‘कोई सबूत नहीं, फैलाया जा रहा झूठ’: Pegasus विवाद पर फँसा The Wire, इजरायली कंपनी कर सकती है मुकदमा

पेगगास पर लेख को लेकर 'The Wire' को इजरायली कंपनी ने दी मानहानि के मुकदमे की धमकी (फाइल फोटो)

इजरायली जासूसी सॉफ्टवेयर ‘Pegasus’ को बनाने वाली कंपनी NSO ग्रुप ने भारतीय वामपंथी मीडिया संस्थान ‘The Wire’ को मानहानि का मुकदमा दायर करने की धमकी दी है। ‘द वायर’ ने अपनी एक खबर में दावा किया था कि भारत सरकार तेल-अवीव में स्थित इस कंपनी के सॉफ्टवेयर के जरिए कई पत्रकारों, सुप्रीम कोर्ट के जजों व विपक्षी नेताओं की जासूसी करवा रही है। सरकार ने इन आरोपों को तथ्यों से परे बताया है।

इजरायली कंपनी ने अपने डिफेमेशन काउंसल क्लेयर लोके के जरिए ‘The Wire’ को एक पत्र भी भेजा है, जिसमें कहा गया है कि बिना किसी तथ्य व आधार के उसके द्वारा प्रकाशित की गई खबर पर उसके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। कंपनी ने जिक्र किया है कि उस खबर में उसके जासूसी सॉफ्टवेयर के जरिए भारत के कुछ लोगों की जासूसी की बात कही गई है, जो गलत है।

‘The Wire’ इस सम्बन्ध में और भी लेख प्रकाशित करने के दावे कर रहा है। NSO ग्रुप ने कहा है कि ये लेख एकदम झूठे हैं और कंपनी की छवि को नुकसान पहुँचाने वाले हैं। अपने बयान में कंपनी ने कहा है कि अगर वो लेख प्रकाशित किए जाते हैं तो ‘The Wire’ के लिए समस्या हो सकती है। कंपनी ने कहा कि इसके कंटेंट्स को लेकर उसकी कुछ ठोस चिंताएँ हैं। कंपनी ने इन्वेस्टीगेशन के नाम पर इन खबरों को आगे बढ़ाने वाले पत्रकारों के नेटवर्क ‘फॉरबिडेन स्टोरीज’ से भी नाराज़गी जताई।

कंपनी ने कहा कि ये लेख गलत धारणाओं पर आधारित हैं और बिना किसी सबूत के अपुष्ट बातें लिखी गई हैं। कंपनी ने कहा कि इन मीडिया संस्थानों के ‘सूत्रों’ की विश्वसनीयता और हितों पर भी इससे बड़े सवाल खड़े होते हैं। कंपनी के अनुसार, ऐसा लगता है कि ‘अनभिज्ञ सूत्रों’ ने उन्हें कुछ ऐसी जानकारियाँ उपलब्ध कराई हैं, जो वास्तविकता से दूर हैं और उनका कोई तथ्यात्मक आधार ही नहीं है।

इन लेखों को उपद्रवी की श्रेणी में डालते हुए कंपनी ने स्पष्ट किया कि वो अब मानहानि का मुकदमा दायर करने पर विचार कर रहा है। कंपनी ने कहा कि ‘द वायर’ ने जरा भी मेहनत नहीं की और इन सूचनाओं की पुष्टि के लिए कोई प्रयास नहीं किए। कंपनी ने कहा कि इस तरह के गंभीर व अपमानजनक आरोपों के पीछे मीडिया संस्थान के पास कई ऑन-रिकॉर्ड सूत्र होने चाहिए, गहन अध्ययन किया जाना चाहिए और सम्बंधित डेटा का पारदर्शी विश्लेषण होना चाहिए।

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‘Pegasus’ की संचालक कंपनी NSO ग्रुप के अनुसार, ऐसे आरोप लगा तो दिए गए लेकिन इसके पीछे सबूत के रूप में कोई दस्तावेज या विश्वसनीय स्रोत नहीं है। साथ ही इन मीडिया संस्थानों पर डेटा के गलत विश्लेषण का भी आरोप लगाया गया है। अक्टूबर 2018 में पत्रकार जमाल खशोगी की इस्ताम्बुल स्थित सऊदी दूतावास में हत्या पर भी कंपनी ने कहा कि उनकी जासूसी के लिए उसके सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल नहीं हुआ था।

इजरायल की कंपनी ने कहा कि वो सिर्फ दुनिया की कानूनी संस्थाओं और ख़ुफ़िया एजेंसियों को अपनी सुविधाएँ उपलब्ध कराती है, वो भी इनके पीछे जो सरकारें हैं उनका विश्लेषण करने के बाद। NSO ग्रुप ने कहा कि वो अपराध रोकने, आतंकी घटनाओं को रोकने और ज़िंदगियाँ बचाने के लिए अपने सॉफ्टवेयर व सर्विसेज को उपलब्ध कराता है। साथ ही बताया कि NSO न तो सिस्टम को चलाता है और न ही इसके अंदर का डेटा देखता है।

इस मामले पर भारत सरकार ने कहा था, “जो कहानी बनाई जा रही है, वो न सिर्फ तथ्यों से दूर है बल्कि एक पूर्व-कल्पित निष्कर्षों पर भी आधारित है। ऐसा लगता है कि जैसे ये जाँचकर्ता, अभियोजक और जूरी – इन तीनों का किरदार अदा करना चाहते हैं। सरकार के पास जो सवाल भेजे गए हैं, उन्हें देख कर लगता है कि इसके लिए काफी घटिया रिसर्च किया गया है और साथ ही ये भी बताता है कि सम्बंधित मीडिया संस्थानों द्वारा मेहनत नहीं की गई है।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया