150 (6 बेगम+54 बच्चे) लोगों का परिवार, हार्ट अटैक से मर गए अब्दुल: इलाज करवाने के लिए भी घरवालों के पास नहीं थे पैसे

पाकिस्तान के अब्दुल की छह बेगम, 54 बच्चे : हार्ट अटैक से मौत (फोटो क्रेडिट-एबीपी न्यूज)

54 बच्चों के अब्बू और छह बेगम के शौहर अब्दुल मजीद की हार्ट अटैक से मौत हो गई है। पाकिस्तान का यह शख्स अपने छोटे कस्बेनुमा परिवार की वजह से चर्चा में रहता था। अब्दुल ट्रक चलाकर अपने परिवार का पेट पालता था और उसपर पूरे परिवार की जिम्मेदारी थी।

आश्चर्यजनक यह है कि 75 वर्षीय अब्दुल को बच्चे पैदा करने का इतना शौक था कि उसकी सबसे छोटी बेटी सात साल की थी और अधिकतर बच्चे 15 साल से कम उम्र के थे। उसकी पहली शादी 18 साल की उम्र में हुई थी। अब्दुल दिल का मरीज था। उसके घर में इतनी किल्लत थी कि मौत से पाँच दिन पहले तक वह ट्रक चला रहा था। पाकिस्तान के नौशकी जिले में रहने वाले अब्दुल की मौत बुधवार (7 दिसंबर 2022) को हुई थी।

अब्दुल मजीद के बेटे शाह वली ने बताया कि 54 बच्चों की जरूरतें पूरी करना आसान काम नहीं था। फिर भी उसके अब्बू पूरी जिंदगी इसी काम में लगे रहे। उसने बताया कि कभी भी अपने पिता को आराम करते नहीं देखा। शाह वली ने कहा कि उनमें से कोई बीए पढ़ा है तो कोई कोई मैट्रिक, लेकिन उनके पास रोजगार नहीं है। उसने बताया कि आर्थिक तंगी की वजह से ही अपने पिता का इलाज नहीं करा सके। वली 37 साल का है। वह भी अपने पिता की तरह ही ट्रक चलाता है।

अब्दुल पहली बार 2017 की जनगणना के दौरान सुर्खियों में आया था। पाकिस्तान में 2017 में 19 साल बाद जनगणना हुई थी। टीम ने पाया था कि अब्दुल अपनी 4 पत्नियों और 42 बच्चों के साथ रह रहा है। उसकी 2 पत्नियों और 12 बच्चों की मौत हो चुकी थी।

जनगणना कि रिपोर्ट के मुताबिक, अब्दुल के पोता-पोतियों को जोड़ लिया जाए तो यह 150 लोगों का परिवार है। जनगणना अधिकारी भी अब्दुल के परिवार के सदस्यों की संख्या जानकर हैरत में पड़ गए थे। अब्दुल अपने बच्चों और पत्नियों के साथ सात कमरों के घर में रहता था। वह बारी-बारी से बच्चों से मिलता था और पारिवारिक कार्यक्रमों में भाग लेता था।

2017 में एक इंटरव्यू में अब्दुल ने बताया था कि उसके पास पैसे नहीं हैं, फिर भी उसे 54 बच्चों के होने का कभी मलाल नहीं है। तंगी की वजह से उनके बच्चों को दूध नहीं मिल पाता। लिहाजा उनके कई बच्चों की मौत हो चुकी है। शुरुआत में उन्होंने कड़ी मेहनत करके अपने कुछ बच्चों को पढ़ाया-लिखाया लेकिन जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती गई, अब्दुल की काम करने की क्षमता भी कम होती चली गई।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया