अफगानिस्तान के 99% लोगों ने किया था देश में इस्लामिक शरिया कानून का समर्थन: तालिबानी शासन के पहले हुआ था Pew का सर्वे

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प्यू (Pew) रिसर्च सेंटर ने 30 अप्रैल 2013 को अपने एक सर्वे का परिणाम प्रकाशित किया था जिसमें 99% अफगानियों ने देश के आधिकारिक कानून के रूप में इस्लामिक शरिया कानून को समर्थन दिया था, तब अफगानिस्तान में अमेरिका की सैन्य उपस्थिति मजबूत हुआ करती थी। Pew के द्वारा की गई इस सर्वे का शीर्षक था, “The World’s Muslims: Religion, politics and society” जिसके अंतर्गत 23 देशों में इस्लामिक शरिया कानूनों को लेकर प्रश्न पूछे गए थे। अफगानिस्तान में तालिबान के शासन से पहले यह सर्वे किया गया था।

आधिकारिक कानून के रूप में शरिया

इस सर्वे में अफगानिस्तान के 99% मुस्लिम शरिया को देश का आधिकारिक कानून बनाने के पक्ष में थे। इसके अलावा 84% पाकिस्तानियों ने भी शरिया के पक्ष में अपनी स्वीकार्यता दिखाई थी। इस सर्वे में बताया गया था कि अधिकांश दक्षिण एशियाई देशों में ऐसे लोगों की संख्या अच्छी-खासी रही जिन्होंने शरिया का समर्थन किया।

सर्वे में एक रोचक तथ्य भी सामने आया कि जो मुस्लिम दिन में कई बार नमाज पढ़ते हैं या इबादत करते हैं उन्होंने शरिया को लेकर कहीं अधिक अपना समर्थन जताया बजाय उन मुस्लिमों के जो अपेक्षाकृत कम इबादत करते हैं।

Source: Pew Research Center

सर्वे के मुताबिक 23 में से 17 देशों में कम से कम आधे मुस्लिमों ने शरिया को अल्लाह का कहा हुआ माना, न कि मानव द्वारा बनाया गया। इस सर्वे के अनुसार लगभग 81% पाकिस्तानी मुस्लिमों ने शरिया को अल्लाह का कहा माना, जबकि अफगानिस्तान के 73% मुस्लिमों ने इसके बारे में अपना समर्थन दिया।

Source: Pew Research Center

गैर मुस्लिमों पर शरिया कानून

जब यह प्रश्न पूछा गया कि शरिया क्या सिर्फ मुस्लिमों के लिए लागू होना चाहिए या गैर-मुस्लिमों के लिए भी? इस प्रश्न पर सर्वे में भाग लेने वाले अफगानिस्तान के 61% लोगों ने कहा था कि शरिया गैर-मुस्लिमों पर भी लागू होना चाहिए। हालाँकि पाकिस्तान में यह संख्या कम रही और 34% लोगों ने ही गैर-मुस्लिमों पर शरिया लागू करने की बात कही।

Source: Pew Research Center

क्या शरिया घरेलू और निजी मुद्दों पर भी लागू हो?

शादी, तलाक और उत्तराधिकार कुछ ऐसे घरेलू और निजी मुद्दे हैं जो इस्लामिक कानूनों के अंतर्गत आते हैं। शरिया को राज्य का आधिकारिक कानून बनाने के समर्थन में रहने वाले अधिकांश मुस्लिमों ने माना है कि शरिया इन मुद्दों पर भी लागू होना चाहिए।

Source: Pew Research Center

दक्षिण-पूर्वी एशिया, दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में ऐसे लोगों की संख्या बहुतायत में है जो पारिवारिक मुद्दों के निपटारे के लिए शरिया कानूनों का समर्थन करते हैं। पाकिस्तान में 87% और अफगानिस्तान में 78% लोगों ने संपत्ति और पारिवारिक विवादों में शरिया कोर्ट की दखल को स्वीकार किया था।

हुदुद सजा के बारे में मुस्लिमों के विचार

सर्वे के मुताबिक 20 में से 10 देशों के कम से कम आधे लोगों ने हुदुद सजा का समर्थन किया है। इसके तहत चोरों और लुटेरों के हाथों को काटने का प्रावधान है। पाकिस्तान में 88% और अफगानिस्तान में लगभग 81% लोगों ने इस तरह की सजा का समर्थन किया था। हुदुद, इस्लाम में पवित्र माने जाने वाली कुरान में वर्णित है।

Source: Pew Research Center

इसके अलावा पाकिस्तान के 89% मुस्लिमों और अफगानिस्तान के 85% मुस्लिमों ने व्यभिचार जैसे अपराधों के लिए सजा के तौर पर पत्थर मारने का। साथ ही 2013 में किए गए इस सर्वे में 79% अफगानी मुस्लिमों और 76% पाकिस्तानी मुस्लिमों ने इस्लाम छोड़ने वालों के लिए मौत की सजा का समर्थन किया।

जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर अपना शासन स्थापित किया है, यह रिपोर्ट्स आ रही हैं कि इस्लामिक संगठन तालिबान देश में शरिया कानून लागू करना चाहता है। हालाँकि 2013 में Pew किए गए सर्वे में यह दावा किया गया था सबसे अधिक अफगानी लोगों ने ही शरिया कानून का समर्थन किया था और तब जब देश तालिबान के शासन में नहीं था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया