‘न झुकेंगे, न दबेंगे’: समुद्र में चीनी नौसैनिकों की हिंसा के बाद फिलीपींस के राष्ट्रपति ने ड्रैगन को चेताया, जानिए क्यों आमने-सामने आ गए हैं दोनों देश

फिलीपींस के राष्ट्रपति फ़ेरदिनानद मारकोस जूनियर (बाएँ) ने चीन को सुनाई खरी-खरी

फिलीपींस और चीन के बीच तनाव एक बार फिर से बढ़ गया है। फिलीपींस के राष्ट्रपति फ़ेरदिनानद मारकोस जूनियर ने चीन को खरी-खरी सुनाई है। उन्होंने कहा कि वो युद्ध नहीं चाहते, लेकिन किसी भी अत्याचारी के सामने झुकेंगे भी नहीं। बता दें कि ये लड़ाई साउथ चाइना सी को लेकर है, जहाँ हाल ही में फिलीपींस की नौसेना और चीन कोस्ट गार्ड के बीच हिंसक झड़प हुई है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की रक्षा के रूप में हम फिलीपींस के सिद्धांतों का पालन करते हैं और शांति से मसला हल करने में विश्वास रखते हैं।

उन्होंने रविवार को फिलीपींस साउथ चाइना सी फोर्सेज के पलवान द्वीप स्थित मुख्यालय का दौरा भी किया। इस दौरान उन्होंने 80 सेलर्स को सम्मानित भी किया। उन्होंने कहा कि हम किसी के भी दबाव में नहीं आएँगे, न झुकेंगे। राष्ट्रपति फ़ेरदिनानद मारकोस जूनियर ने अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार, फिलीपींस अपने राष्ट्रीय हितों के समर्थन में अपनी स्वतंत्रता और अधिकारों का प्रयोग जारी रखने की प्रतिज्ञा लेते हुए कहा कि हम युद्ध शुरू नहीं करेंगे, लेकिन दबेंगे भी नहीं। चीन ने अपने कोस्ट गार्ड्स को 2021 के कानून के तहत विदेशी जहाजों पर खतरनाक हमलों की अनुमति दे दी है, जिसके बाद तनाव बढ़ गया है।

बता दें कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच सेकंड थॉमस शॉल (एक जलमग्न चट्टान) के पास हिंसा भड़क गई थी। ये पलवान से करीब 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, वहीं चीन के नज़दीकी जमीन से 1000 किलोमीटर की दूरी पर है। चीनी नौसेना ने इस दौरान फिलीपींस के कई सैनिकों को घायल कर दिया और उनके 2 नावों को भी क्षति पहुँचाई। इस दौरान उन्होंने कुल्हाड़ी, छुरा और हथौड़ा ले रखा था। फिलीपींस के एक सेलर को इस हिंसा में अपना अंगूठा गँवाना पड़ा।

साथ ही चीन के कोस्ट गार्ड्स ने न सिर्फ फिलीपींस की नावों और हथियारों को क्षतिग्रस्त किया, बल्कि उनके कई उपकरण चुरा कर भी ले गए। चीन ने इस झड़प के लिए फिलीपींस को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि उसके कोस्ट गार्ड्स ने तो पेशेवर और नियंत्रित तरीके से व्यवहार किया। चीन अपनी जमीन से हजारों किलोमीटर दूर स्थित समुद्री स्थलों पर भी दावा ठोकता रहा है। अमेरिका-EU समेत कई देशों ने चीन की निंदा की है। फिलीपींस ने इसे ‘हथियारबंद हमले’ की श्रेणी में नहीं डाला है, वरना करार के तहत अमेरिका को फिर मदद के लिए आना होगा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया