार ने उन्हें समझाया कि उनके घर में लड़ाई झगड़े का माहौल नहीं है और वो नहीं चाहते हैं कि ये लड़ाइयाँ हों, जो उनके बच्चों पर असर डालें।

इमरान और अदीबा ने इसी चेतावनी के एक हफ्ते बाद ईसाई दंपत्ति की बेटी जारा (बदला नाम) को उठाने की साजिश रची। 30 अप्रैल 2022 को इमरान की बीवी अदीबा उनके घर आई और कहा कि वो जारा को बाजार ले जाना चाहती है। घरवाले अदीबा को जानते थे तो उन्होंने अपनी बच्ची को उसके साथ भेज दिया। लेकिन देर रात होने पर भी जब बच्ची नहीं लौटी तो वह परेशान हो गए। बाजार में खूब ढूँढने के बाद वह लोग थाने रिपोर्ट लिखवाने गए।

बच्ची के पिता बताते हैं कि जिस समय वह वहाँ पर रिपोर्ट लिखवा रहे थे, तभी इमरान ने उन्हें मैसेज भेजा कि उनकी बेटी उसके पास है और अब वह उसको नहीं छोड़ेगा। 1 मई को पीपीसी की धारा 364 बी के तहत केस रावलपिंडी थाने में दर्ज हुआ। पुलिस ने इमरान, अदीबा और अपहरण करने वाले लियाकत को गिरफ्तार किया। बच्ची भी रातभर थाने में अदीबा के साथ रखी गई।

14 मई को जब बच्ची की गवाही कोर्ट में दिलवाने का समय आया तो उसने कहा कि उसकी उम्र 14 साल है और वो मेडिकल नहीं करवाना चाहती। उसने इस्लाम कबूल करके इमरान से निकाह किया है और उसके साथ अपनी मर्जी से रहना चाहती है।

बच्ची के इस बयान को सुनने के बाद रावलपिंडी के जज ने उन तीनों आरोपितों को रिहा कर दिया। लेकिन, इस फैसले के कुछ दिन बाद बच्ची का परिजनों पर फोन आया। उसने बताया कि आरोपितों ने उसे धमकी दी थी कि वो उनके पक्ष में बोलें वरना दोनों भाइयों को मार दिया जाएगा। बेटी की बात सुन माँ ने दोबारा याचिका दाखिल की। लेकिन 13 जुलाई को उनकी याचिका खारिज कर दी गई। अब पीड़िता की माँ का कहना है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ न्याय नहीं होता।

पुलिस कानून को ताक पर मुस्लिमों का साथ देती है। उनके अनुसार, जाँच में किए गए भेदभाव के कारण एक छोटी बच्ची अपने माँ-बाप से अलग उस व्यक्ति के पास है जिसने उसको सताया। अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले कार्यकर्ताओं के कारण ये मामला प्रकाश में आया है, लोग जारा की रिहाई और इमरान को सजा दिलाने की माँग कर रहे हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया